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पंचायत चुनाव में नए सिरे से लागू होगा आरक्षण, योगी कैबिनेट ने दी मंजूरी

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में नए सिरे से आरक्षण आवंटन किया जाएगा। मंगलवार को योगी आदित्यनाथ कैबिनेट ने वर्ष 2015 को आधार मानकर आरक्षण निर्धारित करने के लिए हरी झंडी दे दी है। बुधवार को नए आरक्षण फार्मूले का शासनादेश जारी किया जाएगा।

पंचायतीराज मंत्री भूपेंद्र सिंह ने बताया कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के 27 मार्च तक आरक्षण व आवंटन की प्रक्रिया पूरी करने के लिए दिए आदेश का पालन किया जाएगा। इसके लिए वर्ष 2015 को आधार वर्ष मानकर आरक्षण प्रक्रिया चक्रानुक्रम के अनुसार आगे बढ़ायी जाएगी। इसके लिए उत्तर प्रदेश पंचायतराज स्थानों और पदों का आरक्षण व आवंटन नियमावली 1994 के नियम-2 में उपनियम-घ में पूर्ववर्ती निर्वाचनों का तात्पर्य पंचायत सामान्य निर्वाचन 2015 और पश्चातवर्ती सामान्य निर्वाचनों से है, को जोड़ने को मंत्रि परिषद ने स्वीकृति प्रदान कर दी।


पंचायतीराज मंत्री भूपेंद्र सिंह ने बताया कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेशानुसार 25 मई तक पंचायत चुनाव प्रक्रिया पूरी करा ली जाएगी। बुधवार को नई आरक्षण प्रक्रिया का आदेश जारी किया जाएगा। 27 मार्च तक आरक्षण निर्धारण भी पूरा हो जाएगा।


क्षेत्र व जिला पंचायतों में फंसेगा पेच : आरक्षण आवंटन निरस्त होने के बाद मंगलवार को पंचायतीराज विभाग में नई व्यवस्था को लेकर माथापच्ची जारी रही। सूत्रों का कहना है कि ग्राम प्रधान व ग्राम पंचायत सदस्य के लिए वर्ष 2015 को आधार मानकर आरक्षण चक्र को आगे बढ़ाने में अधिक समस्या नहीं है, परंतु जिला व क्षेत्र पंचायत सदस्यों में पेच फंस सकता है। बता दें कि पूर्ववर्ती सपा सरकार के कार्यकाल में ग्राम पंचायतों में आरक्षण को शून्य मानकर वर्ष 2015 से आरक्षण तय किया गया। जिला व क्षेत्र पंचायतों में वर्ष 1995 को ही आधार मानकर आरक्षण किया गया था। वर्ष 2015 को आधार मानकर नए सिरे से आरक्षण निर्धारित किया गया तो व्यापक स्तर पर आरक्षण में बदलाव होगा। ब्लाकवार होने वाले ग्राम पंचायत प्रधानों व सदस्यों के आरक्षण में 20-30 प्रतिशत परिर्वतन संभव है।


आपत्तियों को मिलेंगे तीन दिन : हाई कोर्ट द्वारा निर्धारित 25 मई तक चुनाव कराने में पेच फंसने से इनकार नहीं किया सकता। नया आरक्षण फार्मूला लागू हो जाने के बाद आपत्ति मांगी जाएगी। पंचायतीराज विभाग के अधिकारियों का कहना है कि आपत्ति दर्ज करने के लिए अधिकतम तीन दिन दिए जा सकते है। आबादी का पूरा डाटा मौजूद है, इसलिए नए फार्मूले पर आरक्षण निर्धारित करने में अधिक समय नहीं लगेगा।


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