उत्तर प्रदेश में ऑक्सीजन, अस्पताल और दवा की कमी, हर जिले का एक जैसा हाल
गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. कोरोना की दूसरी लहर ने कहर बरपाया हुआ है। यूपी-बिहार से लेकर झारखंड तक हर जिले से एक जैसी खबरें आ रही हैं। देश की राजधानी दिल्ली भी अछूती नहीं है। एनसीआर के नोएडा और गाजियाबाद में कहने को बड़े-बड़े अस्पताल हैं लेकिन लोग बेहाल हैं। एक तरफ आक्सीजन और अस्पतालों में बेड की कमी से लोग दम तोड़ रहे हैं तो दूसरी तरफ दवा और इंजेक्शन बाजार से गायब हैं।
वाराणसी में आशा श्रीवास्तव को सांस लेने में दिक्कत हुई। पास के एक डाक्टर से दवा ली। दवा लेने के बाद भी दिक्कत बढ़ती चली गई। स्थिति यह हो गई कि पानी तक पीने में दिक्कत होने लगी। घर पर पति की पहले ही मौत हो चुकी थी। मां को लेकर आटो से बेटी मंडलीय अस्पताल पहुंची। यहां कहा गया कि आक्सीजन लेवल 60 है। किसी प्राइवेट अस्पताल में ले जाइये। किसी प्राइवेट अस्पताल में जगह नहीं मिली तो मजबूरी में मंडलीय अस्पताल में भी भर्ती कराया। देर रात वार्ड के सभी मरीज तड़पने लगे। पता चला कि आक्सीजन ही अस्पताल में नहीं है। इससे कम प्रेशर पर सप्लाई हो रही है। आक्सीजन की कमी से आशा श्रीवास्तव ने दम तोड़ दिया।
चंदौली के 63 वर्षीय एक बुजुर्ग को सर्दी-जुकाम हुआ था। परिवारवालों ने जांच कराई। तीन दिन बाद रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इसके बाद सबसे जिला अस्पताल में पहुंचे। बेड न होने से वाराणसी के निजी अस्पताल लेकर गये लेकिन वहां भी बेड नहीं मिला। मरीज को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। परिजन घबराए थे, ऑक्सीजन सिलेंडर भी नहीं मिल रहा था। कोविड अस्पताल में बेड न मिलने पर एक नॉन कोविड अस्पताल में ऑक्सीजन के लिए भर्ती करा दिया। डॉक्टर ने पर्चे पर रेमडेसिविर इंजेक्शन लिखा और इसे तुरंत मंगाने को कहा। परिजनों ने दवा मंडी में अपने परिचित दवा व्यवसायी को फोन किया लेकिन 24 घंटे बाद तक इंजेक्शन नहीं मिल सका। चिंतित परिजनों ने दिल्ली, भोपाल, प्रतापगढ़, कोलकाता में अपने रिश्तेदारों से भी इंजेक्शन दिलाने की गुहार लगाई। लेकिन सफलता नहीं मिली।
मेरठ में रामजी सिंह पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। मां की बीमारी सुनकर घर लौटे तो दोहरा झटका लगा। माँ के साथ पत्नी भी साथ छोड़ चुकी थी। मां की मौत की खबर सुनकर बुधवार की सुबह रामजी पहुंचने वाले थे। इसी बीच मंगलवार देर रात रामजी की पत्नी की हालत बिगड़ गई। उन्होंने बुधवार तड़के लगभग 3:30 बजे परिजनों से अस्पताल ले जाने की बात कही। परिवार के सदस्य उनको लेकर निजी अस्पताल पहुंचे लेकिन किसी ने भर्ती नहीं किया। परिजन इस अस्पताल से उस अस्पताल भटकते रहे। अंततः पत्नी की मौत हो गई।
मुरादाबाद में तीन दिन पूर्व मुहम्मद के पिता के सीने में दर्द उठा। पिता को लेकर एक निजी अस्पताल पहुंचे। वहां उनसे पहले कोविड-19 की रिपोर्ट लाने के लिए कहा गया। वो एक दो और अस्पतालों में भी गए। अपने पिता को भर्ती करने के लिए सभी से गिड़गिड़ाते रहे मगर किसी ने भी बिना कोविड-19 रिपोर्ट उन्हें भर्ती करने से इनकार कर दिया। पिता को बेड दिलाने के लिए सोशल मीडिया पर भी पोस्ट डाली। वहां से भी कोई मदद नहीं मिल पाई। मंगलवार सुबह उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।