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ओवर लोडिंग स्कैम: एसईटी ने आजमगढ़ के ARTO से की पूछताछ, ग़ाज़ीपुर के एआरटीओ समेत कई और लाइन में

गाजीपुर न्यूज़ टीम, आजमगढ़. उत्तर प्रदेश में करोड़ों के ओवरलोडिंग घोटाले में विशेष अनुसंधान दल (एसआइटी) ने अपनी जांच के कदम तेजी से बढ़ाने शुरू कर दिए हैं। एसआइटी ने इस मामले में सोमवार को आजमगढ़ के एआरटीओ संतोष कुमार सिंह से लंबी पूछताछ की। हालांकि अपने बयानों में एआरटीओ अधिकतर सवालों पर अनभिज्ञता जताते रहे। एसआइटी ने दलालों के जरिए ओवरलोड वाहनों से की जानी वाली वसूली को लेकर उनसे कई बिंदुओं पर सवाल-जवाब किए। अवैध वसूली से संबंधित रजिस्टर को लेकर भी उनसे पूछताछ की गई। एसआइटी ने जांच के दायरे में आए गोरखपुर समेत कई अन्य जिलों के एआरटीओ को भी नोटिस देकर पूछताछ के लिए तलब किया गया है।

ओवरलोडिंग घोटाला सबसे पहले गोरखपुर में पकड़ा गया था। जनवरी 2020 में एसटीएफ ने गोरखपुर में ढाबा संचालक धर्मपाल के जरिए ओवरलोड वाहनों से अवैध वसूली किए जाने का मामला पकड़ा था। एसटीएफ ने धर्मपाल समेत अन्य आरोपितों के विरुद्ध गोरखपुर के बेलीपार थाने में एफआइआर दर्ज कराई थी। अवैध वसूली का यह रैकेट कई जिलों से जुड़ा देखकर शासन ने इस प्रकरण की जांच एसआइटी को सौंप दी थी।


एसआइटी की जांच में अब तक हाईवे पर ओवरलोड वाहनों को पास कराकर सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व की हानि पहुंचाने के इस मामले में गोरखपुर, संतकबीरनगर, गाजीपुर, मऊ, मीरजापुर, चंदौली, वाराणसी, प्रयागराज, बस्ती, सिद्धार्थनगर, बलिया, जौनपुर व सोनभद्र समेत 18 जिलों के परिवहन विभाग के अधिकारियों की संलिप्तता सामने आ चुकी है।


एसआइटी की जांच में एजेंटों के जरिए हर जिले में एआरटीओ को बंधी रकम पहुंचाए जाने की बात सामने आई है। यह भी सामने आया है कि एजेंटों के पास ओवरलोडिंग करने वाले ट्रकों की सूची रहती थी और किसी ट्रक के वसूली न देने पर परिवाहन विभाग के अधिकारी उसका चालान भी कर देते थे। अवैध वसूली के इस खेल में कई ट्रांसपोर्ट संचालकों व ट्रक चालकों की भूमिका की जांच भी की जा रही है।

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