Ghazipur: कोरोना की तीसरी लहर से लड़ने को गाजीपुर स्वास्थ्य विभाग तैयार, संसाधन पर्याप्त - CMO
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए सरकार जुटी हुई है। वहीं संसाधनों के अभाव और अधूरी तैयारी के बीच कोरोना की दूसरी लहर से लड़ रहा स्वास्थ्य विभाग कितना सफल हो पाया है? किस तरह संसाधन जुटा रहा है? कोरोना की जांच, टीकाकरण, जागरुकता के बीच अब तीसरी लहर की आशंकाओं से निबटने के लिए उसकी क्या तैयारी है इसे लेकर 'गाजीपुर न्यूज़ टीम' से मुख्य चिकित्साधिकारी डा. जीसी मौर्या से बातचीत के प्रमुख अंश..
सवाल : कोविड की दूसरी लहर और उपलब्ध संसाधनों में कौन सी चुनौती बड़ी थी?
जवाब : दोनों ही चुनौतिपूर्ण थे। कोरोना की पहली लहर के सापेक्ष दूसरी लहर बहुत तेजी से फैली। जिस तरह संक्रमण बढ़ा, उसकी अपेक्षा मेडिकल संसाधन पर्याप्त नहीं थे। हालांकि दोनों चुनौतियों को स्वीकार किया गया और समय रहते हम लोगों ने संसाधन जुटा लिया।
सवाल : कोरोना ने किसी को समय नहीं दिया, ऐसे हालात में किस तरह प्रबंधन हो पाया?
जवाब : जिलाधिकारी के निर्देशन में हम लोगों ने सभी जरूरी संसाधन जुटाए। सरकारी के अलावा कई निजी अस्पतालों को अधिग्रहित कर कोविड वार्ड बनाया गया। आक्सीजन प्लांट शुरू कराया गया।
सवाल : गांवों में कैसे व्यवस्थित हो पाई चिकित्सा व्यवस्था?
जवाब : जिले के स्वास्थ्य महकमे में पहले से ही मानव संसाधन की भारी कमी है। जो पद सृजित हैं, उसमें से भी काफी खाली हैं। ऐसे में महामारी से निबटने के लिए काफी मानव संसाधन की आवश्यकता है। हमारे सभी स्वास्थ्यकर्मी ओवर ड्यूटी कर किसी तरह स्थिति को संभालने में लगे हुए हैं।
सवाल : सामान्य दिनों में जब डिमांड भेजने पर दवा-इंजेक्शन आने में महीने भर लग जाते हैं, कोरोना काल में कैसे इंतजाम हो पाया?
जवाब : आम दिनों में दवा-इंजेक्शन की आपूर्ति को लेकर इस तरह का दबाव नहीं होता है। ऐसे में कई बिदुओं पर लापरवाही भी होती है, लेकिन कोरोना महामारी में हर स्तर पर जल्द काम पूरा करने का दबाव और जवाबदेही तय है। दवा-इंजेक्शन या अन्य सामानों की आपूर्ति की समय सीमा निर्धारित है।
सवाल : कोरोना काल में किस चीज की कमी सबसे अधिक खली?
जवाब : किसी भी चीज की कमी नहीं है। तीसरी लहर से निबटने के लिए हमारे पास पर्याप्त बेड व दवाएं हैं। आक्सीजन की कुछ समस्या आई जिसे शीघ्र दूर कर लिया गया। पहले हमारे यहां 40-50 आक्सीजन कंसंट्रेटर थे, जिनकी संख्या अब 200 के आसपास हो गई है। जिला अस्पताल में आक्सीजन प्लांट भी शुरू कर लिया गया। सिलेंडर आक्सीजन की आपूर्ति भी पर्याप्त होने लगी है।
सवाल : अधीनस्थ अफसरों व कर्मचारियों का कोरोना नियंत्रण अभियान में कितना सहयोग मिल पाया?
जवाब : शत-प्रतिशत। ये लोग दिन-रात काम कर रहे हैं।
सवाल : आपदा काल में स्वास्थ्य विभाग की गांव से लेकर विधान सभा स्तर के जनप्रतिनिधियों से क्या अपेक्षाएं रहीं, और कहां तक पूरी हो पाई?
जवाब : महामारी से निबटने के लिए जनप्रतिनिधियों की भूमिका उल्लेखनीय है। कोई प्रत्यक्ष तो कोई अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग कर रहा है। कुछ जनप्रतिनिधियों ने अपनी निधि से आक्सीजन प्लांट लगाने के लिए पैसे देने की पेशकश की है तो क ई ने आक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराने की पहल की। संजय राय शेरपुरिया काफी मदद कर रहे हैं। ग्राम प्रधान अपने स्तर से गांवों को सैनिटाइज करा रहे हैं और लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं।
सवाल : कोरोना पीक पर था और आप खुद संक्रमित थे। ऐसे समय में कैसे मैनेज किया?
जवाब : मैं तो कोरोना की पहली लहर में ही संक्रमित हो गया था। विभाग की जिम्मेदारी एसीएमओ डा. प्रगति कुमार उठा रहे थे। मुझे लेकर परिवार के लोग भयभीत थे, लेकिन किसी ने हिम्मत नहीं हारी। इस दौरान अधीनस्थों ने खूब सहयोग किया।
सवाल : आप सामान्य दिनों में भी 16 घंटे काम के लिए जाने जाते हैं। कोरोना काल में उतने में काम चल गया या वे भी कम पड़े?
जवाब : कोरोना काल में 16 घंटे से भी अधिक काम करना पड़ रहा है। सुबह छह बजे से लेकर रात 12-01 बजे तक एक साथ कई काम कर रहा हूं। लोगों की कोरोना जांच, टीकाकरण और उपचार करना है। संसाधन जुटाने हैं। उच्चाधिकारियों व शासन को नियमित रिपोर्टिंग भी करनी है।
सवाल : तीसरी लहर से निबटने का क्या ब्लू प्रिट है, महकमा खुद को इसके लिए कहां तक सक्षम पाता है?
जवाब : शासन के निर्देश पर सीएचसी व पीएचसी लेवल के अस्पतालों को भी तैयार किया जा रहा है। वहां संसाधन जुटाए जा रहे हैं। जनपद के विभिन्न अस्पतालों में आइसोलेशन बेड-1151, आइसीयू बेड-34, आक्सीजन बेड-647 उपलब्ध हैं। आक्सीजन की बात करें तो डी -टाइप सिलेंडर-222, बी-टाइप सिलेंडर-94 एवं आक्सीजन कंसंट्रेटर-187 उपलब्ध हैं। जिला अस्पताल में एक आक्सीजन प्लांट चालू हो गया है। पांच और लगाए जाने हैं। बच्चों के लिए पीकू वार्ड बनाया जा रहा है। कोविड-19 टीकाकरण की गति तेज कर दी गई है। दवाएं भी पर्याप्त मात्रा में हैं। चिकित्साकर्मियों को तीसरी लहर से निबटने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। कुल मिलाकर संसाधन पर्याप्त हैं।