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कृषि कानूनों पर रार के बीच उप्र में कृषि भूमि को लेकर नियमों में अहम बदलाव

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. देश में कृषि कानूनों को लेकर मची रार के बीच यूपी सरकार ने कृषि भूमि को लेकर दो अहम बदलाव किये हैं। राज्य सरकार ने प्रदेश में निवेश को बढ़ावा देने के लिए कृषि से गैर कृषि जमीन भू-उपयोग कराने के लिए चहारदिवारी की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धारा-80 की उपधारा (2) में कृषि जमीन को गैर कृषि घोषित करने के लिए चहारदिवारी की अनिवार्यता रखी गई थी।

इसके आधार पर साढ़े 12 एकड़ से अधिक जमीन लेने वालों को कृषि की जमीन पर उद्योग लगाने या फिर अन्य व्यवसायिक गतिविधियों के लिए उसका भू-उपयोग परिवर्तन कराने से पहले उस पर चहारदिवारी का निर्माण कराना जरूरी होता था। इसके बाद ही उसका भू-उपयोग बदला जाता था। निवेशकों को इससे असुविधा हो रही थी। राज्य सरकार ने इस अनिवार्यता को खत्म कर दिया है। इसके साथ यह शर्त जोड़ दिया गया है कि कृषि जमीन का जिस उपयोग के लिए भू-उपयोग बदला जाएगा वह काम पांच साल के अंदर निवेशक को शुरू करना होगा। राजस्व संहिता संशोधन आदेश जारी होने के बाद उद्यमियों को यह सुविधा मिलने लगेगी।


वहीं, सरकार ने विकास कार्यों के लिए ग्राम समाज की जमीन देने की प्रक्रिया को और आसान कर दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को इसके लिए उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता (तृतीय संशोधन) नियमावली 2020 को मंजूरी दे दी है। 


पहले विकास कार्यों के लिए ग्राम समाज की जमीन लेने से पहले ग्राम सभा की भूमि प्रबंधन समिति से अनुमति लेना जरूरी होता था। इस अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया है। विकास के लिए अब एसडीएम की संस्तुति पर डीएम के माध्यम से प्रस्ताव भेजा जाएगा और इसके आधार पर जमीन मिल जाएगी।

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