Today Breaking News

मायावती के करीबी बामसेफ के संस्थापक पूर्व सांसद बलिहारी बाबू का निधन

गाजीपुर न्यूज़ टीम, आजमगढ़. कभी बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम के खासमखास रहे पूर्व राज्यसभा सांसद बलिहारी बाबू का बुधवार रात निधन हो गया। आल इंडिया बैकवर्ड एंड माइनॉरिटी कम्यूनिटीज एम्प्लाई फेडरेशन (बामसेफ) को संगठित करने वाले बलिहारी बाबू 17 अप्रैल से ही बुखार, सर्दी, खांसी, जुकाम से पीड़ित थे। मंगलवार की आधीरात के बाद अचानक सांस लेने में उन्हें परेशानी होने लगी।

बुधवार की रात ढाई बजे सदर अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। खास ये रहा कि कोरोना जैसे लक्षण के बावजूद उनकी एंटीजन टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव थी। उनके निधन की खबर से राजनीतिक गलियारे में शोक की लहर है। वर्तमान में बलिहारी बाबू समाजवादी पार्टी में थे। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट कर उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए इसे अपूरणीय क्षति बताया।


सत्तर वर्षीय बलिहारी बाबू मूल रूप से रजिस्ट्री कार्यालय में कर्मचारी थे। कांशीराम के बहुजन आंदोलन से प्रभावित होकर उनके साथ बामसेफ को खड़ा करने में बलिहारी बाबू ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। कांशीराम के बताए रास्ते पर सरकारी कर्मचारियों को बामसेफ से जोड़कर परोक्ष रूप से राजनीति करते रहे। लेकिन 2006 में काशीराम के कहने पर ही सरकारी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया।


बहुजन समाज पार्टी ने 2006 में बलिहारी बाबू को राज्यसभा भेज दिया। बिना कार्यकाल पूरा किए ही 2009 में उन्होंने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद बलिहारी बाबू ने पार्टी छोड़कर कांग्रेस की सदस्यता ली। 2012 में विधान सभा, 2014 में संसदीय चुनाव में लालगंज सुरक्षित सीट से पराजित हो गए। 2017 में मायावती के कहने पर बसपा में वापसी की लेकिन वह ओहदा नहीं रहा। पार्टी में अनदेखी की वजह से मार्च में समाजवादी पार्टी की सदस्यता ली। बुधवार की दोपहर उनका अंतिम संस्कार राजघाट पर कर दिया गया। उनके पुत्र सुशील आनंद ने उन्हें मुखाग्नि दी।

'