बनारस में बस एक कॉल पर भर्ती से लेकर अंत्येष्टि...मां बीमार हैं, फिर भी कोरोना मरीजों की सेवा में जुटे
गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. कोरोना के कहर के चलते लोग अपनों से दूरी बना रहे हैं। ऐसे में वाराणसी का एक युवक कोरोना से बेखौफ लोगों को अस्पतालों में भर्ती कराने से लेकर श्मशान तक पहुंचाकर दाह संस्कार करवाने में दिन रात जुटा है। बात हो रही है वाराणसी के युवा अमन कबीर की। कोरोना संकट तो दूर, सामान्य दिनों में भी मदद के लिए अपनी बाइक ऐंबुलेंस लेकर चौबीसों घंटे हाजिर रहने वाले अमन कबीर इन दिनों खुद बीमार हैं तो उनकी मां की हालत भी ठीक नहीं हैं। मां को सांस लेने की दिक्कत है। बावजूद इसके अमन गजब का जज्बा दिखा रहे हैं।
कोरोना की घातक दूसरी लहर के दौर में भी उनकी दिनचर्या रोजाना बेसहारों को इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाने या फिर मृत लोगों का अंतिम संस्कार से शुरू होती है। दिन हो या रात, अमन के मोबाइल फोन पर पुलिस से लेकर अस्पतालकर्मियों व आमजन के फोन की घंटिया बजती रहती है। जैतपुरा थाने की सरैंया पुलिस चौकी इंचार्ज ने अमन को फोन कर जलालीपुर में सड़क पर एक व्यक्ति के घायल पड़े होने की जानकारी दी। बस फिर क्या था, अमन अपनी बाइक ऐंबुलेंस लेकर तुरंत वहां पहुंचे और लावारिस को अस्पताल पहुंचाया।
लावारिस शवों का करते हैं अंतिम संस्कार
कबीरचौरा अस्पताल के कर्मचारियों ने फोन किया कि वहां रखे लावारिस शव को कोई छूने को तैयार नहीं है। अमन ने न कुछ सोचा और न ही देर की। अस्पताल से शव को बाइक ऐंबुलेंस पर लाद श्मशान पहुंचाया। बीते रविवार को लॉकडाउन में पांडेयपुर इलाके की आशा देवी नामक महिला को सांस लेने में दिक्कत होने लगी। घर पर कोई पुरुष सदस्य नहीं था। बेटी से सूचना मिलते ही अमन ने एक ऑटो रिक्शा का इंतजाम किया और आशा देवी को मंडलीय अस्पताल में लाकर भर्ती कराया।
एक दशक से कर रहे मदद
करीब एक दशक से सेवा में जुटे अमन ने बीते साल भी कोरोना संकट काल में नजीर पेश की। लॉकडाउन से लेकर अनलॉक तक में जब तमाम लोग अस्पतालों में भर्ती अपनों की जान बचाने को खून के लिए भटकते रहे। तब एक-दो नहीं, दर्जनों लोगों के साथ खड़े होकर अमन उन्हें नया जीवन दिया। आवाजाही पर पूरी तरह रोक के बीच गरीब परिवार के लोगों के शवों को ऐंबुलेंस से उनके घरों तक पहुंचाने की व्यवस्था भी अमन कबीर ने कराई। लोगों के सहयोग से ऐंबुलेंस का भाड़ा भी दिया। सड़कों पर पड़े बीमार-बुजुर्गों को अस्पताल पहुंचाया तो कई बिछुड़ों के परिजनों को खोजकर मिलवाया भी।