मुख्तार अंसारी के करीबी मेराज सहित कई बदमाशों की वाराणसी जेल बदली
गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी, जिला कारागार में बंद मुख्तार के करीबी मेराज समेत पांच बदमाशों को शासन के आदेश पर शनिवार को कड़ी सुरक्षा के बीच दूसरे जनपद के कारागार भेज गया। मऊ सदर के विधायक मुख्तार अंंसारी के सहयोगी अशोक विहार कालोनी फेज-1 निवासी मेराज अहमद खान पर फर्जी तरीके से पिस्टल का लाइसेंस का नवीनीकरण कराने के आरोप में पांच सितंबर 2020 को जैतपुरा थाना प्रभारी के तहरीर पर मुकदमा दर्ज हुआ था। इनमें से लंका थाने का हिस्ट्रीशीटर सीरगोवर्धनपुर निवासी अशोक यादव 25 अगस्त 2020 की रात चंदौली जिले के मुगलसराय थाना के चंदासी स्थित कोयला मंडी के समीप पुलिस मुठभेड़ में गिरफ्तार कर किया था।
तीन अक्टूबर 2020 को आरोपित मेराज ने जैतपुरा थाना क्षेत्र के सरैया चौकी में जाकर समर्पण कर दिया था। जिसके बाद से जिला कारागार में निरुद्ध था। मेराज अहमद को जिला कारागार वाराणसी से चित्रकूट लंका थाना क्षेत्र के हिस्ट्रीशीटर अशोक यादव को कासगंज व ठीकेदार बलवंत सिंह की हत्या में आरोपित पंकज चौबे को उन्नाव व हत्या के मामले में आरोपित प्रयागराज निवासी आशीष सिंह व औराई निवासी रोशन सिंह को बरेली के सेंट्रल जेल में स्थानांतरित किया गया है।
पंचायत चुनाव के साथ ही प्रदेश में साल भर के भीतर होने वाले विधानसभा चुनावोंं के मद्देनजर शासन की निगाह जेलों में बंद बदमाश और उनके माफियाओं से लगाजार जेलों से संपर्क को देखते हुए कार्रवाई की पूर्व में ही आशंका जताई जा रही थी। पूर्व में लोगों का जेल में उनसे मुलाकात करने का भी इतिहास सामने आने के बाद से ही सुरक्षा एजेंसियां सतर्क थीं। वहीं मुख्तार के पंजाब से यूपी वापस न होने को लेकर भी मुख्तार गिरोह को लेकर शासन और प्रशासन में काफी चर्चा रही है। अब शासन की ओर से जेल में अवैध गतिविधियों को अंजाम दिए जाने की आशंका और जानकारियां सामने आने के बाद से ही जिला जेल में इनके स्थानांतरण की प्रक्रिया पूर्व में ही शुरू की जा चुकी थी। पूर्वांचल की महत्वपूर्ण जेल में सुरक्षा और सतर्कता को देखते हुए इनको दूसरे जेल भेजने की प्रक्रिया शुरू होने के बाद से ही कार्रवाई की तलवार लटक रही थी।
शनिवार को इस बाबत मामला उजागर होने के बाद जेल प्रशासन की ओर से बदमाशों के प्रदेश की अलग अलग जेलों में सभी को भेजे जाने की जानकारी दी गई। प्रशासन के अनुसार जेल से फोन पर धमकी देने का मामला उजागर होने के बाद से ही गिरोह के लोग निगरानी पर रखे गए थे। जेल से ही बदमाशों की अवैध गतिविधियां जारी थीं। मार्च की शुरुआत में जेल से धमकी दिए जाने का एक मामला उजागर होने के बाद सुरक्षा एजेंसियों की निगाह जेल में बंद मुख्तार गिरोह पर लग गई और आनन फानन रणनीति और कार्रवाई के तहत जेल में अवैध गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए सभी को अलग अलग जेलों में भेजकर जेल से अपराध की गतिविधि चलाने को लेकर कार्रवाई तय मानी जा रही थी।