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आलू की फसल की पैदावार को कैसे बढ़ाएं

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. आलू की फसल किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि आलू एक ऐसी फसल है, जिसको बेचने से किसानों को ज्यादा यत्न नहीं करने पड़ते, क्योंकि आलू का उपभोग सम्पूर्ण देश में होता है। और हर दिन किसी न किसी व्यंजन में यह हमारे रसोई में मौजूद रहता है। आलू को हर सब्जी का दोस्त कहा जाता है, क्योंकि ये किसी भी सब्जी के साथ अपना स्थान बना लेता है। आलू हर वर्ग के लोगों के पसंदीदा व्यंजन में अपना स्थान प्राप्त कर ही लेता है। इसलिए आलू हमारे किसानों के आर्थिक उन्नति के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण होता है।

आलू की फसल पैदावार बढ़ाने के लिए बीजों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है।


तो सबसे पहले बीज के बारे में ही बात कर लेते हैं:-

फसल बोने के समय बीजों का चुनाव सबसे महत्वपूर्ण रहता है। इसके बीजों के चुनाव में एक वैज्ञानिक प्रक्रिया भी रहती है। जैसे अगर हम बीज आलू की मात्रा को 40 क्विंटल मानते हैं, तो इसमें छोटे आकार के आलू की मात्रा 8 से 10 क्विंटल, माध्यम आकार के आलू की मात्रा 10 से 12 क्विंटल एवं सबसे बड़े आकार के आलू की मात्रा 12 से 18 क्विंटल रखते हैं। ये अनुपात आलू की पैदावार के लिए उच्चतम माना जाता है।


बिजाई के लिए सेहतमंद एवं स्वस्थ आलू का ही चयन करना चाहिए, जिनका भार 25 से 125 ग्राम के बीच में हो। अगर आलूओं को कोल्ड स्टोरेज में रखा गया है, तो इसको बिजाई से पहले एक – दो हफ्तों के लिए अगर छाँव वाले स्थान पर अंकुरित होने के लिए छोड़ा जाये तो ये बेहतर परिणाम दे सकते हैं। आलूओं को शुरुआती समय में गलने से बचाने के लिए जिबरेलिक अम्ल से उपचार किया जा सकता है और इसे काटकर मेकोजेब घोल में 10 मिनट भिगो कर हवादार कमरे में सुखाने से इसकी गुणवत्ता में वृद्धि देखने को मिलती है।


बीज के बाद अगर कोई कारक महत्व रखता है तो वो है खाद:-

खाद किसी भी फसल की पैदावार में महत्वपूर्ण स्थान रखता है, साथ ही साथ इससे कई बीमारियों के रोकथाम की संभावना बनी रहती है। अगर बात करें खाद की मात्रा की तो ये भूमि एवं मिट्टी के हिसाब से हर जगह बदली जाती है और खाद चुनने का सबसे सही तरीका कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि मिट्टी की जांच किसी भी किसान सहायता केंद्र में करवानी चाहिए और उसके अनुरूप ही खाद डालनी चाहिए। लेकिन यहाँ पर हम आपको सामान्य रूप से होने वाले खाद कारकों की जानकारी दे रहे हैं। 180 किलो ग्राम नाइट्रोजन, 80 किलो ग्राम फास्फोरस, एवं 100 किलो ग्राम पोटाश के अनुपात में हमें खाद का उपयोग करना चाहिए। जैसा की पहले भी बताया है कि भूमि एवं मिट्टी के आधार पर इसकी मात्रा में परिवर्तन आ सकता है। मिट्टी के अनुसार जिंक सल्फेट एवं फेरस सल्फेट का उपयोग भी उपयुक्त मात्रा में किया जा सकता है।


हम कृषि विज्ञान के बारे में थोड़ा सा सजग होकर अपने आलू की पैदावार को बहुत अच्छे पैमाने पर बढ़ा सकते हैं, जिससे हमें अच्छा मुनाफा कमाने में बहुत मदद मिल सकती है।

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