रुक-रुककर हिल रही सारनाथ की धरती, भू-वैज्ञानिकों ने जताई यह आशंका
गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. वाराणसी में स्थित बुद्ध की उपदेशस्थली सारनाथ की धरती रुक-रुक कर हिल रही है। यहां करीब पचास मीटर का क्षेत्र सोमवार को काफी देर तक हिलता रहा। दुकानों के शटर, गाड़ियां, बेंच, कुर्सियां व बोतल में रखे पानी बहुत तेजी से कंपन करने लगे। यहां तक कि शटर से तेज आवाजें भी आने लगीं, जिसे सुन लोग घबराकर दूर भाग खड़े हुए। लेकिन चौबीस घंटे से भी ज्यादा वक्त बीतने के बाद भी यह हलचल खत्म नहीं हुई तो लोगों की चिंता काफी बढ़ गई।
तिब्बती बौद्ध मंदिर से आगे जापानी बौद्ध मंदिर मोड़ स्थित तिराहे पर सुबह धरती कांपने लगी। यह देख पूरे दिन दुकानदारों व स्थानीय लोग भयभीत हो उठे। दुकानों से बाहर निकल कर लोग भूकंप का आंकलन करने लगे।
जापानी बौद्ध मंदिर के तिराहे पर स्थित रिंशु यादव की तुषिता टूर एंड ट्रवेल्स, राजनाथ यादव के चाय की गुमटी में रखे समान व बेंच, लच्छू पान की चौकी पर रखे प्लास्टिक का जार, अभिषेक सिंह की बुद्धा पेपर एंड इंटीरियर की दुकानें इसके जद में रही। दुकानदारों ने बताया कि बिजली काट कर भी देखा गया मगर कंपन बंद नहीं हुई। लोगों का कहना है कि यहीं से एक वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की मोटी पाइप गुजरती है, जिसमें लीकेज की संभावना हो सकती है।
भूकंप विज्ञानियों के अनुसार इस खास क्षेत्र में धरती के नीचे गैस बन रही हो और उसे निकलने का स्थान न मिल रहा हो। कुछ समय पहले बेंगलुरु के एक गांव में भी धरती के छोटे से क्षेत्र में हलचल की समस्या आई थी, जिसकी वजह गैस ही थी। जल निगम के मुताबिक ऐसा संभव नहीं है कि पेयजल पाइप में लीकेज की वजह से धरती में कंपन हो। वहीं, वाराणसी के जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने कहा कि मामला अभी संज्ञान में आया है। जांच के लिए मंगलवार को विशेषज्ञों को भेजा जाएगा।
भू-वैज्ञानिकों ने बताया कि प्रथम दृष्टया यह हलचल भूकंप से जुड़ी नहीं लग रहीं हैं, क्योंकि पचास मीटर क्षेत्र में ऐसा होना किसी क्षेत्रीय भौगोलिक असमानता को दर्शा रहा है। भू- विज्ञानी मानते हैं कि जमीन के नीचे सुरंग या कोई अन्य भौतिक गतिविधियां हो सकतीं हैं जिस कारण से यह हलचल हो रही है। विज्ञानियों का कहना है कि उस दायरे में कोई पुरातात्विक अवशेष भी हो सकता है। हालांकि बिना देखे या जांच किए कुछ भी प्रमाणित नहीं किया जा सकता।