शहरों के साथ गांवों में भी बढ़ेगा कोरोना, मई के मध्य तक होगा सर्वोच्च स्तर पर
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया की शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दिसंबर 2021 तक देश में कोरोना वैक्सीन की 113.2 करोड़ डोज लोगों को दी जा चुकी होगी। जबकि देश के 15 फीसदी लोगों को कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज दी जा चुकी होंगी, वहीं लगभग 84 फीसदी लोगों को वैक्सीन की पहली डोज दे पाना ही संभव हो सकेगा। अनुमान है कि मई माह के तीसरे सप्ताह में कोरोना की दूसरी लहर का सर्वोच्च सामने आ सकता है।
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि पूरे देश को कोरोना की वैक्सीन लगाने में आया खर्च पूरे देश की जीडीपी का लगभग 0.1 फीसदी के करीब हो सकता है, जबकि अगर कोरोना के कारण देश में लॉकडाउन का निर्णय लिया जाता है तो यह नुकसान बहुत ज्यादा हो सकता है। देश के कई हिस्सों में लगे आंशिक या पूर्ण लॉकडाउन के कारण ही अब तक जीडीपी के 0.7 फीसदी नुकसान हो चुकने का अनुमान है।
हालांकि, इसके बाद भी अर्थव्यवस्था में जीडीपी के 10.4 फीसदी की वृद्धि होने का अनुमान लगाया गया है। इसी प्रकार का अनुमान विश्व की अन्य शीर्ष आर्थिक एजेंसियों ने लगाया है।
एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार स्पैनिश फ्लू की दूसरी लहर में पहली लहर के मुकाबले ज्यादा मौतें हुईं थीं। अनुमान है कि कोरोना की दूसरी लहर भी पहली लहर के मुकाबले ज्यादा घातक हो सकती है। लिहाजा इसके असर को कम करने के लिए बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन प्रोग्राम को आगे बढ़ाने की सलाह दी गई है।
अनुमान है कि अब तक पूरी दुनिया में लगभग 90 करोड़ लोगों ने कोरोना की वैक्सीन लगवा ली है। लेकिन इस वैक्सीनेशन कार्यक्रम में दुनिया के टॉप 15 देशों में भारी मात्रा में (कुल वैक्सीन खपत का 84 फीसदी) वैक्सीनेशन हुआ है, जबकि गरीब देशों में यह अभियान बहुत पीछे है। यानी वैक्सीनेशन कार्यक्रम में भी अमीरी-गरीबी के बीच का फर्क बहुत साफ उभर कर सामने आ रहा है।
अब तक दुनिया की केवल 2.6 फीसदी जनसंख्या ही वैक्सीनेशन का लाभ ले सकी है। भारत में केवल 1.2 फीसदी लोगों को ही अभी तक वैक्सीन का लाभ दिया जा सका है। कई राज्यों में वैक्सीन के प्रति लोगों की हिचक अभी भी इसे सब तक पहुंचाने में बड़ी बाधा बन रही है।
कितनी आबादी को वैक्सीन
अनुमान है कि सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया जुलाई 2021 तक प्रति माह 11 करोड़ कोरोना वैक्सीन का उत्पादन कर सकने की क्षमता हासिल कर लेगा। जुलाई तक भारत बायोटेक 1.2 करोड़ डोज प्रति माह उत्पादन कर सकेगा। मई माह से रूस की स्पूतनिक वैक्सीन का आयात भी शुरू हो जाएगा।
अनुमान है कि इन सभी वैक्सीन की उपलब्धता के कारण दिसंबर 2021 तक देशवासियों को कोरोना वैक्सीन की 113.2 करोड़ डोज दी जा सकेगी। वैक्सीन की इस खपत के कारण देश के 15 फीसदी लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज और 84 फीसदी जनसंख्या को वैक्सीन की पहली डोज दे पाना संभव होगा।
देश को कितना नुकसान
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि देश को वैक्सीन लगाने में जितनी धनराशी की खर्च करनी पड़ेगी, वह लॉकडाउन लगाने के कारण हुए नुकसान से बहुत कम होगी। अनुमान है कि राज्यों के द्वारा तय कीमतों और केंद्र सरकार के द्वारा दी जा रही मुफ्त वैक्सीन को मिलाकर अर्थव्यवस्था पर कुल 0.1 फीसदी का भार पड़ सकता है, जबकि अगर लॉकडाउन लगाया जाता है तो इसके कारण अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हो सकता है। देश के अलग-अलग हिस्सों में लगे आंशिक या पूर्ण लॉकडाउन के कारण अब तक जीडीपी का 0.7 फीसदी नुकसान हो चुका है।
जीडीपी में वृद्धि का अनुमान घटाया
कोरोना की दूसरी गंभीर लहर के कारण देश के अनेक हिस्सों में लॉकडाउन लगाना पड़ा है तो कहीं-कहीं पर पूर्ण लॉकडाउन लगाया गया है। लेकिन इसके बाद भी ज्यादातर एजेंसियों का अनुमान है कि भारत इसके बाद भी वित्त वर्ष 2021-22 में दो अंकों की वृद्धि हासिल कर सकेगा। एसबीआई ने अपनी रिपोर्ट में देश की जीडीपी में 10.4 फीसदी की वृद्धि होने का अनुमान लगाया है। हालांकि, इसके पहले की रिपोर्ट में वृद्धि दर का अनुमान इससे कहीं अधिक था।
अनुमान है कि कोरोना का सर्वोच्च स्तर मई माह के तीसरे सप्ताह तक सामने आ सकता है। दूसरी लहर में शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी कोरोना संक्रमण बढ़ने के गंभीर अनुमान लगाये गये हैं।
बैंकों में जमा धन बढ़ने की उम्मीद
कोरोना संक्रमण बढ़ने के कारण कई क्षेत्रों में अर्थव्यवस्था के कमजोर होने के संकेत भी मिल रहे हैं। मोबाइल फोन बाजार में भी कुछ मंदी आने का अनुमान जताया गया है। इस दौरान बैंकों में जमाधन में बढ़ोतरी होने का अनुमान भी लगाया गया है। अनुमान है कि आंशिक लॉकडाउन के कारण लोगों को धन खर्च करने के अवसरों में कमी आएगी। इसके कारण बैंकों में जमा धनराशी में महत्वपूर्ण वृद्धि दर्ज की जा सकती है।