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खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों से गांवों तक पहुंचेगा रोजगार, तीन लाख लोगों को फायदा

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. कृषि क्षेत्र का विकास और मिशन रोजगार, इन दो उद्देश्यों के साथ सरकार की नजर अब खास तौर पर खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों पर है। क्षेत्रवार कृषि उत्पादन को देखते हुए 62,122 नई इकाइयां स्थापित कराने की तैयारी है। इनसे लगभग बीस हजार करोड़ रुपये निवेश लाकर ग्रामीण क्षेत्रों में जल्द ही तीन लाख लोगों को रोजगार देने की तैयारी है।

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2017 में पूंजीगत अनुदान व ब्याज में छूट की सुविधा दी जा रही है। सरकारी प्रवक्ता के अनुसार, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की योजना खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को और अधिक सुविधाएं देकर बड़े निवेश लाकर ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अधिकतम अवसर उपलब्ध कराने की है। दावा किया है कि पिछले चार वर्ष में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में 10,500 करोड़ रुपये का रिकार्ड निवेश हुआ। सरकार ने अपनी खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2017 में बदलाव भी किया है। अब 20 हजार करोड़ रुपये से अधिक निवेश लाकर कुछ समय में करीब तीन लाख लोगों को रोजगार देने की योजना बनाई गई है।


इसके लिए क्षेत्रवार कृषि उत्पादन के मुताबिक इकाइयां लगाई जा रही हैं। अलीगढ़, बरेली, बुलंदशहर, कानपुर देहात, जौनपुर और मथुरा में दूध से बने उत्पाद, औरैया और कासगंज में घी, वाराणसी व देवरिया में हरी मिर्च, अमरोहा, लखनऊ व सीतापुर में आम, बस्ती, गोरखपुर व सिद्धार्थनगर में काला नमक चावल, कुशीनगर में केले के चिप्स तो पूर्वांचल में आलू व अन्य फसलों से जुड़ी इकाइयां लगाई जा रही हैं। इसी तरह पश्चिमी और मध्य उत्तर प्रदेश में मक्के की खेती को देखते हुए मक्का आधारित खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां लगाने पर सरकार का जोर है।


प्रवक्ता ने बताया कि सरकार कृषि प्रसंस्करण इकाइयों को मंडी शुल्क में छूट दे रही है। नए नियम बनाए गए हैं। प्रदेश की बड़ी मंडियों की खाली पड़ी जमीन पर कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग स्थापित करने की योजना तैयार की गई है। मंडी क्षेत्र में स्थापित होने वाली पांच करोड़ या इससे अधिक लागत वाली इकाइयों को पांच वर्ष के लिए मंडी शुल्क से छूट दी जा रही है।


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