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जिस हास्टल में वार्डन था वो कोरोना वार्ड बन गया, अब घर जा रहा हूूं

गाजीपुर न्यूज़ टीम, अलीगढ़. जिस होस्टल में वार्डन था, वो अब कोरोना वार्ड बन गया है। होस्टल में कामकाज तो पहले ही बंद था। उम्मीद थी कि सब ठीक हो जाएगा। लेकिन, दिन-ब-दिन हालात गंभीर होते जा रहे हैं। घर लौटने के अलावा कोई रास्ता नहीं है। लाकडाउन कोरोना का इलाज नहीं है। जरूरी है कि लोग सावधानी बरतें। लाकडाउन लगेगा तो लोग कोरोना से नहीं, भूख से मर जाएंगे। यह दर्द था गौंडा क्षेत्र के बड़ा गांव निवासी सुरेंद्र कुमार का, जो ग्रेटर नोएडा से मंगलवार शाम को ही बस से अलीगढ़ पहुंचे। बस स्टैंड पर हर दूसरे शख्स की कहानी ऐसी ही थी। भीड़भाड़ और हाहाकार के बीच उन्हें अपने घर की ही राह दिख रही थी। यहीं नहीं, ट्रेनों में भी प्रवासियों का भीड़ उमड़ रहा था। बस-ट्रेनों को देखकर फिर से वही पुराना साल याद आ गया।

अलीगढ़ से बहुतायत में लोग दिल्‍ली मेंं नौकरी करते हैं 

अलीगढ़ के लोग तमाम लोग दिल्ली, नोएडा में रहकर नौकरी करते हैं। कुछ लोगों का रोजाना आना-जाना होता है। लेकिन, कोरोना काल में प्रवासियों की दूरी और बढ़ गई। पिछले साल लाकडाउन में लोग अपने घर की तरफ दौड़े थे। फिर जब खतरा कम हुआ तो लोग फिर से नोएडा-दिल्ली लौट गए। लेकिन, सोमवार को जैसे ही दिल्ली सरकार ने लाकडाउन की घोषणा की, प्रवासी मजदूरों में अफरा-तफरी मच गई। लोग बस ट्रेनों में अपने घर की तरफ लौटने लगे। इनमें कोई परीक्षा की तैयारी छोड़कर आ रहा था तो कोई अपना कामकाज बंद करने से परेशान था। मंगलवार दोपहर को शहर के बस अड्डों पर मजदूरों की भीड़ देखने को मिली। इसी तरह रेलवे स्टेशन पर आने वाली हर ट्रेन फुल थी। सामान्य दिनों की तुलना में यहां यात्रियों की भीड़ तीन गुना हो गई थी। दिल्ली में निजी बस चलाने वाले प्रेम प्रकाश मंगलवार शाम को अलीगढ़ के सारसौल स्थित बस स्टैंड पर उतरे थे। बोले- गाड़ियां चलना बंद हो गई हैं तो रुकने का क्या फायदा। दिल्ली में संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। डर लगने लगा है। इसलिए अपने अपने घर कानपुर लौट रहा हूं। भविष्य में क्या होगा, पता नहीं। इधर, ट्रेनों से भी मजदूरों को आना शुरू हो गया। अपने परिवार के साथ लौटे एक मजदूर ने कहा कि पिछले साल भी इसी तरह लाकडाउन लगा था तो हालात बिगड़ गए थे। जैसे-तैसे नई उम्मीद के साथ दिल्ली गए थे। अब फिर से डर सताने लगा है। वहां रुकते तो मर जाते। मजबूरत लौटना पड़ा। सर सैयद निवासी तीन युवतियां दिल्ली से लौटी थीं। बोलीं- डाक्टर की परीक्षा की तैयारी कर रही थीं। लेकिन, कोचिंग भी बंद हो गईं। ऐसे में लौटने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। इनके अलावा कई यात्री ऐसे थे, जो कानपुर, इटावा, फीरोजाबाद व अन्य जगहों के थे। लेकिन, अलीगढ़ में उतरकर बस के इंतजार में बैठे थे।


प्रवासियों को लाने दिल्ली भेजीं सौ बसें

लाकडाउन की बात सुनते ही प्रवासी की भीड़ दिल्ली के बस अड्डों पर जुटना शुरू हो गई। सोमवार रात आनंद बिहार बस स्टैंड पर भीड़ अनियंत्रित हो गई। इसकी सूचना अलीगढ़ दी गई। इस आधार पर यहां से आनन-फानन सौ बसें भेजी गईं, जो प्रवासियों को लेकर लौटीं। इसी तरह मंगलवार को भी सौ बसें दिल्ली के लिए भेजी गईं। यहां सुबह तो प्रवासियों की भीड़ दिखी थी। फिर दोपहर में कम हो गई। देर शाम फिर से लोगों का आना शुरू हो गया।

मसूदाबाद से शुरू हुआ बसों का संचालन

एआरएम वाइपी सिंह ने बताया कि कोरोना संक्रमण के बीच गांधीपार्क बस स्टैंड पर यात्रियों का दबाव कम करने के लिए मसूदाबाद बस स्टैंड से भी बसों का संचालन शुरू कर दिया है। यहां से दिल्ली की ओर अतरौली, नरौरा, रामपुर, हल्द्वानी, मुरादाबाद, चंडौस, पिसावा की ओर से जाने वाली बसें संचालित होंगी। इनमें अतरौली, नरौरा, मुरादाबाद, अनूपशहर, डिबाई की ओर जाने वाली बसें बरौला बईपास से ही आएंगी और जाएंगी। इसी तरह गांधीपार्क बस स्टैंड से कासगंज, एटा, आगरा, मथुरा की बसों का संचालन होगा। इधर, सूतमिल चौराहा स्थित बस स्टेशन से बल्लभगढ़, नोएडा, मेरठ, मुजफ्फनगर, हरिद्वार, देहरादून, सहारनपुर की ओर जाने वाली बसें चलेंगी। राजस्थान राज्य में संचालित होने वाली समस्त बसें भी यहीं से चलेंगी।


इनका कहना है

दिल्ली व नोएडा की तरफ से आने वाले यात्रियों का दबाव बढ़ा है। इसके लिए सौ बसें भेजी गई थीं। इसके अलाव अन्य रूटों पर जरूरत के हिसाब से बसें चलाई जा रही हैं। इनमें कोरोना की गाइडलाइन का पूरा पालन कराया जा रहा है।-वाइपी सिंह, एआरएम


ट्रेनों में सामान्य रूप से यात्री आ रहे हैं। भीड़ बढ़ने जैसी कोई बात नहीं है। स्टेशन पर कोरोना की रैंडम चेकिंग भी हो रही है। साथ ही शारीरिक दूरी के साथ ही यात्रियों का प्रस्थान करवाया जा रहा है।-संजय शुक्ला, सीएमआइ

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