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बलिया जिले में बंद रसड़ा कताई मिल खोलने की दिशा में प्रयास तेज, अफसरों की टीम ने की जांच

गाजीपुर न्यूज़ टीम, बलिया. लगभग दो दशक से बंद रसड़ा की कताई मिल को खोलने की दिशा में प्रयास तेज हो गए हैं। शासन के निर्देश पर शनिवार को अधिकारियों की उच्चस्तरीय टीम ने कताई मिल परिसर का बारीकी से अवलोकन किया। इस दौरान यह बात प्रकाश में आई कि मिल के मौजूदा संसाधन व मशीनेें अभी भी काफी हद तक ठीक हैं जिन्हें उपयोग कर मिल के परिचालन का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता हे।

जिलाधिकारी श्रीहरि प्रताप शाही व मुख्य विकास अधिकारी विपिन कुमार जैन के नेतृत्व में पहुंची टीम ने पूरे परिसर का भ्रमण किया। कताई मिल में जर्जर पड़े संसाधनों को देखा। वहां की जमीन व संसाधनों का कैसे सदुपयोग किया जाए, इस पर यूपी स्टेट यार्न, कानपुर के अधिकारी संग चर्चा भी की।  बीस वर्षो से मिल बंद रहने के बावजूद मशीनों की स्थिति काफी हद तक सही मिली। 


पूरे परिसर का भ्रमण करने के बाद मिल के अंदर टीम पहुंची। वहां पड़ी मशीनों के बारे में पूछताछ की। टीम के सदस्यों को यह बताया गया कि बीस वर्ष से मिल बंद पड़ी हैं, लेकिन बहुत थोड़ी सर्विसिंग हो जाए तो  मशीनें अभी भी चल सकती हैं। यह भी बताया कि वर्तमान में मिल की देनदारी 71 करोड़ रुपये है। गोदाम की भी हालत अधिकारियों ने देखी। निरीक्षण के बाद जिलाधिकारी ने वहां मौजूद सुरक्षा जवानों से पूछा कि यहां सुरक्षा संबंधी कोई दिक्कत तो नहीं है। एसडीएम मोतीलाल यादव को निर्देश दिया कि समय-समय पर यहां आकर जरूरी जानकारी लेते रहें। मिल परिसर की साफ-सफाई सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया।


बीस वर्ष से बंद  है मिल

कताई मिल के बारे में पूछताछ करने पर लेखाधिकारी जेपी दूबे ने बताया कि इस मिल का प्रोजेक्ट 32 करोड़ का था।  यह मिल 1986 में चालू हुई थी। इसमें पांच हजार लोग काम करते थे। यह मिल परिचालन के 14 वर्षों बाद वर्ष -2000 में बंद हो गई।  यह भी बताया कि अंदर लगी मशीनें बीस साल होने के बाद भी काफी हद तक सही हैं, जो ग्रीसिंग व आयलिंग के बाद सही हो सकती हैं।


परिसर बना जंगल, अंदर घूमती मिली नील गाएं

कताई मिल परिसर में डीएम-सीडीओ घुसे तो सामने जंगल सा दिखा। परिसर में तमाम पेड़ गिरे थे, जिसकी लकडिय़ों के सदुपयोग के संबंध में वन विभाग से आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित कराने के संकेत दिए। परिसर में नीलगायों का झुंड देख जिलाधिकारी ने कताई मिल के लेखाधिकारी का कार्य देख रहे जेपी दूबे से पूछा कि बाउंड्री के अंदर नीलगाय आखिर कैसे आई। पूरे परिसर में भ्रमण किया तो पाया कि बाउंड्री एक जगह टूटी हुई थी। सुरक्षा के लिहाज से उसे शीघ्र बनवाने के निर्देश दिए।

 
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