काच ही बांस की बहंगिया, बहंगी लचकत जाय..
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. लोक आस्था के महापर्व डाला छठ के तीसरे दिन शुक्रवार को पूरे जिले भर में उत्साह और श्रद्धा के साथ अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य दिया गया। तमाम लोगों ने कोरोना की वजह से घरों में रहकर विधि-विधान से पूजन किया। नगर के गंगा घाट सहित छोटी नदियों व तालाबों के किनारे आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा।
दउरा में फल व पूजन सामग्री सजा कर व्रती महिलाएं घाट पर पहुंची और घुटने तक पानी में खड़े होकर घंटों भगवान भाष्कार की उपासना करती रहीं। चार दिनों तक चलने वाले इस अनुष्ठान के अंतिम दिन रविवार की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इसके साथ ही यह पर्व संपन्न हो जाएगा। कोरोना प्रोटोकाल का हर जगह उल्लंघन होता हुआ दिखा। बहुत कम ही लोग मास्क लगाए हुए थे और शारीरिक दूरी का तो एकदम पालन नहीं हो रहा था। सुरक्षा के लिए जगह-जगह पुलिस फोर्स तैनात थी। अधिकारी भी चक्रमण करते रहे। छठ महापर्व पर सैकड़ों व्रतधारी महिला और पुरुष दोपहर बाद से ही अपने घरों से दौरा और सूप में पूजन सामग्री सजाकर छठ घाट की ओर रवाना होने लगे थे।
उनके साथ उनके परिजन एवं मोहल्ले के लोग छठ मइया के गीत गाते हुए छठ घाट पर पहुंच रहे थे। उनका उत्साह और श्रद्धा देखते ही बन रहा था। यह सिलसिला दोपहर से शाम तक चलता रहा। देखते ही देखते नदियों व तालाबों किनारे बने छठ घाट व्रतियों व श्रद्धालुओं से ठसाठस भर गये। पानी में उतर कर व्रतियों ने छठ मइया की अराधना करना प्रारंभ कर दिया। यह अराधना सूर्य के अस्त होने तक चलती रही। इसके बाद अस्त होते सूरज को देखकर व्रतियों ने पहला अर्ध्य दिया। परिजन घाट में खड़े होकर छठ मइया के पारंपरिक गीतों से छठ पूजा का बखान करते रहे। शहर सहित गांव-गांव में छठ पूजा की धूम रही। इस दौरान छठ घाट से लेकर नगर के सभी तिराहे-चौराहे छठ गीतों से गुंजायमान हो रहे थे। छठ घाटों पर इलेक्ट्रिक लाइट की सजावट की गई थी जिससे दीवाली जैसा माहौल दिख रहा था। सभी घाट रोशनी से नहाये हुए थे।
घाट जाने वाले रास्ते छठ गीतों से गूंजते रहे
मुहम्मदाबाद : कांच ही बांसे क बहंगिया बहंगी लचकत जाय.. इस पारंपरिक गीतों की धुनों पर छठ घाटों पर पहुंचकर व्रती महिलाओं ने डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर डाला छठ पर्व का प्रथम दिन का व्रत पूर्ण की। छठ पूजन के लिए कस्बे की छठ व्रतियों ने महादेवा पोखरे पर जाकर पूजन-अर्चन की। वहीं कुछ लोगों ने बच्छलपुर गंगा तट पर जाकर पूजन का कार्य किया। विशेष मन्नत पूर्ण होने वाली व्रती महिला ने कोसिया भरा। पूजन के चलते घाट जाने वाले रास्ते छठ गीतों से गूंजते रहे। महादेवा पोखरा पर बीच में छह घोड़ों पर सवार भगवान सूर्य की मूर्ति श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र बनी रही। नगर के यूसुफपुर बाजार स्थित नसीरपुर कला छोटका पोखरा व हनुमानगंज पोखरा पर भी पूजन के लिए काफी भीड़ रही। वहीं हाटा, रघुवरगंज, मानिकपुर, सिलाईच, खेमपुर, नसरतपुर, परसा गांवों की महिलाओं ने मगई नदी के किनारे पूजन-अर्चन किया। घरों के सामने गड्ढा बनाकर किया छठ पूजा लौवाडीह : ग्रामीण क्षेत्रों में छठ पूजा काफी धूमधाम से हुई। इस मौके पर लोग तालाब, पोखरों व मगई नदी के तट पर पहुंचकर छठ पूजन किये वहीं कुछ लोग घाट पर न जाकर घर में ही गड्ढे खोदकर पोखरे की प्रतिकृति के रूप में मानकर पूजा किये। दुबिहा क्षेत्र के उतरांव, दुबिहा, पातेपुर, पैकवली, बाराचवर आदि गांवों में महिलाओं ने पोखरों व तालाबों के किनारे पूजन-अर्चन की।
रंग-बिरंगे झालर से सजाए गये थे छठ घाट भांवरकोल : क्षेत्र में सूर्यषष्ठी डाला छठ का पर्व पूरे उत्साह के साथ मनाया गया। एक सप्ताह से काफी मेहनत से छठ पूजा के लिए घाटों पर साफ-सफाई कर वेदी निर्माण कराया गया है। शुक्रवार से ही छठ पूजा स्थानों को रंग-बिरंगी बिजली की झालरों से जगमगा दिया गया था। लगभग हर गांवों के पूजा स्थानों पर ढोल बाजे के साथ ही बज रहे छठ की गीतों से पूरे वातावरण में छठ गीतों की ध्वनि ही सुनायी दे रही थी। सैदपुर : छठ पर्व पर नगर स्थित बूढ़ेनाथ महादेव घाट, पक्काघाट, संगत घाट, महावीर घाट, रामघाट, रंगमहल घाट, कोल्हुआ घाट व औड़िहार स्थित बराह रूप घाट पर श्रद्धालुओं की भीड़ रही। व्रती महिलाएं गंगा नदीमें सूर्य के अस्त होने का इंतजार कर रही थीं। सूर्य अस्त होते समय सभी ने अर्घ्य दिया। ग्रामीण अंचलों में स्थित पोखरों व तालाबों पर पूजन-अर्चन किया गया। शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए एसडीएम, सीओ, कोतवाली प्रभार व चौकी इंचार्ज हमराहियों के साथ डटे रहे।