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फर्जी गन लाइसेंस केस: डीएम ने बेगुनाह बता दिया, दारोगा मानने को तैयार नहीं

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गोरखपुर. पुलिस की गलती और प्रशासन की हड़बड़ाहट में दस बेगुनाहों को फर्जी असलहा लाइसेंस प्रकरण 14 महीने पहले जेल जाना पड़ा। उनके लाइसेंसी असलहे जब्त कर लिए गए। सप्ताहभर में जेल से छूटने के बाद पीड़ितों ने अपनी लड़ाई लड़ कर खुद को बेगुनाह साबित किया। डीएम ने रिपोर्ट देकर बताया कि इनके असलहा और लाइसेंस दोनों सही है। प्रशासन की रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने सभी के असलहों को भी वापस कराया।

अब जब बेगुनाहों को फर्जी तरीके से जेल भेजने वालों पर कार्रवाई की नौबत आई तो पुलिस बगले झांकने लगी। उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की जगह एक दूसरे की गलती बताया जाने लगा। यही नहीं बेगुनाहों को मुकदमें की फाइल पर कुंडली मारकर विवेचक भी बैठ गए हैं। अभी तक उसमें फाइनल रिपोर्ट नहीं लगाई गई। पीड़ितों ने एक बार फिर इस मामले में पुलिस के अधिकारियों से शिकायत करते हुए मुकदमें में फाइनल रिपोर्ट लगाने तथा दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। वहीं विवेचक द्वारा केस दबाकर रखने की मंशा पर भी सवाल उठाया है।


खोराबार थाना क्षेत्र के नौवा अव्वल गांव निवासी रामनयन ने शुक्रवार को एसएसपी की जन सुनवाई पोर्टल पर आवेदन किया। बताया कि उनके सहित दस लोगों को खोराबार पुलिस ने छह अक्टूबर 2019 को फर्जी तरीके से धारा 3/25 आयुध अधिनियम का उन्हें अभियुक्त बनाकर गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था। न्यायालय के आदेश से एक सप्ताह बाद मुक्त किया गया। उन्होंने बताया कि उनका लाइसेंस और असलहा सही था पर पुलिस ने जानबूझकर धन उगाही करने की नीयत से एसबीबीएल गन लाइसेंस को फर्जी बता दिया था। राम नयन ने कहा कि उनके साथ ही विजय कुमार सिंह, रामचन्द्र , विनोद कुमार, मुहम्मद बिन कासिम,जगदीश शुक्ला,रामनिवास यादव, महताब अहमद ,रामअषीश निषाद, रामहित यादव आदि लाइसेंस धारकों को भी इसी तरह के आरोप में गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था। जबकि इनका भी लाइसेंस वैध था। बताया कि जेल से रिहा होने के बाद सभी लोगों ने शस्त्र कार्यालय से रजिस्टर एवं लाइसेंस स्वीकृति आदेश की सत्य प्रतिलिपि प्राप्त करके विवेचक गण को उपलब्ध करा दिया था। विवेचकगण ने भी धारा 91 के तहत जिलाधिकारी के शस्त्र कार्यालय से आख्या प्राप्त कर लिया है जिससे स्पष्ट हो गया कि सभी 10 लोगों का लाइसेंस वैध है।


जिलाधिकारी द्धारा स्पष्ट आख्या प्रस्तुत की गई कि सभी लोगों के शस्त्र लाइसेंस जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय से ही निर्गत किये गए हैं। सभी वैध हैं तथा शस्त्र अवमुक्त एवं मुकदमा समाप्त करने में कोई विधिक बाधा नहीं है। जिलाधिकारी द्धारा सभी विवेचक गण को उक्त पत्र भेज दिया गया था। इसके बाद भी विवेचकगण द्धारा मुकदमों में अंतिम आख्या प्रस्तुत नहीं की गई। इससे शस्त्र लाइसेंस के नविनीकरण में बाधा उत्पन्न हो रही है। फर्जी मामले में आरोपित बनाए गए दस लोगों में तीन लोग राज्य कर्मचारी हैं। फाइनल रिपोर्ट न लगने से उनका प्रमोशन एवं इंक्रिमेंट आदि बाधित है। आरोप है कि मुकदमों में फाइनल रिपोर्ट न लगाने से प्रतीत होता है कि विवेचकगण की मंशा धन उगाही की हैं। सीओ कैंट सुमित शुक्ल ने बताया कि दस लोगों के मामले में फाइनल रिपोर्ट लगनी थी, अभी तक क्यों नहीं लगी है इस बारे में वे विवेचक से बात करेंगे।

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