अब बनारस में रोप-वे पर सरकार का जोर
गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. शहरवासियों को जाम से राहत दिलाने के लिए रोप-वे बनाने की कवायद तेज हो गई है। आगरा में मेट्रो परियोजना के शिलान्यास के बाद सरकार बनारस में रोप-वे चलाने पर जोर दे रही है। हाल ही में वीडीए के अधिकारियों ने लखनऊ में शासन को पिछले दो साल में सार्वजनिक परिवहन प्रणाली के लिए हुए सर्वे और बैठकों के नतीजों की रिपोर्ट सौंपी है। शासन ने वीडीए को कैंट से गोदौलिया तक रोप-वे का प्रस्ताव बनाकर भेजने को कहा है। प्रस्ताव को शहरी विकास मंत्रालय को भेजा जाएगा।
हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कैंट से गोदौलिया के अलावा वरुणा किनारे रोप-वे चलाने की सहमति दी है। आवास विकास विभाग ने विकास प्राधिकरण को रोप-वे की फिजिबिलिटी रिपोर्ट बनाने की जिम्मेदारी दी है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत करीब 30 किमी तक रोप-वे चलाने पर प्रदेश सरकार सहमत हुई है। इस बारे में वीडीए उपाध्यक्ष राहुल पांडेय ने बताया कि शासन को रोप-वे की प्रगति रिपोर्ट सौंपी गई है। शासन से प्रस्ताव बनाकर भेजने का निर्देश मिला है।
इन रूटों का हुआ था सर्वे
पिछले साल वैप्कास कंपनी ने तीन रूटों का सर्वे भी किया था। इनमें राजघाट से मछोदरी, विश्वेश्वरगंज होते हुए मैदागिन, चौक, गोदौलिया, सोनारपुरा, अस्सी, बीएचयू तक, बीएचयू से कैंट स्टेशन तक और कचहरी से गोदौलिया तक का रूट शामिल था। वीडीए जो प्रस्ताव तैयार करेगा, वह भले ही इन रूटों से कुछ अलग होगा, लेकिन इससे आगे की योजना तैयार करने में मदद मिलेगी। ये दोनों स्थान सबसे ज्यादा भीड़भाड़ वाले इलाकों में शामिल हैं।
छह साल से फाइलों में योजना
छह साल से फाइलों में दौड़ रही मेट्रो परियोजना अब रोप-वे के रूप में धरातल पर उतरेगी। करीब दो साल के दौरान लाइट मेट्रो व रोप-वे को ज्यादा व्यवहारिक माना गया है। मेट्रो के मुकाबले काफी कम खर्च होना इसका प्रमुख कारण है। सर्वे के अनुसार मेट्रो के मुकाबले रोप-वे पर काफी कम खर्च आएगा। मेट्रो पर 350 से 400 करोड़ रुपये का खर्च तो रोप-वे पर 50-60 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर का खर्च आने की रिपोर्ट दी थी।