योगी सरकार की सख्ती, पराली जली तो थानेदार, तहसीलदार, लेखपाल और कानूनगो नपेंगे
गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. इस बार उत्तर प्रदेश में जहां कहीं भी फसल अवशेष (पराली) जली तो उस इलाके के थानेदार से लेकर तहसीलदार और लेखपाल से लेकर कानूनगो तक पर कार्रवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट व एनजीटी की सख्ती के बाद सरकार ने प्रदेश के सभी जिलों के जिला प्रशासन को इसके लिए जिम्मेदार बनाते हुए कड़े निर्देश जारी किए हैं।
इसके तहत जिस क्षेत्र में पराली जलाने की घटना होगी उस क्षेत्र के थानेदार से लेकर तहसीलदार, कानूनगो व लेखपाल तक जिम्मेदार होंगे और उनके विरुद्ध कार्रवाई होगी। कृषि विभाग के क्षेत्रीय अधिकारियों को पराली प्रबन्धन के बारे में किसानों व ग्रामीणों को प्रशिक्षित करने और पराली न जलाने के लिए प्रेरित करने के निर्देश दिए गए हैं।
मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी की ओर से सात अक्तूबर को इस बारे में आदेश जारी किए गए हैं। राज्य सरकार ने एनजीटी में हलफनामा देकर आश्वस्त किया है कि इस बार प्रदेश में पराली जलाने की घटना को बहुत कम कर दिया जाएगा, ताकि प्रदूषण का स्तर न बढ़ सके।
सरकार ने हलफनामे में पराली को जलाने से रोकने के लिए अब तक किए उपायों के बारे में भी अपनी रिपोर्ट भेजी है, जिसमें पराली को जलाने से रोकने के लिए काश्तकारों को समझाया भी गया है। उन्हें उससे लाभ कमाने के उपाय भी बताए गए हैं। इसके बावजूद जो जान-बूझकर उन सुझावों का उल्लंघन करेंगे उन्हें चेताया भी गया है और दण्डित करने के मानदण्ड भी तय किए गए हैं।
हफलनामे में कहा गया है कि प्रदेश सरकार ने पिछले वर्ष ही प्रदेश में कानून बनाकर इसे पूरी तरह से दण्डणीय बना दिया है। इसके तहत अब दो एकड़ से कम भूमि वाले किसानों द्वारा पराली जलाने पर प्रति घटना 2500 रुपये का दण्ड का प्रावधान किया गया है। 2 से 5 एकड़ भूमि वाले लघु कृषकों द्वारा ऐसा करने पर प्रति घटना 5000 रुपये का दण्ड दिया जाएगा। 5 एकड़ से अधिक भूमि वाले काश्तकारों के ऐसा करने पर प्रति घटना 15,000 रुपये का दण्ड किया जाएगा। घटना की पुनरावृति पर जेल भेजने का प्रावधान किया गया है।