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हाई कोर्ट में उप्र सरकार ने कहा- 31277 अभ्यर्थियों की चयन सूची में हैं विसंगतियां

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार ने स्वीकार किया कि सहायक शिक्षक भर्ती-2019 की चयन सूची में विसंगतियां हैं। सरकार ने कोर्ट से यह भी कहा कि इस विषय में एनआइसी से जवाब-तलब किया गया है, जिसका जवाब आने पर उचित कार्रवाई की जाएगी। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि 31277 पदों पर भर्तियां फौरी हैं और इनका सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विचाराधीन एसएलपी में पारित आदेश के तहत पुनरावलोकन किया जा सकता है।

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जवाब दाखिल किए जाने के बाद जस्टिस मनीष कुमार की एकल पीठ ने कहा कि पंकज यादव द्वारा दाखिल इस याचिका पर कोई भी आदेश पारित करने की आवश्यकता नहीं है। याचिका में कहा गया था कि बेसिक शिक्षक भर्ती-2019 में उससे कम अंक पाने वाले अभ्यर्थियों को काउंसिलिंग के लिए बुलाया गया है, जबकि अधिक अंक होते हुए भी उनका नाम 24 सितम्बर, 2020 को घोषित की गई चयन सूची में नहीं है और न ही काउंसिलिंग के लिए बुलाया गया है।


दरअसल, याची के अधिवक्ता का आरोप था कि ओबीसी कैटेगरी में याची के क्वालिटी प्वाइंट मार्क्स 71.1 प्रतिशत हैं किन्तु उसे काउंसिलिंग के लिए नहीं बुलाया गया है, जबकि 68.78 प्रतिशत अंक पाने वालों को बुलाया गया है जो कि सरासर मनमाना व गलत है। वहीं राज्य सरकार की तरफ से पेश अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता रणविजय सिंह ने कहा कि कम अंक पाने वाले अभ्यर्थी को नियुक्ति देने का कोई सवाल ही नहीं उठता। यदि कहीं कोई गलती हुई है, तो उसे सुधारा जाएगा।


बता दें कि उत्तर प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में 69000 शिक्षक भर्ती के लिए चयन प्रक्रिया शुरू हुई है। इन पदों के सापेक्ष जून माह में 67867 अभ्यर्थियों की अनंतिम सूची जारी हुई थी, लेकिन काउंसिलिंग के पहले दिन ही हाई कोर्ट ने चयन पर रोक लगा दी थी। प्रदेश सरकार ने शीर्ष कोर्ट के 21 मई के आदेश पर 31661 पदों पर शिक्षक चयन को आगे बढ़ाने का निर्देश दिया। शासन ने आदेश दिया कि चयनितों की नई सूची जून माह में जारी अनंतिम सूची से ही बनाई जाए। बेसिक शिक्षा परिषद ने 31277 पदों पर अभ्यर्थियों का अनंतिम रूप से चयन करके सभी जिलों में भेजा। काउंसिलिंग के बाद सभी चयनितों को नियुक्ति पत्र वितरित किया गया है।

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