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मुख्तार अंसारी की पुलिस रिमांड खारिज, वीडियो कांफ्रेसिंग पर अदालत के सामने रहे मौजूद

गाजीपुर न्यूज़ टीम, मऊ. फर्जी पते पर शस्त्र लाइसेंस के मामले में मऊ सदर विधायक मुख्तार अंसारी के पुलिस रिमांड के लिए विवेचक का आवेदन न्यायालय ने खारिज कर दिया। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट विनोद शर्मा की अदालत में सोमवार को मुख्तार अंसारी से शस्त्र बरामदगी के लिए पुलिस हिरासत में देने के मामले में विवेचक ने आवेदन दिया था। इस पर मुख्तार अंसारी के अधिवक्ता दारोगा सिंह ने तर्क दिया कि संबंधित शस्त्र लाइसेंस सदर विधायक के लेटर पैड का उपयोग कर शाह आलम के नाम से बनाया गया था।

लाइसेंसी का वर्ष 2007 के अगस्त माह में एनकाउंटर हो गया। उसके छह माह पूर्व लाइसेंसी द्वारा संबंधित शस्त्र को गाजीपुर शस्त्र की एक दुकान में जमा करा दिया गया था। इस तथ्य को जानते हुए भी पुलिस जानबूझ कर मुख्तार अंसारी की हत्या कराने के लिए साजिशन इस मामले में रिमांड की मांग की है। अभियुक्त न तो लाइसेंसधारी है और न शस्त्र कब्जेदार। इसलिए उसके पास से यह बरामदगी संभव नहीं है। दरख्वास्त का पुरजोर विरोध करते हुए मुख्तार अंसारी के अधिवक्ता ने कहा कि सदर विधायक कई वर्ष से जेल में हैं। उनके द्वारा शस्त्र छिपाने व बरामद कराने का तथ्य सही नहीं है। विवेचक ने बताया कि अभियुक्त द्वारा शस्त्र बरामद कराने की बात बयान में कही गई है। सीजेएम ने विवेचक के आवेदन को निरस्त करते हुए आदेश पारित किया।


सदर विधायक मुख्तार अंसारी पंजाब प्रांत के रूपनगर मोहाली की जेल में एक अन्य मामले में निरुद्ध है। जनपद के दक्षिणटोला थाने में विधायक पर धारा 419, 420, 467, 468, 471, 120बी व 30 आर्म्स एक्ट का मामला दर्ज किया गया है। इस मामले में ज्यूडिशियल रिमांड 02 नवंबर को वीडियो कांफ्रेसिंग से बनाई गई थी। विवेचक ने अदालत से आवेदन कर पुलिस रिमांड के लिए मोहाली जेल से मुख्तार अंसारी को अदालत में तलब करने की अपील की। इस पर सीजेएम ने केस डायरी व जेल अधीक्षक मोहाली व सदर विधायक के अधिवक्ता दारोगा सिंह को सुनकर वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से अभियुक्त की उपस्थिति में पुलिस रिमांड अस्वीकृत कर दिया।

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