Ghazipur: सड़क दुर्घटना में जवान की मौत, तिरंगा लेकर निकाली शवयात्रा
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. राजस्थान के जैलसमेर में सेना का वाहन पलटने से जान गवांने वाले सैनिक का पार्थिव शरीर सोमवार रात उसके पैतृक गांव पहुंचा। जवान की पार्थिव शरीर के आते ही परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया था, वहीं गांव में मातमी सन्नाटा छा गया। हर कोई जवान की एक झलक देखने को बेताब था। घर पर जवान को श्रद्धांजिल देने का क्रम बना रहा। वहीं मंगलवार को अंतिम संस्कार को ले जाते समय तिरंगा के साथ वाहनों का काफिला चलता रहा। जहां युवा जवान के अमर रहे का नारा लगते चल रहे थे।
थाना क्षेत्र के हैदरगंज गांव निवासी सेना के जवान 40 वर्षीय सुरेन्द्र कुशवाहा पुत्र सत्यदेव कुशवाहा अपने तैनाती स्थल से सेना के वाहन से 13 मार्च को जैलसमेर राजस्थान होते हुए तैनाती स्थल को जा रहे थे। तभी अचानक रास्ते में सेना का वाहन पलट गया। इससे वह उसमें गंभीर रूप से घायल हो गये। आनन-फानन में सेना के अधिकारियों की मदद से उन्हें वहीं के अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां करीब तीन-चार घंटे बाद ही इलाज के दौरान ही उन्होंने दम तोड़ दिया। वह पंजाब प्रांत के फिरोजपुर में सेना की 325 बटालियन में तैनात थे। निधन के बाद इसकी जानकारी सेना के अधिकारियों ने परिजनों को दी। इसके बाद सेना के वाहन से मंगलवार को उनका पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव हैदरगंज स्थित आवास पर लाया गया। पार्थिव शरीर को देख परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। वहीं पूरे गांव का माहौल गमगीन हो गया। उनका अंतिम दर्शन के लिए बड़ी संख्या में ग्रामीणों की भीड़ उमड़ पड़ी। इसके बाद जवान को श्रद्धांजलि देने के लिए तांता लगा रहा। उनका अंतिम संस्कार गाजीपुर शहर के श्मशानघाट पर किया गया। जहां उनके पार्थिव शरीर ले जाते समय हैदरगंज से गाजीपुर तक लंबा काफिला चलता रहा। इसमें शामिल युवक तिरंगा लहराते हुए दोपहिया, चारपहिया वाहनों पर चल रहे थे। वहीं सुरेन्द्र अमर रहे, जब तक सूरह चांद रहेगा, सुरेन्द्र नाम रहेगा आदि नारा लगाते चल रहे थे। जवान के अंतिम यात्रा को देख सड़क किनारे लोगों की भीड़ जुटती रही, जो उन्हें नम आंखों से विदा करते रहे।
पार्थिव शरीर से लिपटकर बिखता रहा परिवार वीर जवान की मौत के परिवार में कोहराम मचा रहा। लंबा काफिला गाजीपुर शहर के श्मशान घाट पर पहुंचा। जहां पूरे सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। मुखाग्नि उनके पिता सत्यदेव कुशवाहा ने दिया। उनके निधन से उनकी धर्मपत्नी गितांजलि देवी सहित उनके दो पुत्र संजीव (5) व सिद्धार्थ (3) का रो-रोकर बेहाल रहे। परिजन व गांव की महिलाएं उनका ढांढस बंधाती रहीं। वहीं पिता सत्यदेव कुशवाहा का भी ग्रामीण ढांढस बंधाते रहे। जवान सुरेन्द्र कुशवाहा दो भाई थे, जिसमें वह सबसे बड़े थे। उनके पिता व छोटा भाई गांव में ही खेती-किसानी का काम करते हैं। एक मात्र कमाऊ पुत्र के चले जाने से परिजनों को काफी मलाल है। वहीं जवान के परिजनों को सांत्वना देने वालों का तांता लगा रहा।