क्या इस बार भी बच निकलेगा 'बाहुबली धनंजय सिंह', लखनऊ की कई वारदातों में है पूर्व सांसद का नाम
गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. छात्र नेता से जरायम और सत्ता के गलियारों तक पैठ बनाने वाले बाहुबली धनंजय सिह का नाम राजधानी में होने वाले बड़ी वारदातों में जुड़ता रहा है। बीते कुछ सालों में शायद ही कोई ऐसी बडी हत्याकांड की घटना हो, जिसके तार धनंजय सिंह से नहीं जुडे हों। अजीत हत्याकांड में शूटर का इलाज कराने के बाद से बाहुबली एक बार फिर चर्चा में हैं। कई घटनाओं में धनंजय का नाम आने के बावजूद क्लीन चिट मिलना बताता है कि खाकी और खादी में धनंजय की दखल है। पुलिस अजीत हत्याकांड में भी धनंजय की साजिश की कडिय़ां तलाश रही है। हालांकि सवाल यह है कि क्या इस बार बाहुबली पर शिकंजा कसेगा? या फिर वह पुलिस के शिकंजे से निकल जाएगा।
विभूतिखंड गैंगवार में घायल शूटर का इलाज धनंजय सिंह के फोन पर किया गया। धनंजय के ही रसूख के चलते ही सुलतानपुर के चिकित्सक ने शूटर को अपने नर्सिंग होम में भर्ती रखा। साजिश के तार गहरे हैं और सामने है शातिर धनंजय। दरअसल, इस बार धनंजय के लिए मुश्किलें बढ सकती हैं। प्रशासन की नजर बाहुबली पर है और माना जा रहा है कि जिस तरह से बीते उपचुनाव में सत्ताधाारी दल को चुनौती दी वह भी नाराजगी की एक बडी वजह बन सकता है।
लखनऊ में धनंजय पर डेढ़ दर्जन से अधिक मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। हालांकि अधिकांश में उन पर दोष सिद्ध नहीं हो पाया। राजधानी से धनंजय का तीन दशक पुराना नाता है। नब्बे के दशक में धनंजय विश्वविद्यालय से चर्चा में आए। छात्र गुटों के बीच आपसी प्रभुत्व को लेकर धनंजय के साथ लंबी फौज थी। जरायम की दुनिया में आज धनंंजय से छत्तीस का आंकड़ा रखने वाले सपा के पूर्व विधायक अभय सिंह कभी उनके हम निवाला हुआ करते थे। यहीं से धनंंजय ठेकेदारी और जरायम की दुनिया में उतरते चले गए। हसनगंज और हजरतगंज कोतवाली में ही करीब 15 मुकदमे धनंजय पर दर्ज हुए। वर्ष 2002 में रारी से विधायक चुने जाने से पहले धनंजय का चेहरा अपराध की दुनिया में एक बड़ा नाम बनकर उभरा। बस, फिर क्या था। लखनऊ में एक के बाद एक कई हत्याकांड से बाहुबली चर्चा में बने रहे।
गोमतीनगर में ठेकेदार की हत्या में भी उन पर आरोप लगे। छह मई 2016 को विकासनगर में डबल मर्डर में भी धनंजय के तार खंगाले गए। बाहर ही नहीं घर के भीतर भी धनंजय पर आरोप लगे। 2007 में धनंजय की पहली पत्नी मीनाक्षी की संदिग्ध परिस्थियों मेें मौत हो गई। धनंजय पर आरोप लगे मगर पुलिस ने क्लीन चिट दी। वर्ष 1997 में भी हुई एक चर्चित हत्याकांड में धनंजय को आरोपित बनाया गया था। इन सबके बावजूद बाहुबली पुलिस के शिकंजे से दूर हैं।
सगे भाइयों पर हमले का आरोप भी
हजरतगंज में वर्ष 2019 में वजीरगंज निवासी सगे भाइयों को गोली मारने के मामले में भी बाहुबली का नाम सामने आया था। हजरतगंज कोतवाली में धनंजय सिंह पर एफआइआर भी दर्ज की गई थी। हालांकि अभी तक पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर सकी। यही नहीं, मोहनलालगंज में हाल में हुए एक चर्चित हत्याकांड के आरोपित का कनेक्शन भी बाहुबली से होने की बात सामने आई थी।