Today Breaking News

PM मोदी के खास अफसर रहे एके शर्मा होंगे यूपी के डेप्युटी सीएम? सियासी हलचल तेज

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. उत्तर प्रदेश की राजनीति में जल्द ही बड़े बदलावों के कयास लगाए जा रहे हैं। ब्यूरोक्रेसी से राजनीति में आए अरविंद कुमार शर्मा (एके शर्मा) के उत्तर प्रदेश में डेप्युटी सीएम बनाए जाने को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। वहीं योगी के मंत्रीमंडल का विस्तार भी किया जा सकता है। कहा जा रहा है कि मंत्रिमंडल में पांच नए चेहरे शामिल किए जा सकते हैं। एके शर्मा गुजरात काडर के आईएएस अधिकारी थे। उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी लोगों में गिनती होती है।

एके शर्मा को जब से विधानपरिषद भेजा गया था, तब यह कहा गया था कि उन्हें डेप्युटी सीएम बनाया जा सकता है, लेकिन उस वक्त ऐसा नहीं हो पाया। अब कोरोना के केसेस कम हो रहे हैं। ऐसे में एक बार फिर से इस कयास ने तूल पकड़ लिए हैं।


पीएम और सीएम से गोपनीय मुलाकात ने बढ़ाए कयास

शर्मा को डेप्युटी सीएम बनाए जाने के लेकर चर्चाएं इसलिए और बढ़ गईं क्योंकि पीएम ने उनकी तारीफ भी। उसके बाद वह दिल्ली गए और पीएम से उनकी मुलाकात हुई। लखनऊ आकर वह यूपी सीएम योगी से मिले। उसके बाद कहा जा रहा है कि यूपी के डेप्युटी सीएम केशव प्रसाद मौर्या को दिल्ली बुलाया गया।


दिल्ली में हुई बैठकें

दिल्ली में हुई एक उच्चस्तरीय बैठक के बाद इस बात के संकेत दे दिए गए हैं कि सरकार के साथ संगठन में कुछ बदलाव किया जाना जरूरी है, जिससे 2022 में होने वाले चुनाव में नए चेहरों के साथ भाजपा चुनाव मैदान में उतर सके।



कुछ बड़ों पर गिरेगी गाज

दिल्ली में दो दिन तक अलग-अलग चली बैठक में संघ, भाजपा और केंद्र सरकार के बड़े पदाधिकारियों के साथ यूपी के संगठन महामंत्री सुनील बंसल भी बैठक में मौजूद थे। सूत्रों का कहना है कि यूपी से लिए गए फीडबैक में सामने आया है कि पंचायत चुनावों में कई क्षेत्रीय अध्यक्षों, पदाधिकारियों, विधायकों, सांसदों के साथ मंत्रियों की परफार्मेंस बहुत खराब रही है।


यूपी पंचायत चुनाव भी रहेगा बेस

पूर्वाचल के जिले के एक मंत्री ने अपने जिले में पंसदीदा प्रत्याशी को लड़ाया पर वह चौथे नंबर पर रहा। उससे पहले के तीन प्रत्याशी सपा से जुड़े हुए थे, इनमें एक अधिकृत था तो दो बागी होकर चुनाव लड़े और भाजपा के प्रत्याशी से तीनों ने ज्यादा मत हासिल किए। एक कद्दावर सांसद तो अपने प्रतिनिधि को दूसरा स्थान भी नहीं दिला पाए। यही हाल मंत्रियों का भी था। ऐसे लोगों की सूची इस बैठक में रखी गई, जिसके बाद बदलाव का फैसला किया गया। यह बदलाव प्रदेश के बड़े पदाधिकारियों से लेकर क्षेत्रीय स्तर तक किया जा सकता है।


कोरोना काल में भी निष्क्रिय

कई मंत्रियों और संगठन के लोगों की यह भी शिकायत मिली कि उन्होंने खुद ठीक होने के बावजूद कोरोना काल में खुद को घर के भीतर सीमित कर लिया और जनता के मदद मांगने पर फोन तक नहीं उठाए। वहीं लखनऊ के एक मंत्री समेत कई नेता और मंत्री अपने लोगों के बीच रहे और लगातार जनता की मदद करते रहे। संगठन ने जनता से दूर रहने वाले छह मंत्रियों और 12 से अधिक पदाधिकारियों की सूची इस बैठक में रखी है।


पूर्वांचल में एके शर्मा ने कीं ताबड़तोड़ बैठकें

कोरोना की दूसरी लहर में एके शर्मा की यूपी के पूर्वांचल इलाके में सक्रियता देखने वाली रही। वह यूपी के इसी इलाके से आते हैं। योगी कैबिनेट के मिनिस्टर, बीजेपी के कई वरिष्ठ सांसद और विधायक कोरोना काल में इस बात का रोना रोते देखे गए कि उनकी सुनवाई नहीं हो रही है, वहीं राजनीति में महज पांच महीने पुराने एके शर्मा पूर्वांचल के जिलों में समीक्षा बैठक लेकर अधिकारियों को दिशा-निर्देश देते देखे गए। उनकी बैठक में जिले का हर बड़ा अफसर शामिल होता है और उनके दिशा-निर्देशों को अपनी डायरी में इस तरह नोट करता है, जैसे क्लास रूम में स्टूडेंट्स अपने टीचर की हर बात को नोट करते हैं।


क्या होगी बड़ी भूमिका?

मोदी ने पिछले दिनों कोविड नियंत्रण में ‘वाराणसी मॉडल’ की तारीफ भी की जोकि पूर्वांचल का ही हिस्सा है। इन तमाम बातों के मद्देनजर राजनीतिक गलियारों में उनके मंत्री बनने की चर्चा एक बार फिर से जोरों पर है। लेकिन कुछ लोग हैं जो कह रहे हैं कि शर्मा जी को अगर मंत्री बनना होता तो कब के बन गए होते। उनके लिए तो उससे बड़ी भूमिका तलाशी जा रही है।


कौन हैं एके शर्मा

अरविंद कुमार शर्मा उत्तर प्रदेश के मूल निवासी लेकिन गुजरात काडर के आईएएस रहे हैं। नौकरी के दौरान करीब बीस साल उनकी गिनती नरेंद्र मोदी के विश्वासपात्र अफसरों में होती रही। वह गुजरात से लेकर दिल्ली तक उनके साथ रहे। इसी साल जनवरी में उन्हें वीआरएस देकर यूपी के विधानपरिषद में भेज दिया गया, तभी से उनकी भूमिका को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है।

'