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सांप के डंसने से हुई बच्ची की मौत ने संजय मौर्य को बना दिया 'सर्प मित्र'

गाजीपुर न्यूज़ टीम, आजमगढ़. सर्पदंश से हुई बच्ची की मौत ने इतना झकझोरा की एक युवक 'सर्प मित्र' बन गया। अब वह न सिर्फ सांपों को बचाता है बल्कि सांप हमारे मित्र हैं यह भी समझाता है। डेढ़ सालों में अब तक करीब पांच हजार सांपों को बचाकर जंगल में वह छोड़ चुका है। युवक अब इलाके में सांपों को बचाने के लिए मुहिम चला रहा है। हम बात कर रहे हैं आजमगढ़ के मेहनाजपुर निवासी संजय मौर्य उर्फ गुड्डू की।

सिर्फ नौवीं पास संजय कपड़ा दुकानदार है। संजय न सिर्फ सांपों को बचाने के लिए मुहिम चलाता है, बल्कि लोगों को भी प्रेरित करता है कि सांपों को नुकसान न पहुंचाएं। सांप इंसान के मित्र है। संजय ने बताया कि एक कला के रूप उसने सांप पकड़ने का प्रशिक्षण लिया था। कभी-कभी ही सांप पकड़ते थे। लेकिन एक घटना ने उनकी सोच बदल दी।


संजय बताते हैं कि पिछले साल अगस्त में मेहनाजपुर नई बस्ती के एक ग्राहक ने अपने घर से सांप पकड़ने के लिए मदद मांगी। लेकिन वह नहीं गया बल्कि एक सपेरे का नंबर दे दिया। सपेरे ने सांप पकड़ने के लिए पांच हजार रुपये मांगे। ग्राहक पैसा नहीं दे सका और खुद ही सांप को भगाने का प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली।


अगले दिन सांप ने उसकी सात साल की बच्ची को डंस लिया और उसकी मौत हो गई। इस घटना ने संजय को झकझोर कर रख दिया। इसके बाद से वह सांपों को बचाने और उसके प्रति लोगों को जागरूक करने की मुहिम शुरू कर दी। डेढ़ साल में करीब पांच हजार से ज्यादा सांपों को पकड़कर वह जंगल में छोड़ चुका है। संजय ने बताया कि वह सांपों को पकड़ने के लिए किसी से पैसा नहीं लेता। 


खुद के बचाव में डसते हैं सांप 

संजय का कहना है कि सांप कीटों को खाकर इंसानों की मदद करते हैं। लोग अपनी आत्मरक्षा और डर से सांपों को मारते हैं। इसी तरह सांप भी अपने बचाव में ही किसी को डंसता है। संजय इस मुहिम में सपेरों व मदारियों को भी प्रेरित करते हैं। वह सपेरों या मदारियों को प्रेरित कर सांपों को छुड़वा देते हैं। अब तक एक दर्जन से अधिक सपेरों को प्रेरित करने में उन्हें सफलता मिली है। यही नहीं सांपों के दांत न तोड़ने और नुकसान नहीं पहुंचाने के लिए भी लोगों को समझाते हैं। सांपों के बारे में डिस्कवरी चैनल से जानकारी जुटाकर पर्यावरण के लिए उनकी जरूरत को आम लोगों को समझाने का काम भी संदीप लगातार कर रहे हैं। 


पुलिस वाले भी संजय का नंबर देते हैं

संजय एक स्टील की राड की मदद से सांपों को पकड़कर झोले में रख लेते हैं। संजय ने बताया कि जब चार पांच इकट्टा हो जाते हैं तो उन्हें जंगल में जाकर छोड़ देते हैं। अब थाने से भी पुलिसकर्मी इनका ही नंबर देते हैं। संजय कहते हैं कि भारत में सांपों की 300 प्रजाति पाई जाती है जिनमें से 70 फीसदी जहरीले नहीं होते हैं। सर्प दंश से ज्यादा लोग डर से मर जाते हैं। कोई जहरीला सांप डस भी ले तो पीड़ित को तुरंत एंटी वेनम लगवाना चाहिए।

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