उप्र के इन चार शहरों में नक्शा पास कराना हुआ महंगा, जानें नए रेट
गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. उत्तर प्रदेश के चार शहरों लखनऊ, कानपुर, आगरा और गाजियाबाद में नक्शा पास कराना अब महंगा हो जाएगा। राज्य सरकार ने विकास प्राधिकरणों में नक्शा पास कराने के लिए जमा कराए जाने वाले विकास शुल्क में संशोधन किया है। प्रदेश के 12 छोटे शहरों में इसे कम किया गया है।
गाजियाबाद में विकास शुल्क 2500 रुपये से बढ़ाकर 3208 रुपये प्रति वर्ग मीटर और लखनऊ, कानपुर और आगरा में इसे 1400 से 2040 रुपये प्रति वर्ग मीटर किया गया है। नई व्यवस्था एक अप्रैल से लागू होगी। लखनऊ विकास प्राधिकरण और आवास विकास परिषद के मकानों पर यह संशोधन लागू नहीं होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में ये फैसले लिए गए। इसके साथ ही कोरोना जैसी महामारी या आपदा जैसी स्थितियों में विकास शुल्क में छूट देने या इसे किस्तों में देने की सुविधा भी दी गई है।
कैबिनेट बैठक में उत्तर प्रदेश नगर योजना और विकास (विकास शुल्क का निर्धारण, उद्ग्रहण एवं संग्रहण) (प्रथम संशोधन) नियमावली 2021 को मंजूरी दी गई। अभी तक विकास शुल्क नियमावली 2014 में पांच श्रेणियों में 400 से 2500 रुपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से विकास शुल्क लेने की व्यवस्था थी। विकास प्राधिकरणों को हर साल 15 फरवरी को गत वर्ष के आयकर विभाग के कॉस्ट इंफलेशन इंडेक्स के आधार पर विकास शुल्क को संशोधित कर 1 अप्रैल से लागू करना होगा। बस्ती और मिर्जापुर नई विकास प्राधिकरणों में विकास शुल्क लेने की व्यवस्था पहली बार लागू की गई है।
महामारी या आपदा में छूट
दैवीय आपदा, आग, विस्फोट, बाढ़, युद्ध, हड़ताल, आतंकवादी घटना, महामारी, वैश्विक महामारी, नागरिक अशांति, प्राकृतिक आपदा आदि की दशा में राज्य सरकार को विकास शुल्क को किस्तों में भुगतान करने और उस पर देय ब्याज की दरों को कम या माफ करने का अधिकार होगा। यह भी व्यवस्था दी गई है कि अधिनियम के अधीन या कैबिनेट की मंजूरी के बाद विकास शुल्क नहीं लिया जाएगा।
पहले से स्वीकृत मानचित्र पर व्यवस्था
पहले से स्वीकृत मानचित्र वालों के लिए भी सुविधाएं दी गई हैं। उदाहरण के लिए किसी भूखंड का क्षेत्रफल 100 वर्ग मीटर है और अनुमन्य एफएआर 1.5 है, तो इसके सभी तलों पर समेकित अधिकतम 150 वर्ग मीटर बिल्ट-अप क्षेत्रफल मंजूर किया जाएगा। इसके आधार पर विकास शुल्क की गणना की जाएगी।
एक हेक्टेयर पर किस्तों में भुगतान
बहुउद्देशीय खुले स्थल व क्षेत्रीय पार्क आदि से प्रस्तावित निर्माण के लिए विकास शुल्क पूरे क्षेत्रफल के आधार पर लिए जाने की व्यवस्था थी। इसे संशोधित करते हुए निर्माण योग्य क्षेत्रफल यानी एफएआर के आधार पर कर दिया गया है। मौजूदा समय पांच हेक्टेयर से बड़े भूखंड के लिए विकास शुल्क का भुगतान किस्तों में लिए जाने की व्यवस्था है। इसे अब एक हेक्टेयर से बड़े भूखंडों पर लागू किया गया है। इसे दो साल में 12 प्रतिशत ब्याज के साथ लेने की सुविधा दी गई है। किसी व्यक्ति द्वारा पूर्व स्वीकृत मानचित्र के अनुसार निर्माण कर लिया गया है और परमिट से इतर अतिरिक्त निर्माण का प्रस्ताव होने पर विकास शुल्क लेने की व्यवस्था नहीं है। ऐसे मामलों में अतिरिक्त निर्माण के लिए भूमि क्षेत्रफल के सापेक्ष पूर्व में भुगतान किए गए शुल्क के समायोजन के बाद विकास शुल्क लिया जाएगा।
गाजियाबाद में सबसे ज्यादा 708, लखनऊ में 640 रुपये की बढ़ोतरी
विकास प्राधिकरण वर्तमान बढ़ा अंतर
गाजियाबाद 2500 3208 708
लखनऊ 1400 2040 640
कानपुर 1400 2040 640
आगरा 1400 2040 640
वाराणसी 1000 1200 200
प्रयागराज 1000 1200 200
मेरठ 1000 1200 200
मुरादाबाद 700 1200 500
बरेली 700 1200 500
अलीगढ़ 700 850 150
गोरखपुर 700 850 150
बुलंदशहर 700 850 150
खुर्जा 700 850 150
सहारनपुर 700 850 150
मथुरा-वृंदावन 700 850 150
झांसी 700 850 150
हापुड़-पिलखुआ 700 850 150
उन्नाव-शुक्लागंज 400 850 450
अयोध्या 400 500 100
रायबरेली 400 500 100
बांदा 400 500 100
रामपुर 400 500 100
उरई 400 500 100
आजमगढ़ 400 500 100
नोट-बढ़ोतरी प्रति वर्ग मीटर, राशि रुपये में
इन शहरों में कम हुआ
गाजियाबाद के तीन शहर लोनी, मोदीनगर व मुरादनगर में 2500 से 1200 रुपये, कानपुर के दो शहर अकबरपुर-माती व बिठूर में 1400 से 500 रुपये प्रति वर्ग मीटर, आगरा के एक शहर फतेहपुर-सीकारी में 1400 से 500 रुपये प्रति वर्ग मीटर, वाराणसी के एक शहर पं. दीनदयाल उपाध्याय नगर में 1000 से 850 रुपये प्रति वर्ग मीटर, बुलंदशहर के दो शहर जहांगीराबाद व शिकारपुर में 700 से 500 रुपये प्रति वर्ग मीटर, गढ़मुक्तेश्वर में 700 से 500 रुपये प्रति वर्ग मीटर और मथुरा-वृंदावन के दो शहर कोसीकला-छाता- चौमुहां-नंदगांव और गोवर्धन-राधाकुंड में 700 से 500 रुपये प्रति वर्ग मीटर विकास शुल्क किया गया है।