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डाला षष्ठी पूजा 18 से 21 नवंबर तक; 18 को नहाय-खाय, 19 को खरना

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गोरखपुर। छठ पर्व 18 से शुरू होकर 21 नवंबर तक चलेगा। 18 को नहाय-खाय व 19 को खरना है। 20 को निर्जल उपवास व सायंकालीन सूर्य को अर्घ्य तथा 21 को प्रात:कालीन सूर्य को अर्घ्य देकर व्रती महिलाएं पारण करेंगी। इसे लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। बाजार में छठ पूजा के सामान आ चुके हैं। दुकानें सज गई हैं।

पं. शरदचंद्र मिश्र के अनुसार वर्ष में षष्ठी देवी की पूजा का आयोजन दो बार होता है- चैती षष्ठी पूजन व्रत और कार्तिकी में डाला षष्ठी पूजन व्रत । लोक में कार्तिक में आयोजित होने वाले व्रत का ज्यादा प्रचलन है । इसमे घर में शुद्धि एवं साफ- सफाई पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है । प्रथम दिन नहाय-खाय का होता है । द्वितीय दिन खरना, तृतीय दिवस निर्लज उपवास एवं सायंकालीन अर्घ्य और चतुर्थ दिन  सूर्योदय के समय अर्घ्य दान व व्रत के पारण का होता है । यह क्रमशः कार्तिक शुक्ल चतुर्थी तिथि से शुरू होकर सप्तमी तिथि तक आयोजित होता है।


नहाय-खाय

नहाय-खाय 18 नवंबर दिन बुधवार को है । इस दिन सूर्योदय 6 बजकर 38 मिनट पर और चतुर्थी तिथि का मान  सम्पूर्ण दिन और रात्रि शेष 3 बजकर 46 मिनट तक है । इस दिन व्रत महिलाएं घर के बर्तनों और चूल्हे की सफाई कर कद्दू और भात बनाती हैं। उसे केवल दिन मे एक बार ही ग्रहण करती हैं ।


खरना

खरना 19 नवंबर दिन बृहस्पतिवार को है । सूर्योदय 6 बजकर 38 मिनट पर और पंचमी तिथी का मान सम्पूर्ण दिन और रात्रि शेष 2 बजकर 40 मिनट तक  है। इस दिन रसियाव- रोटी बनाती हैं और दिन भर उपवास के पश्चात शाम को केवल एक बार इसे ग्रहण करती है ।


षष्ठी व्रत

षष्ठी व्रत 20 नवंबर दिन शुक्रवार को है। इस दिन सूर्योदय 6 बजकर 39 मिनट पर और षष्ठी तिथि का मान सम्पूर्ण दिन और रात को 02 बजकर 02 मिनट तक है । इस दिन व्रती महिलाएं निर्लज उपवास करेंगी और सायंकाल अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य प्रदान करेंगी । सूर्यास्त का समय 5 बजकर 21 मिनट है । रात्रि जागरण कर 21 नवंबर को अरुणोदय काल में उगते हुए सूर्य को अर्घ्य प्रदान कर व्रत की पूर्णाहुति करेंगी।

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