लॉकडाउन ने आम उत्पादकों को दिया झटका, तूफान ताऊते ने तोड़ दी कमर
गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. उत्तर प्रदेश में कोरोना के प्रकोप से लगातार दूसरे साल भी नुकसान झेल रहे लखनऊ के दशहरी आम की बागवानी करने वाले लोगों के लिए ताउते तूफान ने और मुसीबत खड़ी कर दी है. आम की बागवानी करने वाले लोग पहले से ही इस बात से परेशान है कि दूसरे साल भी लॉक डाउन की वजह से उनके आम के निर्यात बाहर नहीं हो पाएंगे, साथ ही लोकल मंडियों में भी जाने में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. वहीं पिछले कुछ दिनों से लगातार आंधी-बारिश ने 15 से 20 फ़ीसदी आम को नुकसान पहुंचा दिया है.
हालांकि आम उत्पादक संघ के अध्यक्ष इंसराम अली का कहना है कि आमतौर पर मई के महीने में आमों की टूट हो जाती है लेकिन लॉकडाउन की वजह से इसमें देरी हुई और आम पेड़ पर ही लगे रहे लेकिन इस बीच लगातार हुई बारिश और आंधी की वजह से आम को भारी नुक़सान हुआ है.
पिछले साल लॉकडाउन से हुए थे परेशान, इस बार फिर..
बता दें कोरोना की महामारी के बीच जहां जिंदगी को बचाने की जद्दोजहद हर सेकंड चल रही है, वहां पर आजीविका के साधनों पर भी बड़ा संकट आ खड़ा हुआ है. छोटे-मोटे व्यापारियों के साथ-साथ लखनऊ की पहचान मलिहाबाद के दशहरी आम के किसान भी इससे अछूते नहीं है. पिछले साल लॉकडाउन के चलते आम मंडी में वैसे ही आफत आई थी. हालांकि कुछ महीनों के बाद हालात सामान्य होने की उम्मीद थी लेकिन कोरोना की दूसरी लहर में फिर लॉकडाउन ने आम के किसानों के माथे पर पसीना ला दिया है.
नसीम आम के बिज़नेस से जुड़े हैं, जो ये मानते हैं कि इस बार भारी नुक़सान होने वाला है. पिछले साल करोड़ों संक्रमण के चलते लगी लॉकडाउन के कारण आम के व्यापार में करीब एक हजार करोड़ का नुकसान हुआ था लेकिन इस बार फसल सामान्य रहने पर लोगों को उम्मीद थी कि इस बार उन्हें अपनी फसल का पूरा मुनाफा मिलेगा, जो अब होता दिखाई नहीं दे रहा है.
लखनऊ में छह लाख मैट्रिक टन आम का होता है उत्पादन
पद्मश्री सम्मान से सम्मानित कलिमुल्ला बताते हैं कि आमतौर पर 17 से 20 मई के बीच बाग में टूट की प्रक्रिया शुरू हो जाती है लेकिन इस बार 24 मई तक लॉकडाउन लगने के कारण शुरू नहीं हो पाई है. लखनऊ के पश्चिमी में 27000 हेक्टेयर में फैले बेल्ट में हर साल औसतन छह लाख मैट्रिक टन आम का उत्पादन होता है लेकिन इस बार के हालात देखकर आम बाग़वानी करने किसान अभी नुक़सान आकलन करने में जुट गए हैं.
किसानों ने की ये मांग
आम उत्पादक संघ के के पूर्व मंत्री इंसराम अली बताते हैं कि संक्रमण की वजह से फ्लाइट न चलने से आम का निर्यात बड़े पैमाने पर प्रभावित हो सकता है. यूपी से करीब 800 टन आम विदेश भेजा जाता है. निर्यात ना होने से इस बार खाली मंडियों में आम कि आमद काफी अधिक रहने की उम्मीद है. आम उत्पादकों का मानना है कि कोरोना का प्रकोप और जारी रहा तो स्थानीय मंडियों में आम कि कीमत और गिर जाएगी हालांकि आज के शौकीन लोगों को ₹20 प्रति किलो से भी कम में दशहरी खाने को मिल सकती है. किसानों का यह कहना है कि वह सरकार से निवेदन करेंगे कि फैक्ट्रियों से बात करके लोकल लेवल पर ही आ जाए ताकि किसानों को होने वाले नुकसान में कुछ कमी की जा सके.