'जय श्रीराम' छोड़ 'जयसियाराम' अपना रहे भाजपाई, अयोध्या में उद्घोष संग प्रधानमंत्री मोदी ने दिया था जवाब
गाजीपुर न्यूज़ टीम, अयोध्या. मंदिर आंदोलन के दौरान भाजपाइयों की जुबान पर चढ़ा जय श्रीराम का उद्घोष जय सियाराम में परिवर्तित हो रहा है। यूं तो इस परिवर्तन का प्रवर्तन स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करते नजर आये थे। बात 2017 की है। तब प्रधानमंत्री विजयदशमी के अवसर पर लखनऊ की ऐशबाग की रामलीला में रावण वध के मंचन की लीला का उद्घाटन करने आये थे। समीक्षकों में बड़ी उत्सुकता थी कि प्रधानमंत्री अवसर को ध्यान में रख कर क्या जय श्रीराम का नारा दोहराएंगे। कुछ ही पलों में इसका उत्तर मिल गया, जब प्रधानमंत्री ने जयश्रीराम की जगह जयसियाराम-जय-जय सियाराम कहते हुए अपने उद्बोधन का समापन किया। इसी के बाद से यह प्रतीत होने लगा था कि शीर्षस्थ नेतृत्व के रुख से प्रेरित भाजपा देर-सबेर जय श्रीराम की जगह जय सियाराम का उद्घोष अपनाएगी। हालांकि भाजपाई इस दिशा में आगे तो बढ़े, पर कुछ सुस्ती के साथ।
जय श्रीराम का नारा दरअसल, मंदिर आंदोलन के मुख्य स्वर की तरह था और और इस जयकारे से राम मंदिर के प्रति संकल्प और संघर्ष की ढ़ता बयां होती थी। इसी विरासत के अनुरूप सुप्रीमकोर्ट में राम मंदिर मामले की सुनवाई से जुड़ी सरगर्मी सामने आने के साथ भाजपायी जय श्रीराम के उद्घोष का मोह नहीं छोड़ सके और गत दशक से मंदिर आंदोलन शिथिल पडऩे के साथ मंद पड़े इस उद्घोष में उल्टे मंदिर के हक में निर्णय की उम्मीद का उत्साह भी छलका।
गत वर्ष नौ नवंबर को रामलला के पक्ष में सुप्रीमकोर्ट का फैसला आने के साथ जय श्रीराम उसी तेवर के साथ बुलंद हुआ, जिस तेवर के साथ यह नारा 1988 से 92 के बीच मंदिर आंदोलन के उभार के दिनों में बुलंद हो रहा था। यह सिलसिला इसी वर्ष पांच अगस्त को राम मंदिर के लिए भूमिपूजन से पूर्व तक चला। भूमिपूजन के अवसर पर प्रधानमंत्री ने पुन: जय श्रीराम की जगह जय सियाराम का नारा दिया। इस बार प्रधानमंत्री के स्तर से प्रेरित इस बदलाव के प्रति भाजपायी कहीं अधिक तत्परता से प्रेरित हुए। बीते 20 दिसंबर को अयोध्या जिला के ही कुमारगंज स्थित आचार्य नरेंद्रदेव कृषि विश्वविद्यालय में किसान सम्मेलन का उद्घाटन करने आये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी यह बदलाव शिरोधार्य करते नजर आये और उद्बोधन का समापन करने से पूर्व वे जय सियाराम का उद्घोष करना नहीं भूले। इस दौरान इलाकाई सांसद लल्लू सिंह सहित अनेक विधायकों और भाजपा के पदाधिकारी भी अपने उद्बोधन में जय सियाराम का नारा लगाने की अनिवार्यता पूरी करते नजर आये। मंगलवार को नगर निगम की तीसरी वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित समारोह के दौरान सांसद लल्लू सिंह और महापौर रिषिकेश उपाध्याय सहित भाजपा से जुड़े अन्य वक्ताओं ने अनिवार्यता के साथ जय सियाराम का उद्घोष किया।
सृजन-संजीदगी में परिवर्तित हो रहा संकल्प-संघर्ष का भाव
इलाकाई विधायक वेदप्रकाश गुप्त के अनुसार जय श्रीराम के उद्घोष में राम मंदिर के लिए संकल्प-संघर्ष की ²ढ़ता का भाव था, पर आज मंदिर निर्माण की तैयारियों के बीच संकल्प-संघर्ष का भाव सृजन-संजीदगी में परिवर्तित हो रहा है और ऐसे में जय श्रीराम का जय सियाराम में रूपांतरित होना स्वाभाविक है। यूं भी मां सीता सृजन की अधिष्ठात्री हैं और उनके बिना श्रीराम को अधिक दिनों तक नहीं रखा जा सकता।
'रामायण' से मिला जयश्रीराम का नारा
मंदिर आंदोलन को जय श्रीराम का नारा दूरदर्शन पर प्रसारित लोकप्रिय धारावाहिक रामायण से मिला था। इस धारावाहिक में बजरंगबली की भूमिका में दारा सिंह ने अपार लोकप्रियता अर्जित की थी और निर्णायक मौकों पर जयश्रीराम का उद्घोष करते हुए उनकी मोहकता बजरंगबली की छवि के अनुरूप चरम का स्पर्श करती थी।