Ghazipur: मेडिकल कालेज के निर्माणाधीन अस्पताल का पोर्च धराशायी
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय के सामने बन रहे मेडिकल कालेज के 300 बेड के अस्पताल का पोर्च ढलाई के कुछ घंटे बाद ही बुधवार की रात धराशायी हो गया। संयोग अच्छा था कि उस समय मौके से सारे मजदूर हट गए थे, अन्यथा कई जाने चली जातीं। हादसा होते ही संबंधित अधिकारियों व निर्माण इकाई में हलचल मच गई। आनन-फानन सीएमओ डा. जीसी मौर्या सहित निर्माण इकाई के अधिकारी पहुंच गए और आवश्यक जांच-पड़ताल में जुट गए।
आरटीआइ मैदान में बन रहे मेडिकल कालेज के लिए सीएमओ कार्यालय के ठीक सामने स्थित मलेरिया विभाग के भवन को तोड़कर 300 बेड का अस्पताल बन रहा है। नौ मंजिल वाले इस भवन के निर्माण की लागत लगभग 100 करोड़ रुपये है। इसके पिलर का निर्माण आधा से अधिक हो चुका है। छत व पोर्च ढलाई के लिए कई दिन से सैटरिग लगाई जा रही थी। बुधवार अस्पताल के प्रवेश द्वार पर पोर्च की ढलाई हुई और इसके बाद सारे मजदूर वहां से चले गए। इसकी सैटरिंग जिला अस्पताल की ओर जाने वाले आधे रास्ते पर बनाई गई थी। अस्पताल जाने वाले वाहन काफी बचकर इससे निकल रहे थे। चर्चा है कि निर्माण की गुणवत्ता खराब होने से यह हादसा हुआ है लेकिन निर्माण इकाई के अधिकारी इन आरोपों को सिरे से खारिज कर रहे हैं।
नहीं बंद किया गया था रास्ता
इस निर्माणाधीन अस्पताल के ठीक पास से ही जिला अस्पताल को रास्ता जाता है। इस पर पूरे दिन लोगों का पैदल व वाहनों से आनाजाना होता है। रात को भी यह रास्ता चलता रहता है। जो सैटरिग गिरी है वह आधा इस रास्ते पर ही खड़ी की गई थी। इससे वाहनों व एंबुलेंस के आने-जाने के लिए काफी कम जगह बची हुई थी। निर्माण इकाई को इस रास्ते को ढलाई होने तक बंद कर देना चाहिए लेकिन उसने ऐसा नहीं किया।
पोर्च की ढलाई कर मजदूर वहां से हट गए थे। इसके काफी देर बाद उस रास्ते से कोई वाहन अस्पताल की ओर जा रहा था। उसका चालक नशे में था। हमारे गार्ड ने उसे जाने से मना किया लेकिन वह नहीं माना। उसके वाहन से सैटरिंग को धक्का लग गया, जिससे वह गिर गई। उस रास्ते पर आवागमन करने से मना किया जा रहा था लेकिन कोई मानने को तैयार नहीं था। रात को ही मलबा हटाकर पुन: ढलाई करने की कोशिश हो रही है। - पीएन सिंह, प्रोजेक्ट मैनेजर, राजकीय निर्माण निगम-आजमगढ़।
हम अपने कार्यालय में बैठे थे, तभी निर्माणाधीन मेडिकल कालेज की सैटरिग गिरने की सूचना मिली। हम लोग तत्काल मौके पर पहुंच गए लेकिन संयोग ठीक था कि उस समय कोई वहां मौजूद नहीं था। अगर नीचे कोई रहता तो वाराणसी में गिरे फ्लाईओवर जैसा हाल होता। निर्माण इकाई को पांच-छह दिन के लिए इस रास्ते को बंद करवा देना चाहिए था। काम पूरा होने के बाद खुलता। यह कैसे गिरी, उसके अधिकारी भी मौके पर पहुंच कर इसकी जांच-पड़ताल कर रहे हैं। - डा. जीसी मौर्या, सीएमओ।