काशी में गंगा ने बदला रंग, पानी का प्रवाह कम होने से नील-हरित शैवालों ने जमाया कब्जा
गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. काशी के चौरासी घाटों को छूतीं-तारतीं उत्तरवाहिनी गंगा में अभी तक नालों का ही गंदा पानी समा रहा था, अब तो उसमें काई भी जमने लगी है। शनिवार को मणिकर्णिका, सिंधिया, संकठा व गंगा महल सहित आधा दर्जन घाटों के किनारे तीन-चार दिन से जमी काई की मोटी परत से पानी हरा दिखने लगा है। गंगामहल घाट पर रहने वाले रंगकर्मी नारायण द्रविड़ कहते हैं कि गंगा में ऐसा उन्होंने पहली बार देखा है। फिलहाल, अस्पष्ट कारणों के बीच नाविकों व घाट के रहवासियों में चर्चा है कि गंगा में निर्माण के दौरान जमा हुई मिट्टी से प्रवाह रुक गया है। इससे गंगा के किनारे काफी दूर तक हरे रंंग की काई जमने लगी है, जो ठीक नहीं है।
दरअसल नदी विशेषज्ञों के अनुसार गंगा में रंग बदलने का यह मामला नया नहीं है। नदियों के छाड़न या नदी के ठहरे हुए जल में हरे शैवाल काबिज हो जाते हैं। यह पानी के बहते हुए प्रवाह में ठहर नहीं पाता। इसलिए कम होते जलस्तर के बीच पानी के प्रवाह के ठहराव के बाद यह शैवाल तेजी से बढ़ने लगते हैं। पानी का प्रवाह बढ़ने के बाद हरा शैवाल भी गायब हो जाता है। मगर गंगा का जलस्तर मानसून के बाद बारिश होने के बाद ही बढ़ता है। ऐसे में अब उम्मीद है कि गंगा में हरे शैवालों का यह स्तर मानसून के आगमन यानि लगभग एक माह तक बना रहेगा। वहीं नदी विशेषज्ञ इसे गंगा में जल के प्रदूषित होने का भी एक संकेत मानते हैं।
बीते वर्ष लाकडाउन और इससे पूर्व प्रयागराज कुंभ के दौरान कानपुर की टेनरी का पानी रोकने की वजह से गंगा का पानी काफी हद तक शुद्ध हो गया था जो अब गंगा में गंंदगी दोबारा शुरू होने की वजह से पुन: जल प्रदूषण के रूप में सामने आ रहा है। नदी के दोनों ही तट पर गंगा में हरे रंग के शैवालों का नजारा आम है। नियमित गंगा स्नान और अन्य वजहों से आने वाले आस्थावानों के बीच गंगा के इस रंग को लेकर काफी चर्चा बनी हुई है। जबकि आध्यात्मिक वजहों से गंगा स्नान या दान पुण्य की कामना से आने वाले लोगों के बीच गंगा का यह रंग विस्मय का भी विषय बना हुआ है।
बीते दिनों डा. वीएन मिश्र ने भी गंगा के रंग बदलते स्वरूप को लेकर चिंता जाहिर की गई थी। गंगा के हरे रंग को लेकर उन्होंने तस्वीरें भी इंटरनेट मीडिया में पोस्ट कींं जो वायरल हो गईं। इसके बाद से लगातार गंगा के तटवर्ती इलाकों में हरे रंग का शैवाल कब्जा जमाता जा रहा है। अब प्रमुख चौरासी घाटों पर गंगा का रंग हरा नजर आने लगा है। इसके पीछे गंगा के ठहरे जल प्रवाह को जिम्मेदार माना जा रहा है। बीते दिनों रामनगर बंदरगाह के अधिकारियों ने भी गंगा के घटते जलस्तर को देखते हुए गंगा में भारी मालवाहक जहाजों का संचालन रोक दिया था। इस साल की शुरुआत में गंगा में पानी कम होने की वजह से एक मालवाहक जहाज पानी में फंस गया था। इसकी वजह से काफी दिक्कतों के बाद उसे बंंदरगाह तक पहुंचाया जा सका था।