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बलिया जिले के मांझी पुल से सरयू नदी में शवों काे डाल रहे बिहार के एंबुलेंस चालक

गाजीपुर न्यूज़ टीम, बलिया. गंगा के बाद अब सरयू नदी में भी उतरा रही है कोरोना पीड़ितों का शव। यूपी-बिहार के सीमा विवाद में नहीं हो रहा है शवों का डिस्पोजल। इससे तटवर्ती गांवों के लोगों में आक्रोश व भय व्याप्त है। वहीं बैरिया थाना पुलिस ने पुल की अपनी सीमा में रात की निगरानी बढ़ा दी है। मांझी घाट के जयप्रभा सेतु के ऊपर से ही दो दिन पूर्व रात के अंधेरे में कफ़न में लिपटे चार शव एंबुलेंस चालकों ने फेंक दिया।

शव सरयू नदी के पानी मे गिरने के बजाए रेत पर गिरा। वहीं पुल के ऊपर ही पीपीई किट पड़े मिले। बुधवार की रात ही एक शव जयप्रभा सेतु के ऊपर से एंबुलेंस चालक ने रात के अंधेरे में फेंका गया। ट्रक की तेज रोशनी में कुछ लोगों ने पुल के ऊपर से एम्बुलेंस से शव निकल कर नदी में शव फेंकते देख लिया। लोगों के हो हल्ला पर एंबुलेंस चालक गाड़ी लेकर बिहार की तरफ भाग खड़े हुए। इसकी सूचना मछुआरों ने चांद दियर पुलिस को दिया। पुलिस बिहार की सीमा होने के कारण लौट आई। इसकी सूचना बिहार की मांझी पुलिस को दी गई। बिहार के मांझी पुलिस ने शवों को बालू के रेत पर ही शवों को गड्ढा खोदकर गड़वा दिया। लोगों ने जिला प्रशासन से आग्रह किया है कि बिहार से शव ले आकर यूपी सीमा के निकट सरयू नदी में फेकने पर रोक लगाई जाए। एसएचओ राजीव कुमार मिश्र ने बताया कि पुल के यूपी वाले भाग में पूरी रात निगरानी के लिए फोर्स तैनात कर दी गई है। किसी को भी पुल के ऊपर से सरयू नदी में शव नहीं फेंकने दिया जाएगा।


गंगा में बह रहीं लाशें, सरकार आंकड़ों की बाजीगरी में जुटी

नेता प्रतिपक्ष रामगोविन्द चौधरी ने गुरुवार को कहा कि जनपद के अनेक स्वास्थ केंद्रों पर बदइंतजामी है। इसको लेकर लोगों में गुस्सा और भय का माहौल है। वहीं स्वास्थ कर्मी पूरी तन्मयता से अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं।नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि गंगा में बहती लाशें सरकार की कलई खोल रही हैं। सरकार है कि आंकड़ों की बाजीगरी में व्यस्त है। सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि इस महामारी काल में सरकार लोगों की मौत और संक्रमितों की संख्या छुपाने में जुटी है। मां गंगा के नाम पर राजनीति की रोटी सेंकने वाले लोगों की राजनीतिक कारगुजारी का प्रतिफल हैं उसमें तैरती लाशें। अगर कोरोना की पहली लहर के बाद ही सरकार ईमानदारी से लग गई होती तो यह दूसरी लहर इतनी भयावह नहीं होती। ऑक्सीजन और दवाई के अभाव में लोग मर रहे हैं। यह हत्या है।

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