Ghazipur: सादे कागज के टुकड़े पर हो रहा करोड़ों रुपये का कारोबार
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. लौवाडीह. सरकार जहां एक-एक रुपये का हिसाब रखना चाहती है, वहीं पाताल गंगा सब्जी मंडी के कारोबारी प्रतिदिन करोड़ों रुपये का कारोबार कागज के टुकड़े पर ही कर डालते हैं। बिना आधिकारिक पंजीकरण के चल रही यह मंडी गैर लाइसेंसी व्यापारियों की गिरफ्त में है। इससे सरकार को लाखों रुपये के राजस्व की हानि हो रही है और किसान भी ऐसे व्यापारियों को माल बेचने में खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं। इस संबंध में मुहम्मदाबाद एसडीएम राजेश गुप्ता काकहना है कि अभी तक किसानों की शिकायत नहीं मिली है।
डरते हैं किसान
इस मंडी का पूरा कारोबार बिना लाइसेंस के ही चलता है। यहां के सभी व्यापारी गैर लाइसेंसी हैं। इस वजह से उन पर कोई कानूनी बाध्यता नहीं है। किसान अपना माल उन्हें उधार ही दे देता है और व्यापारी सादे पन्ने पर धनराशि लिखकर दे देते हैं। फिर अगले दिन आकर पैसा लेने की बात की जाती है लेकिन वह पैसे देने से मुकर जाए तो किसान के पास कोई कानूनी आधार नहीं रहता। बाट-माप विभाग की नजर भी कभी इस ओर नहीं पड़ती। अगर इस मंडी को सरकारी दायरे में लाकर व्यापारियों को पंजीकृत किया जाता तो राजस्व भी मिलता।
दुर्दशा की शिकार
पातालगंगा मंडी वर्तमान में हरी मटर और मिर्च की जिले की सबसे बड़ी मंडी है, लेकिन व्यापारियों व किसानों की सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है। इस मंडी में प्रतिदिन लगभग एक करोड़ रुपये के मिर्च और लगभग एक करोड़ 20 लाख रुपये मटर की खरीद-बिक्री होती है। इसके बावजूद अभी तक इसे सरकारी मान्यता नहीं मिली है।
बिचौलियों का कब्जा
इस मंडी में सब्जियों के भाव को लेकर भी काफी अराजकता है। यहां बिचौलियों का पूरी तरह कब्जा है। वह जब चाहे भाव बढ़ा देते हैं और गिरा देते हैं। इससे किसानों का काफी नुकसान होता है। ऐसे बहुत से किसान भी हैं जो बिचौलियों की भूमिका में आ गए हैं। किसान उनका विरोध भी नहीं कर पाते, क्योंकि वह उनका माल लेने से मना कर देते हैं।
मंडी में नहीं कोई सुविधा
मंडी की शुरुआत शाम तीन बजे हो जाती है और देर रात तक चलती है, लेकिन प्रशासन द्वारा रोशनी की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। इसके अलावा प्रशासन द्वारा अलाव की भी कोई व्यवस्था नहीं है। एक भी हैंडपाइप नहीं है। प्रशासन द्वारा सुरक्षा के कोई उपाय नहीं किए गए है। यहां पर कोई पुलिस प्वाइंट नहीं होने के कारण किसानों में असुरक्षा का भाव बना रहता है।
बोले ठेहा संचालक
ठेहा (जहां किसानों द्वारा माल बेचा जाता है) संचालक अतहर हुसैन उर्फ सोनू ने बताया कि इस मंडी की मिर्च भूटान बांग्लादेश पश्चिम बंगाल तक जाती है लेकिन सरकारी मान्यता नहीं मिलने से कोई काम विधिक रूप से नहीं हो पाता। कोई शेड नहीं होने से बरसात होते ही माल खराब होने का डर रहता है। बाहर के व्यापारी भी कानूनी रूप से नहीं जुड़ पाते हैं जिससे हमें लाखों रुपये का नुकसान सहना पड़ता है। अगर मंडी के लिए सरकार कोई जमीन मुहैया करा दे तो काफी आसानी होगी।
एसडीएम को शिकायत का इंतजार
मुहम्मदाबाद एसडीएम राजेश गुप्ता को किसानों की शिकायत का इंतजार है। इससे पहले उस मंडी के लिए कुछ नहीं कर सकते। मंडी के बारे में सवाल करने पर उन्होंने बताया कि अभी तक किसी किसान की शिकायत नहीं मिली है। उसे दिखवाते हैं।