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कहानी: कुहासा छंट गया

आज आभा को  बात करने केइस  ढंग पर हसी आ गयी , अनिल जब उसके पास आया तो वह जोर से हसने लगी ''माँ भी न ! कितने ताने ''

माया अपने रूम में लेटी टी वी देख रहीं थी कि  उन्हें अपने बेटे अनिल की फ़ोन पर जोर जोर से बोलने की आवाज आयी , उन्होंने टी वी की आवाज बंद की , कान बेटे की चिंतित आवाज पर  लगा दिए , अनिल किसी से  कह रहा था , डॉक्टर साहब , आभा  आपकी पेशेंट है , उसकी कमर  में अचानक फिर कुछ हो गया है , आप सोसाइटी में ही तो हो,  आपको तो पता ही है , अभी लॉक डाउन में हमारी सोसाइटी का  मेडिकल स्टोर फिलहाल बंद है , कुछ तो आपके पास दवाई होगी , आप कहो तो  मैं आकर आपके यहाँ से  ले जाता हूँ ”


फिर माया को अंदर लेटे  लेटे समझ आ गया कि  उनकी बहू आभा को कमर में कुछ दर्द है.उनका मन हुआ , जाएँ , देखें कि आभा को क्या हुआ है , उठ कर बैठीं  , फिर लेट गयीं , सोचा , छोड़ो , कुछ भी  कहूँगी , उल्टा ही जवाब देगी.निपटें खुद ही उन्होंने फिर टी वी देखना शुरू किया ही था कि बेटे के अंदर आते ही फिर टी वी बंद करके उसका मुँह देखने  लगी , इतने में पीछे पीछे पांच साल  की पोती  टिनमिन भी  आ गयी , ” दादी , क्या देख  रही हो ?” उनके कुछ बोलने से पहले ही बेटे ने परेशान होते हुए कहा ,” माँ , आभा लैपटॉप पर शायद बहुत देर से कुछ काम कर रही  थी , अचानक  उठी तो बहुत बुरा बैकपेन हुआ , अब तो हिल भी नहीं  पा रही , डॉक्टर से बात हुई  , वह कह रही है कि उनकी बिल्डिंग में एक कोरोना का केस हो गया है , बिल्डिंग सील्ड है , वह कुछ दवाई नहीं दे पाएंगीं , बस रेस्ट बोल दिया”

”तो मैं क्या करूँ ?”

”टिनमिन को नाश्ता देना है , और हमें भी भूख लगी है  कुछ बना दो , माँ ”

” मेरा बनाया उसे पसंद आएगा ?”

”चलो न , माँ , छोड़ो न अभी यह , भूख लगी है ”


अपने रूम में लेटी आभा भी यह बातचीत सुन रही थी , सास पर हमेशा की तरह गुस्सा तो बहुत आया , पर मजबूरी थी .दर्द के मारे हिला भी नहीं जा रहा था.माया सीधे उठ कर किचन में गयी , टिनमिन भी उनके साथ  साथ किचन के एक स्टूल पर बैठ गयी , माया को अच्छा लगा , आभा तो टिनमिन को उनके पास आने से अक्सर किसी न किसी बहाने रोक लेती है , वह जानती हैं. माया ने सबसे पहले पानी गर्म करके हॉट वाटर बैग में रखा , टिनमिन को ऊपर से पकड़ा कर कहा ,” बेटा जाओ , अपनी माँ को देकर  आओ , सिकाई करेगी तो  आराम मिलेगा ”


अनिल ने देखा तो मुस्कुरा दिया , माया ने घूरा ,” हसो मत , देख कर आओ कि सिकाई कर रही है या नहीं ” अनिल फिर हस दिया , माया ने  फिर आभा की ही पसंद को ध्यान में रखते हुए जल्दी से वेज चीले की तैयारी कर ली , अनिल और टिनमिन के लिए थोड़ा सा सूजी का हलवा भी बना दिया , अनिल भागता सा आया ,” माँ , क्या बना लिया इतनी जल्दी ?” बहुत अच्छी खुशबू आ रही है ” माया को बेटे पर खूब प्यार आया , सब नाश्ता प्लेट्स में लगा दिया , कहा , तुम लोग  गर्म गर्म शुरू करो ,” फिर पास खड़ी टुकुर टुकुर देखती टिनमिन से कहा ,” रानी बेटी मम्मी पापा के लिए गर्म गर्म चीले ले भी जाएगी और खाती भी  रहेगी ”


”हाँ , दादी , मैं आपकी हेल्प करुँगी ”


अनिल तो हलवा प्लेट में से चाट चाट कर खा गया , तकिये का टेक लगाए आभा ने कितने ही चीले  खा लिए , उसे पता ही  नहीं चला , पेट भर गया था , पर नीयत भर ही नहीं रही थी , टिनमिन को किचन के भाग भाग कर चक्कर काटने में खूब मजा आ रहा था , आखिर में माँ की अदरक  वाली  चाय पीकर तो अनिल का चेहरा खिल उठा  आभा ने फिर एक पेन किलर लिया और लेट गयी. अनिल और टिनमिन ने मिलकर सब बर्तन उठाकर किचन में रखे । अनिल ने  कहा ,” माँ , आप बर्तन धोना मत , मैं थोड़ा ऑफिस का काम करके धो लूँगा. अभी भी आपने काफी काम कर दिया , आराम कर लो .”


” मुझे इतना आराम का शौक नहीं है जितना तुम्हारी पत्नी को  लगता है , उसे ही मेरा काम पसंद नहीं आता तो मैं भी क्यों फिर मेहनत करूँ? यह सोचकर उसे कुछ बोलना ही छोड़ दिया . खैर , शायद उसे अब मेरा काम करना बुरा न लगे , तो मैं सब संभाल लूंगी , तुम चिंता न करो .”


अपने रूम  में लेटी आभा को माँ  बेटे  की बात का एक एक शब्द सुनाई दिया , गुस्सा तो आया , लगा , माया उसे ही सुना  रही हैं , इस टाइम मजबूरी है , कुछ कह नहीं सकती  , सुनना ही पड़ेगा . लेटे लेटे आभा माया के बारे में ही सोचने  लगी , वह नहीं चाहती कि माया उसकी घर गृहस्थी में कभी दखल दें , इसलिए उसने हमेशा उनसे एक दूरी  ही बनाये रखी, वह भी ऑफिस जाती है, दिन भर के लिए देवकी बाई आकर सारे काम करती है , वह माया से ज्यादा तो देवकी को सम्मान और स्नेह देती है कि कहीं भाग न जाए , अब लॉक डाउन के टाइम देवकी को आये एक महीना हो रहा है , मुंबई की हालत खराब है , पता नहीं कब तक देवकी आ पायेगी , उसकी हालत खराब हो रही है , घर के काम और ऑफिस के काम संभालने में ही आज कमर जवाब दे गयी.


कई सालों से  वह माया के साथ जिस तरह का व्यवहार कर रही है , वह सास भूल थोड़े ही जाएगी , कम अड़ियल थोड़े ही न हैं , एक बार कुछ बुरा लग जाता है तो पीछे हट जाती हैं , यह अच्छी बात है कि लड़ती झगड़ती नहीं , थोड़े  ताने मार देती हैं , उसे याद आया एक बार ऐसे ही उसकी तबीयत खराब हुई तो माया जब उसके कमरे में आकर उसके हाल पूछने लगीं तो उसने  कितने रूखे तरीके से कहा था कि आप चिंता न करो , देवकी है , आपसे ज्यादा तो उसे मॉडर्न तरीके पता हैं , आपके घरेलू पुराने तरीके मेरे किसी काम के नहीं ।” उसे गुस्से में घूर कर रह गयीं थी माया , उसके बाद उससे उसकी तबीयत कभी नहीं पूछी थी , और आज भी तो उसके पास एक बार भी नहीं आयीं , हैं तो बहुत अड़ियल , खैर , अभी तो मजबूरी है.


अनिल लैपटॉप पर बैठ गया , टिनमिन कार्टून देखने लगी , माया धीरे धीरे बर्तन धोने लगी , कहीं आभा की आँख लग गयी हो , शोर से खुल न जाए , काम करते करते माया सोच रही थी , उच्च शिक्षित आभा जब बहू बनकर आयी तो उन्होंने कभी यह न सोचा था कि एक ही बहू , और वह भी अपनी शिक्षा और नौकरी का घमंड करने वाली होगी , उनके पति तो कबका इस दुनिया से  जा चुके थे , अनिल के साथ मुंबई के इस थ्री बैडरूम में वह खुश थीं , पर आभा उन्हें पता नहीं क्यों इतना दूर दूर रखतीं , एक दीवार सी खड़ी रहती दोनों के  बीच में , अनिल सैंडविच सा बना रहता , बेटे की लाइफ में कभी कोई  प्रॉब्लम न हो , इसलिए वह कभी लड़ती झगड़ती नहीं.


अनिल काम के बीच में एक ब्रेक लेकर उठा , हैरान हुआ ”माँ , इतना काम क्यों  निपटा  लिया ? मैं हेल्प करता हूँ ”” देखो , आभा को कुछ  आराम है ?”आभा को दर्द तो था , अनिल ने फिर  डॉक्टर से बात की  , इस समय  सिर्फ रेस्ट करना ही सलाह दी गयी , माया ने  सरसो  का  तेल गर्म होने रखा , उसमे अजवाइन और कुछ लहसुन की  कलियाँ  डाली , फिर छानकर अनिल को कटोरी देकर कहा ,” इस तेल से आभा  की  कमर  में मालिश करते रहो , बहुत आराम मिलेगा , और आराम ही करे , काम सब हो जायेंगें  ” टिनमिन दादी के आगे पीछे घूमती खूब खुश थी. अब तक माया आभा के पास खुद नहीं गयी थी , यही चलता आया था , दोनों शायद ही कभी मिलकर साथ बैठी थीं , माया के मन में भी आभा के स्वभाव पर गुस्सा रहता था , पर अब उसकी चिंता भी थी. आभा को तेल मालिश से जादुई तरीके से आराम मिल रहा था , माया के कमरे में सुबह की धूप बहुत अच्छी आती थी , उन्होंने अनिल से कहा ,” मेरी तो सुनेगी नहीं वह , उसे कहो , थोड़ा मेरे रूम में  सुबह आकर बैठ जाए , मुझे तो एक बार बोल  दिया था , कि मैं विटामिन डी के कैप्सूल खा लेती हूँ , देख लो , अभी दर्द में शायद तुम्हारी सुन ले । ” माया जो भी अनिल से कहतीं , इतनी जोर से कहतीं कि आभा को सुनाई दे जाए .” इस समय भी जब अनिल उसके पास गया , वह आज हंस पड़ी,


”हाँ , हाँ , सुन लिया , बैठ जाती हूँ धूप में , और माँ को बोलो , मुझे सब्जी दे दें  , बैठे बैठे काट दूँगी , अकेले कितना काम करेंगीं ”


” खुद नहीं बोल सकती तुम ?”


”वे मुझसे कहाँ सीधे बात करेंगीं , अभी तक एक बार भी मेरे पास नहीं आयी ”


”तुम ही तो कभी यही चाहती थी  डिअर , कि वे तुम्हारे आसपास  भी न रहें , इतना सेल्फ रेस्पेक्ट तो हो सकता है न उनमे ?” आभा चुप रह  गयी. अब सब काम माया ने अपने हाथ में ले लिया था , आभा बस थोड़ा भी उठ रही थी तो उसकी तकलीफ बढ़ रही थी .


वह अपना थोड़ा बहुत ही कर पा रही थी , टिनमिन की तरफ से वह कभी इतनी बेफिक्र नहीं रही थी , देवकी का बनाया आधा खाना टिनमिन छोड़ देती थी , आधा फेकना ही पड़ता था , कभी मिर्च तेज लगती , कभी टेस्ट समझ नहीं आता , शुरू शुरू में कितनी ही बार माया ने कहा था आभा , बच्चा मेड का बना क्यों खाये , मैं आराम से किचन का काम कर सकती हूँ , खाना तो अपने हाथ का ही होना चाहिए , जब तक कोई परेशानी या मजबूरी न हो . मेरी थोड़ी सी भी हेल्प वह कर दे तो मैं बना लिया करुँगी , तुम आराम से  ऑफिस देखो .” वह तुनक कर बोली थी ,” डोंट वरी माँ , हम कुक अफ्फोर्ड कर सकते हैं.” उस दिन के बाद माया ने इस टॉपिक पर बात ही नहीं की थी. टिनमिन तो जैसे दादी के खाने की फैन हो गयी थी , जो माया बनातीं, टिनमिन शौक से खाती  घर जैसे देवकी के बिना चल रहा था , आभा हैरान थी , उसकी कमर में तकलीफ होने से  पहले देवकी के न होने पर भी माया ने कोई हेल्प ऑफर नहीं की थी , और अब सब ऐसे संभाल लिया था जैसे कबसे ये सब काम ऐसे ही चल रहे हों  आभा को पांचवें दिन से कुछ आराम होना शुरू हुआ , माया ने अनिल को जरा तेज आवाज में कहा जिससे आभा भी सुन  ले ,” उसे कह दो , आराम हो भी गया हो तो एक साथ सब काम शुरू करने की जरुरत नहीं है , पीछे टेक लगाकर आराम से बैठ कर थोड़ा बहुत ऑफिस का  जो जरुरी हो , वह कर ले , उसकी देवकी आ जाएगी तो फिर वह जाने , देवकी जाने , फिलहाल मेरे काम से ही खुश रहे ”


आज आभा को  बात करने केइस  ढंग पर हसी आ गयी , अनिल जब उसके पास आया तो वह जोर से हसने लगी ”माँ भी न ! कितने ताने ”

अनिल को भी हसी आ रही थी. आभा सोच रही थी कि आज तक वह गलत कर रही थी , यह माँ का घर भी तो  है , वह कितना गलत कर रही  थी , घर की मेड से भी अच्छा व्यवहार करती है और माँ से इतना बुरा जैसे उसे उनकी जरा भी जरुरत नहीं , सच तो यह है कि उसे ही उनकी जरुरत है , उनके स्नेह से आजकल घर कितना अलग लग रहा है , टिनमिन कितनी खुश है उनके साथ ! इस परेशानी के समय में उसकी सारी बदतमीजियां भुला कर सबका ध्यान रख रही हैं , माँ के इस स्नेह का कोई विकल्प नहीं हो सकता ! उसकी आँखों से जैसे एक पर्दा सा हट गया , इतने में माया की आवाज आयी ,” टिनमिन , ले , ये फल अपनी मम्मी को खिला दो , इतनी दवाई खा रही है , पेट जलता होगा ”


” जी , दादी ”


आज आभा को शरारत सूझी , वहीँ से बोली ,” टिनमिन , दादी को बोलो , मैं फल तभी खाउंगी , जब वे मेरे पास आकर बैठेंगी ”


माया ने जवाब दिया ,” मुझे और भी काम हैं , टिनमिन ”


आभा ने फिर कहा , ” मेरे पास बैठना सबसे जरुरी काम है , टिनमिन दादी को बता दो ” टिनमिन को तो इस खेल में ही मजा आने लगा , वह जोर जोर से हसी , अब दादी बोलेगी , अब दादी  का नंबर , ” उसके यह कहते ही सब हंस पड़े , अनिल ने माँ को प्यार से देखा , माया मुस्कुरा रही थीं , आभा ही उठ कर आ गयी , और चुपचाप माया से लिपट गयी , माया ने भी उसे सेहला सा दिया , टिनमिन ने कहा , दादी , अब कौन बोलेगा ?”


माया और आभा के मुँह से एक साथ  निकला ”दोनों ।” घर में काफी समय से फैला  दूरियों का एक  कुहासा आज जैसे छंटने लगा था.

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