पत्रकार की कोरोना से मौत, नहीं आए घरवाले; पुलिस ने अर्थी को दिया कंधा-किया अंतिम संस्कार
गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण की लहर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भयावह हो गई है। संक्रमण के आंकड़ों में उतारचढ़ाव जारी है। अब तक 1799 लोग अपनी जान गवां चुके हैं। ऐसे में शहरवासियों के दिलों-दिमाग पर कोरोना का डर कुछ इस कदर छाया हुआ है कि मरने के बाद भी परिजन भी शव लेने से किनारा कर रहे हैं। ऐसा ही एक मामला गोमतीनगर के विराम खंड से प्रकाश में आया। गुरुवार को एक वरिष्ठ पत्रकार का कोरोना के चलते निधन हो गया। उनका शव घर पर पड़ा रहा। ऐसे में कोई रिश्तेदार व परिवारजन नहीं झांका।
सूचना पर इंस्पेक्टर ने पुलिस टीम भेजी। पुलिसवालों ने पोस्टमार्टम कराया और फिर मिशन संवेदना के तहद पूर्व पार्षद रंजीत सिंह और डॉ सय्यद रिजवान अहमद शव को बैकुंड धाम श्मशान घाट ले गए। जहां पुलिस वालों ने इंसानियत की मिसाल पेश करते हुए लावारिस शव के वारिस बनकर अर्थी को कंधा दिया और अंतिम संस्कार कर अपना फर्ज निभाया।
अपनों से छोड़ा साथ, लावारिस शव का वारिस बनी पुलिस: दरअसल, गोमतीनगर के विराम खंड के किराए के मकान में रह रहे चंदन प्रताप सिंह पुत्र एनपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार थे। वो घर पर अकेले रहते थे। मकान मालिक के मुताबिक, गुरुवार को चंदन अपने कमरे से बाहर नहीं निकले तो शक हुआ। ऐसे में उन्होंने पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची टीम को चंदन मृत अवस्था में मिले। पूछताछ में वरिष्ठ पत्रकार के कोरोना पॉजिटिव की बात सामने आई। फोन पर घरवालों से संपर्क किया गया तो पता चला कि चंदन पत्नी से अलग रहते हैं। चंदन के भाई कोलकाता में हैं, जिन्होंने लखनऊ आने में असमर्थता जताई।
पुलिस ने शुक्रवार शाम तक घरवालों का इंतजार किया, लेकिन कोई नहीं आया। यहां तक की चंदन के दोस्त, संस्थान के साथी और रिश्तेदार भी नहीं पहुंचे। पुलिस के मुताबिक, चंदन के कई परिचितों से संपर्क कर उनका अंतिम संस्कार करने के लिए कहा गया, लेकिन सभी ने भी आने से इन्कार कर दिया। काफी देर तक इंतजार के बाद पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराया और कागजी कार्यवाही पूरी की।
पूर्व पार्षद ने शव को पहुंचाया श्मशान घाट, पुलिस कर्मियों ने किया अंतिम संस्कार: वहीं, मिशन संवेदना के तहद पूर्व पार्षद रंजीत सिंह और डॉ सय्यद रिजवान अहमद शव को पोस्टमार्टम हाउस से बैकुंड धाम श्मशान घाट ले गए। जहां एसीपी के निर्देशन पर दारोगा दयाराम साहनी, अरुण कुमार यादव, राजेन्द्र बाबू और प्रशांत सिंह ने अर्थी को कंधा देकर श्मशान घाट के अंदर ले गए और कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए अंतिम संस्कार कराकर इंसानिय की मिसाल पेश की। पुलिसकर्मियों की संवेदनशीलता की हर तरफ सराहना हो रही है।