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चिकित्साधीक्षक का तुगलकी फरमानः प्रेग्नेंट होने पर चार महिला स्टाफ नर्सों की सेवा समाप्त

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गोण्डा. कोरोना अस्पताल से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। प्रेग्नेंट होने पर वहां तैनात चार महिला स्टाफनर्सों की सेवा समाप्त कर दी गई है। जिला अस्पताल के प्रमुख चिकित्साधीक्षक डा घनश्याम सिंह ने सेवा समाप्त किए जाने की पुष्टि करते हुए बताया कि उच्चाधिकारियों के निर्देश पर ऐसा किया गया है।

पिछले वर्ष कोविड संकट के दौरान जिला अस्पताल की नई बिल्डिंग में बनाए गए 126 बेड के कोविड अस्पताल के लिए कई पदों पर नियुक्ति की गई थी। इसमें शहरी आजीविका केंद्र फर्म की ओर से कई स्टाफ नर्सों की भी तैनाती की गई थी। एक वर्ष तक इन स्टाफनर्सों ने कोरोना योद्धा बनकर मरीजों की सेवा की। दूसरी लहर के दौरान भी यह नर्स मरीजों की सेवा में लगी रहीं।


 इसी बीच स्टाफ नर्स प्रियंका जान, प्रियंका आनंद, लक्ष्मी सिंह और सीमा द्विवेदी प्रेग्नेंट हो गईं। इसकी जानकारी मिलते ही कोविड अस्पताल के सीएमएस ने संस्था को इनसे कार्य न लेने और इनके स्थान पर दूसरे स्टाफ को तैनात करने का निर्देश दिया। इसके बाद इन चारों स्टाफ नर्सों की सेवा समाप्त कर दी गई।


स्टाफ नर्स प्रियंका आनंद का आरोप है कि नियुक्ति के दौरान ऐसी कोई शर्त नहीं रखी गई थी कि अगर प्रेग्नेंसी होगी तो उनकी सेवा समाप्त कर दी जाएगी। नर्स का कहना है कि उन लोगों को मातृत्व अवकाश का लाभ दिया जाना चाहिए लेकिन सेवा ही समाप्त कर दी गई।


वहीं, जिला अस्पताल के प्रमुख चिकित्साधीक्षक डाक्टर घनश्याम सिंह ने कहा कि इन स्टाफ नर्सों को मैटरनिटी का लाभ नहीं मिल सकता है। कोविड अस्पताल में इनकी सेवा भी नहीं ली जा सकती है। इनकी सेवा लेने इनको व इनके गर्भ में पल रहे बच्चे को नुकसान पहुंच सकता है। इसलिए सेवा समाप्त की कार्रवाई उच्चाधिकारियों के निर्देश पर की गई है।

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