मुख्तार अंसारी की 'विधायकी' पर छाए बादल, दो सालाें की गिरफ्तारी पर रोक
गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. मुख्तार अंसारी पर कसते शिकंजे के बीच उनके दोनों सालों को कोर्ट से राहत मिली है। जबकि वहीं दूसरी ओर विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित से मऊ सदर के विधायक मुख्तार अंसारी की सदस्यता रद्द करने संबंधी याचिका दी गई है। याचिका में तर्क दिया है कि संविधान में दी गई व्यवस्था के आधार पर वह क्षेत्र की समस्याओं का समाधान नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए उनकी सीट को रिक्त घोषित किया जाना चाहिए।
कोर्ट से राहत :
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्तार अंसारी के दो सालों को राहत देते हुए गैंगस्टर एक्ट के मामले में पुलिस रिपोर्ट पेश होने तक उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने दोनों को विवेचना में सहयोग करने और पुलिस को विवेचना शीघ्र पूरी करने का भी निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज मिश्र एवं न्यायमूर्ति एसके पचौरी की खंडपीठ ने मुख्तार अंसारी के सालों अनवर शहजाद व सरजील रजा की याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल स्वरूप चतुर्वेदी व एडवोकेट अजय कुमार श्रीवास्तव को सुनकर दिया है। अनवर शहजाद व सरजील रजा पर गिरोह बनाकर जमीन हथियाने और बेनामी खरीद से संपत्ति बनाने के आरोप मे दो आपराधिक मामले दर्ज हैं। याचिका में गाजीपुर कोतवाली में दर्ज एफआईआर रद्द करने की मांग की गई थी। कहा गया था कि शुरू में पुलिस ने संजय सिंह के खिलाफ चार्जशीट तैयार की और विवेचना के दौरान पूरक चार्जशीट में याचियों को भी शामिल कर लिया। कहा गया कि उन्हें झूठा फंसाया गया है। अनवर शहजाद व सरजील रजा के साथ अफसा अंसारी सहित तीन लोगों का गिरोह बताया गया है और संजय सिंह को गैंग से बाहर कर दिया गया है। जिसके आधार पर दोनों की जमानत हो चुकी है। यह भी कहा गया कि एफआईआर में बेनामी संपत्ति का खुलासा नहीं किया गया है। दोनों को मुख्तार अंसारी के साले होने के नाते फंसाया गया है। सुनवाई के बाद कोर्ट प्राथमिकी को रद्द करने से इनकार करते हुए विवेचना शीघ्र पूरी करने का निर्देश दिया है।
मुख्तार अंसारी की सदस्यता रद्द करने की याचिका
माफिया विरोधी मंच के अध्यक्ष सुधीर सिंह ने विधानसभा अध्यक्ष को सौंपी याचिका में कहा है कि भारत के संविधान की धारा 190 (4) के तहत अगर विधानभा का कोई सदस्य 60 दिनों तक विधानसभा की बैठक में अनुपस्थित रहता है, तो उसकी सदस्यता खत्म की जानी चाहिए। इसके साथ ही उसकी सीट को खाली घोषित कर दिया जाना चाहिए। माफिया विरोधी मंच के अध्यक्ष ने इसको आधार बनाते हुए मुख्तार अंसारी की सदस्यता रद्द करने की याचिका दाखिल की है।
उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से अपील की है कि विधायक मुख्तार अंसारी विधानसभा का चुनाव जीतने के बाद साढ़े तीन साल से लगातार विधानसभा में अनुपस्थित रहे हैं। ऐसे में वो अपने विधानसभा की जनता के साथ न्याय नहीं कर पा रहे हैं। उत्तर प्रदेश की मऊ सदर की सीट पर विकास का कोई काम भी नहीं हो रहा है। इसीलिए भारतीय संविधान की धारा 190 (4) के तहत मुख्तार अंसारी की विधानसभा की सदस्यता तत्काल प्रभाव से समाप्त की जाए और इस सीट को रिक्त घोषित की जाए.