Ghazipur: प्रगतिशील किसान पंकज राय गाजीपुर की मिट्टी में उगा रहे कश्मीरी केसर और स्ट्राबेरी
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. जिले के प्रगतिशील किसान पंकज राय गाजीपुर की मिट्टी में कश्मीरी केसर की खेती कर रहे हैं। खास बात ये कि कश्मीरी केसर की खेती करइल की मिट्टी में हो रही है जबकि अब तक केवल मोटे अनाज ज्वार, बाजरा, चना, मटर व मसूर आदि ही पैदा होते रहे हैं। यह संभव हो पाया पंकज राय के अत्याधुनिक कृषि माडल से। वह पाली हाऊस व नेट शेड बनाकर एक से एक पौधे रोप रहे हैं और अच्छा उत्पादन ले रहे हैं। उनकी पूरी खेती आर्गेनिक है।
उनके कृषि माडल को देखने के लिए दूर दूर से किसान आ रहे हैं, बल्कि प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही भी दौरा कर चुके हैं। उन्होंने पंकज राय की सराहना की और उनके कृषि माडल को पूरे प्रदेश के किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बताया। पंकज अपनी पढ़ाई पूरी कर खेती में लग गए। वे सबसे पहले पंजाब गए लेकिन उर्वरक का वहां अधिक प्रयोग होने के कारण वहां से वे गाजियाबाद और हरियाणा में आर्गेनिक खेती और पालीहाउस का प्रशिक्षण प्राप्त कर अपने यहां नेटशेड हाउस लगा लिया।
स्ट्राबेरी से कमा रहे लाखों
करीमुद्दीनपुर गांव निवासी पंकज राय ने पारंपरिक खेती को छोड़ प्रयोगधर्मी खेती अपनाया। अपने पाली हाउस में स्ट्राबेरी की भी खेती करते हैं। स्ट्राबेरी को स्थानीय बाजार में ही 10 रुपये पीस के दर से बेच देते हैं। ऐसा करने से वह भंडारण और ट्रांसपोर्टेशन बचा लेते हैं और अधिक लाभ कमाते हैं। इसके अलावा लाल भिंडी व पीला शिमला मिर्च की खेती कर लाखों रुपये कमा रहे हैं।
लंदन में निर्यात हुई सब्जी
पंकज राय की सब्जियां लंदन तक निर्यात होती हैं। वह अपने नेटशेड हाउस में सीडलेस खीरा और स्ट्राबेरी की भी खेती करते हैं। नेटशेड के बाहर लौकी, ङ्क्षभडी, करेला आदि की आर्गेनिक खेती करते हैं, जिसका उन्हें लाभ हुआ और उनकी लौकी और खीरा का निर्यात लंदन में हुआ। अन्य देशों में भी निर्यात करने की योजना बना रहे हैं।
निश्शुल्क दे रहे प्रशिक्षण
पंकज राय किसानों को आर्गेनिक खाद, जीवामृत, घनामृत व वेस्ट-डी कंपोजर बनाने का प्रशिक्षण देकर और उन्हें बीज व नर्सरी मुहैया कराकर सामुदायिक लाभ दे रहे हैं। इस वर्ष अपने नेटशेड हाउस में पांच लाख मिर्च के पौधों की नर्सरी लगा कर किसानों को लागत मूल्य पर उपलब्ध कराया। जिले से बाहर के किसान आकर उनसे कृषि की सलाह लेते हैं। इनकी खेती से प्रभावित होकर क्षेत्र के किसान ग्रुप बनाकर पालीहाउस और आर्गेनिक खेती की योजना बना रहे हैं।