कोरोना से ठीक हुए मरीजों में ब्लैक फंगस का अटैक, आंखों से दिखना हुआ बंद
गाजीपुर न्यूज़ टीम, मथुरा. उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में कोरोना से ठीक हुए दो मरीजों में ब्लैक फंगस के मामले सामने आये हैं। इनमें एक वृंदावन स्थित वनखंडी निवासी वृद्धा हैं, जबकि दूसरा मामला मथुरा के मानस नगर का है।
प्रेमगली वनखंडी, वृंदावन निवासी 72 वर्षीया मिथलेश शर्मा विगत 16 दिन से रामकृष्ण मिशन अस्पताल में भर्ती थीं। उसके बाद 9 मई को कोरोना सही होने के बाद मिथलेश शर्मा जब घर गईं तो उन्होंने बताया कि आंखों से दिखाई नहीं दे रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने पहले ही चिकित्सकों और नर्सों से आखों से कुछ न दिखाई देने की बात कही थी, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। इनके पुत्र आचार्य राजेंद्र ने बताया कि माताजी की आंखों के लिए तीन दिन से जगह जगह घूमे और कई चिकित्सकों से सलाह ली। तब चिकित्सकों ने बताया कि यह ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) है और कोई न्यूरोसर्जन ही इसका ऑपरेशन करेगा। अब माताजी को आंखों से दिखाई नहीं दे रहा और शरीर में फफोले पड़ गए हैं।
दूसरा मामला मथुरा के मानस नगर का है। यहां एक युवक की कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद 10 मई को आंखों से दिखना बंद हो गया। दिल्ली एनसीआर के एक अस्पताल में दिखाने पर ब्लैक फंगस की जानकारी हुई।
दो लोगों को ब्लैक फंगस होने की जानकारी मिली है। इसकी जानकारी कराई जा रही है। सही जानकारी गुरुवार को ही हो सकेगी। -डॉ. भूदेव सिंह, कोविड कंट्रोल रूम प्रभारी एवं नोडल अधिकारी कोरोना
कोरोना के मरीजों को ज्यादा खतरा
म्यूकोरमाइकोसिस आम तौर पर उन लोगों को तेजी से अपना शिकार बनाता है जिन लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम होती है। कोरोना के दौरान या फिर ठीक हो चुके मरीजों का इम्यून सिस्टम बहुत कमजोर होता है, इसलिए वह आसानी से इसकी चपेट में आ रहे हैं। खासतौर से कोरोना के जिन मरीजों को डायबिटीज है। शुगर लेवल बढ़ जाने पर उनमें म्यूकोरमाइकोसिस खतरनाक रूप ले सकता है।
यह संक्रमण सांस द्वारा नाक के जरिये व्यक्ति के अंदर चला जाता है, जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, उनको यह जकड़ लेता है।
ब्लैक फंगस के लक्षण-
• नाक में दर्द हो, खून आए या नाक बंद हो जाए
• नाक में सूजन आ जाए
• दांत या जबड़े में दर्द हो या गिरने लगें
• आंखों के सामने धुंधलापन आए या दर्द हो, बुखार हो
• सीने में दर्द
• बुखार
• सिर दर्द
• खांसी
• सांस लेने में दिक्कत
• खून की उल्टियाँ होना
• कभी-कभी दिमाग पर भी असर होता है