देवदूत बन गए 'यमदूत', कलंकित कर रहे हैं अपना पेशा; दवाओं की कालाबाजारी में लिप्त
गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी खतरनाक लहर से जहां सरकार के साथ लोग अपने को किसी तरह से बचाने में लगे हैं, वहीं धरती के भगवान कहे जाने वाले लोग ही अपने पेशे को कलंकित कर रहे हैं। लखनऊ, कानपुर और गौतमबुद्धनगर में कालाबाजारी करने वाले अधिक पकड़े गए।
प्रदेश के कुछ डॉक्टर्स के साथ ही मेडिकल स्टॉफ और दवा के विक्रेता रेमडेसिविर इंजेक्शन के साथ अन्य दवाओं की कालाबाजारी या फिर नकली दवा बनाने में लगे हैं। जहां हजारों डॉक्टर्स कोरोना संक्रमित हैं, वहीं चंद डॉक्टर्स इस महामारी से लोगों को बचाने में महीनों से अपने घर नहीं जा रहे हैं। खुद संक्रमण से उबरने के बाद फिर से अभियान में लग गए हैं, वहीं कुछ ऐसे भी हैं, जिन्होंने इस पेशे को कलंकित कर दिया है। बड़े मेडिकल संस्थानों का नाम दवाओं की कालाबाजारी में आने के मामलों के बाद पुलिस भी सक्रिय हो गई और प्रदेश भर से करीब दो दर्जन को गिरफ्तार किया गया है। अब इनके खिलाफ रासुका तथा गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई होगी।
लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज के स्टाफ के साथ ही लारी कॉर्डिलियोजी व क्वीनमेरी अस्पताल के कर्मियों के साथ प्रयागराज के स्वरूप रानी मेडिकल कॉलेज के कर्मी इंजेक्शन ब्लैक में बेचने के साथ नकली दवा के धंधे में उतर पड़े हैं। इनके अंदर तो सेवा भाव खत्म हो गया है, जबकि नौकरी में आने के दौरान ही यह लोग निस्वार्थ सेवा करने की शपथ लेते हैं। मेरठ में बड़ा मेडिकल कॉलेज भी इस धंधे में लिप्त हो गया है। मेरठ में सर्विलांस की टीम ने सुभारती मेडिकल कालेज में बेहद उपयोगी मानी जा रही रेमडिसिवर इंजेक्शन की कालाबाजारी का बड़ा पकड़ा है। सुभारती मेडिकल कॉलेज के ट्रस्टी और उनके बेटे के खिलाफ कालाबाजारी कराने का मुकदमा दर्ज कर लिया है। इसके साथ ही सुभारती मेडिकल कालेज के दो कर्मचाारियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
मेरठ में सुभारती कोविड अस्पताल में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी का राजफाश होने के बाद बड़ों पर तो अभी पुलिस ने हाथ नहीं डाला है, लेकिन एक कर्मचारी और डॉक्टर को पकड़ा है। यहां पर एक दारोगा को यह लोग 30 हजार रुपया में एक इंजेक्शन दे रहे थे। यहां पर काफी शिकायत मिलने के बाद स्टिंग ऑपरेशन किया गया। सुभारती को पश्चिमी उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा कोविड अस्पताल माना जाता है। यहां पर 2400 का इंजेक्शन 30 हजार में बेचा गया। अस्पताल को सरकारी कोटे से संक्रमितों के उपचार के लिए इंजेक्शन दिया गया था, जिसको यह लोग बेच रहे हैं। दोनों आरोपित को इंजेक्शन नकदी समेत पकड़ा गया है।
यह सुभारती अस्पताल में नर्सिंग स्टाफ हैं। सुभारती के ट्रस्टी अतुल कृष्ण और उनके बेटे कृष्ण मूर्ति के खिलाफ मेरठ के जानी थाना में केस दर्ज किया गया है। सुभारती मेडिकल कालेज के कोविड वार्ड स्थित सैकेंड फ्लोर पर गाजियाबाद के कविनगर निवासी शोभित जैन भर्ती थे। शोभित जैन को लगाने के लिए परिवार के लोगों ने रेमडिसिवर इंजेक्शन सुभारती के वार्ड में काम करने वाले कर्मचारियों को दे दिया। उसके बाद इंजेक्शन को सुभारती कालेज के बाहर 25 हजार में बेचा जा रहा था। सूचना के बाद पुलिस ने सुभारती के कर्मचारी आबिद व अंकित को गेट पर ही दबोच लिया। दोनों ने सॢवलांस की टीम के साथ हाथापाई कर दी। उसके बाद अंदर से सुभारती के स्टाफ ने पुलिस से इंजेक्शन छीनने की कोशिश की। बाद में पुलिस बल बुलाकर आबिद और अंकित को पकड़ लिया। पूछताछ में सामने आया कि इंजेक्शन की जिम्मेदारी सुभारती ग्रुप के ट्रस्टी अतुल कृष्ण भटनागर की थी। उनके बेटे डा. कृष्ण मूॢत के नेतृत्व में इंजेक्शन मरीज को लगाया जाना था। पुलिस ने जानी थाने में अतुल कृषण भटनागर, उनके बेटे डा. कृष्ण मूर्ति, कर्मचारी आबिद और अंकित को रेमडिसिवर की कालाबाजारी में नामजद कर दिया। साथ ही आबिद और अंकित को गिरफ्तार कर लिया। एसएसपी अजय साहनी ने बताया कि सुभारती में रेमडिसिवर की कालाबाजारी में बड़ा नेटवर्क काम कर रहा था। मरीजों को देने वाले इंजेक्शन के बाद वाटर लगा दिया जाता है। उसके बाद इंजेक्शन को बाहर ब्लैक में 25 हजार का बेचा जा रहा था। इसी के चलते एक मरीज की मौत भी हो चुकी है।
लखनऊ में नकली दवा के दस सौदागर गिरफ्तार: पुलिस ने नकली दवाओं के दस सौदागरों को लखनऊ गिरफ्तार किया। पुलिस ने उनके पास से 218 इंजेक्शन, 2.38 लाख से अधिक रुपये, बिक्री में प्रयुक्त बाइक और स्कूटी समेत तीन वाहन बरामद किए हैं। आरोपितों में अधिकतर केजीएमयू, लारी, क्वीनमेरी के मेडिकल स्टाफ और दो दवा व्यापारी हंै। पुलिस ने बताया कि गिरोह का नेटवर्क कई जनपदों में फैला है। एडीसीपी मध्य चिरंजीव नाथ सिन्हा ने बताया कि पकड़े गए आरोपितों में अलीगंज मुसाफिर खाना सुलतानपुर निवासी विकास दुबे केजीएमयू में नर्सिंग तृतीय वर्ष का छात्र है। सीतापुर रोड खदरा निवासी कौशल शुक्ला डीफार्मा कोर्स कंप्लीट कर चुका है। सोनभद्र के गेंदी गांव का निवासी अजीत मौर्या लारी अस्पताल के ओटी में टेक्नीशियन है जबकि बलरामपुर के शंकरपुर का निवासी राकेश तिवारी क्वीनमेरी अस्पताल में स्टाफ नर्स है। इनके पास से 91 नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन, चार मोबाइल फोन, एक स्कूटी और 5250 रुपये मिले हैं।
11 इंजेक्शन के साथ दो दवा व्यापारी भी दबोचे : लखनऊ में अमीनाबाद थाने के इंस्पेक्टर आलोक कुमार राय ने नजीराबाद चौकी के पास शुक्रवार दोपहर रेमडेसिविर इंजेक्शन की डिलीवरी देने पहुंचे आमिर अब्बास निवासी कश्मीरी मोहल्ला सआदतगंज और सौरभ रस्तोगी निवासी नारायण दास लेन यहियागंज को गिरफ्तार किया। पुलिस ने उनके पास इंजेक्शन बिक्री के 39 हजार रुपये और 11 नकली इंजेक्शन बरामद किए हैं। इंस्पेक्टर ने बताया कि आमिर अब्बास का बाजारखाला में मेडिकल स्टोर है और सौरभ रस्तोगी का पुरानी मेडिसिन मार्केट में दवा का काम है। उन्हेंं एक दवा कंपनी का एमआर इंजेक्शन उपलब्ध कराता था। इंजेक्शन को प्रिजर्व करके फारेंसिक साइंस लैब में जांच के लिए भेजा गया है।
25 हजार में बेचते थे एक इंजेक्शन, चार गिरफ्तार: लखनऊ में नाका पुलिस ने केजीएमयू के संविदा कर्मी राम सागर समेत चार लोगों को रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करते हुए गिरफ्तार किया। उनके पास से 116 इंजेक्शन, 194310 रुपये और तीन बाइक बरामद की हैं। एडीसीपी पश्चिमी राजेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि आरोपितों में राम सागर गोंडा के कंजलपुर, मनकापुर का निवासी हैस जबकि लखनऊ के राजाजीपुरम सेक्टर ई निवासी अमनदीप मदान स्कोप हास्पिटल का कर्मचारी है। दो अन्य आरोपितों में अंकुर वैश्य निवासी मोहनलालगंज बनियाखेड़ा, अंशु गुप्ता निवासी संडीला राजा का हाता, हरदोई हैं। इन्हेंं बाराबंकी निवासी रितांशु मौर्या इंजेक्शन उपलब्ध कराता था। एक इंजेक्शन 25 हजार रुपये में बेचते थे।
प्रयागराज में तीन गिरफ्तार: कोविड-19 को लेकर रेडमेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वाले तीन लोगों को पुलिस ने शुक्रवार देर शाम गिरफ्तार किया। इनका एक साथी भाग निकला। उसके पास रेडमेसिविर इंजेक्शन थे, जिसे बेचने के चारों चारों स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल के मुख्य द्वार पर आए थे। पुलिस ने इनके पास से तीन मोबाइल और चार हजार रुपये बरामद किए हैं। पूछताछ में इन्होंने कई और नाम बताए हैं, जिनकी तलाश में पुलिस टीम जुटी है। गिरफ्तार लोगों में विनोद कुमार निवासी बेगम सराय मुंडेरा धूमनगंज, राहुल शुक्ला निवासी आमगोदर शंकरगढ़ हालपता इंद्रपुरी कालोनी बैरहना और अनुराग यादव निवासी रामदेवरिया थाना कप्तानगंज जनपद आजमगढ़ हालपता पटेल नगर सोहबतियाबाग शामिल हैं। अजय विश्वकर्मा निवासी 40 नंबर गुमटी पंडिला महादेव थाना थरवई फरार हो गया। अजय के पास दो रेडमेसिविर इंजेक्शन थे, जिसे 50 हजार रुपये में बेचना था। इसके लिए खरीददार से बातचीत हो चुकी थी और वह यहां आने वाला था। तीनों ने बताया कि वाट््सएप चैटिंग के माध्यम से ये रेडमेसिविर इंजेक्शन लेने वालों से बातचीत करते थे। इन लोगों ने बड़ी संख्या में इंजेक्शन की कालाबाजारी की है। पुलिस अब इस गिरोह के मुख्य सरगना समेत अन्य की तलाश कर रही है। इनके गिरोह का सरगना एक डॉक्टर बताया जा रहा है।
लगेगा रासुका व गैंगस्टर: एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार का कहना है कि दवाओं व आक्सीजन की कालाबाजारी में पकड़े जा रहे आरोपितों के विरुद्ध रासुका (राष्ट्रीय मसुरक्षा काननू) व गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी।