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सीतापुर जेल से दोनाली बंदूक बेचेंगे आजम खां, जानिए क्या है मामला

गाजीपुर न्यूज़ टीम, सीतापुर. धोखाधड़ी में बेटे के साथ सीतापुर जेल में बंद सपा सांसद आजम खां अब अपनी दोनाली बंदूक बेचेंगे। जेल अधीक्षक के माध्यम से उन्होंने इस संबंध में जिला प्रशासन से अनुरोध किया था, जिस पर प्रशासन ने उन्हें बंदूक बेचने की अनुमति दे दी है।

बीते वर्ष केंद्र सरकार ने शस्त्र नियमावली में परिवर्तन करते हुए दो से ज्यादा लाइसेंसी शस्त्र रखने पर पाबंदी लगाई थी। लेकिन, इस पाबंदी से पूर्व रामपुर जनपद में तमाम नेताओं ने तीन-तीन शस्त्र लाइसेंस बनवा रखे थे। ‌जिन लोगों के पास तीन शस्त्र हैं, उन्हें अपना एक लाइसेंस सरेंडर करना है। जैसे आजम खां के पास रिवाल्वर, रायफल और दोनाली बंदूक है। उनकी पत्नी रामपुर विधायक डॉ. तजीन फात्मा के पास राइफल और  बेटे अब्दुल्ला के पास रिवाल्वर का लाइसेंस है। आजम खां के भाई शरीफ खां, पूर्व मंत्री नवाब काजिम अली खां के पास भी दो से अधिक शस्त्र हैं। पूर्व विधायक एवं कांग्रेस नेता यूसुफ अली, पूर्व विधायक बीना भारद्वाज आदि पर दो से अधिक शस्त्र लाइसेंस होने पर जिलाधिकारी की ओर से पूर्व में नोटिस जारी किए गए थे। हालांकि, पूर्व में यह सीमा जनवरी में समाप्त हो रही थी, लेकिन अब शासन ने इसे जून तक बढ़ा दिया था।  डीएम के इस नोटिस के बाद पूर्व मंत्री नवेद मियां ने अपना एक लाइसेंस ट्रांसफर करा लिया। यूसुफ अली और बीना भारद्वाज ने तीसरा लाइसेंस सरेंडर कर दिया। अब आजम खां ने भी शस्त्र लाइसेंस सरेंडर करने की प्रक्रिया शुरू की है। इसके लिए उन्होंने पहले अपनी दो नाली बंदूक बेचने की अनुमति मांगी थी, जो प्रशासन ने दे दी है।


जिले में 15 हजार से अधिक शस्त्र लाइसेंस

जिले में कुल 15,400 लाइसेंसी शस्त्र हैं। इनमें करीब 100 लोग ऐसे हैं, जिनके पास तीन से ज्यादा लाइसेंसी शास्त्र रहे हैं। इनमें तमाम ने अपने लाइसेंस या तो सरेंडर कर दिए या फिर अपने बच्चों के नाम करा दिए हैं। लिहाजा, वे इस कार्रवाई की जद से बच गए हैं। रामजी मिश्र, सिटी मजिस्ट्रेट/प्रभारी अधिकारी शस्त्र बताते हैं कि जिन लोगों के पास दो से अधिक शस्त्र हैं, उन्हें अपना तीसरा शस्त्र सरेंडर करना है। इसके लिए जून तक का वक्त दिया गया है। पूर्व में समयसीमा जनवरी में खत्म हो रही थी। उस वक्त आजम खां समेत कई को नोटिस दिए गए थे। जिसके बाद आजम खां ने अपनी दो नाली बंदूक नंबर 4956 को बेचने की अनुमति जेल अधीक्षक के माध्यम से मांगी थी, जो दे दी गई है। इस संबंध में जेल अधीक्षक सीतापुर को पत्र भेजा गया है।

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