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कोरोना वायरस फेफड़ों को यूं करता है तबाह, ठीक होने में लग सकते हैं छह महीने

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गोरखपुुर. कोरोना वायरस के संक्रमण का असर फेफड़ों पर पड़ रहा है। संक्रमण से फेफड़ों के अंदर पानी भर जा रहा है। इसके कारण फेफड़ों का वजन बढ़ जा रहा है। इसके कारण फाइब्रोसिस हो रहा है। इसे ठीक होने में चार से छह महीने लग रहे हैं। इस दौरान मरीज ऑक्सीजन पर निर्भर रह रहा है। 

गोरखपुर शहर में ऐसे करीब 65 संक्रमित हैं, जो जून-जुलाई में निगेटिव हो गए लेकिन अब भी घर पर ऑक्सीजन से इलाज करा रहे हैं। इन मरीजों को सांस लेने में तकलीफ हो रही है। इनके खून में ऑक्सीजन की मात्रा तेजी से गिर रही है। ज्यादातर में इसकी वजह फाइब्रोसिस है।


फाइब्रोसिस के कारण बढ़ रहा है फेफड़े का वजन 

फीजिशियन डॉ. संजीव गुप्ता ने बताया कि शरीर में दो फेफड़े होते हैं। इनका वजन 400 से 450 ग्राम के बीच में होता है। कोरोना संक्रमण का असर फेफड़ों पर पड़ रहा है। संक्रमण के कारण फेफड़े की आंतरिक कोशिकाओं पर परत जम रही है। इससे कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जा रही हैं। संक्रमण के कारण फेफड़े के निचले हिस्से में पानी जमा हो जा रहा है। फाइब्रोसिस से बड़ी संख्या में संक्रमित निगेटिव होने के बाद भी जूझ रहे हैं।


ऑक्सीजन अवशोषित करने की क्षमता हो रही कम 

बीआरडी मेडिकल कालेज के टीबी एंड चेस्ट के विभागाध्यक्ष डॉ. अश्वनी मिश्रा ने बताया कि फाइब्रोसिस होने के बाद फेफड़े की क्षमता पर असर पड़ रहा है। फेफड़े की ऑक्सीजन अवशोषित करने की क्षमता कम हो जा रही है। शरीर की जरूरत के मुताबिक ऑक्सीजन आपूर्ति करने के लिए फेफड़े की गति बढ़ जा रही है। इससे शरीर में खून का प्रवाह तेज हो रहा है। दिल की धड़कन भी तेज हो रही है। नब्ज की गति और पल्स रेट बढ़ रहे हैं। मरीज को सांस लेने में तकलीफ के साथ घबराहट व बेचैनी का अहसास हो रहा है। राहत के लिए ऐसे मरीजों को इलाज में दवा के साथ ऑक्सीजन की भी दरकार हो रही है। शहर में 65 मरीजों का इलाज इसी प्रकार चल रहा है। वह घर पर सिलेंडर से ऑक्सीजन ले रहे हैं। इसके अलावा इलाज भी करा रहे हैं। 


ठीक होने में लग सकते हैं छह महीने 

पल्मोनरी मेडिसिन के डॉ.अजय श्रीवास्तव ने बताया कि यह बीमारी लाइलाज नहीं है। यह जरूर है कि इसका इलाज लंबा चलता है। मरीज को पूरी तरह ठीक होने में 4 से 6 महीने का वक्त लग सकता है। 

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