बलिया के बिल्थरारोड तहसील में महिलाओं ने एसडीएम पर फेंकी चूड़ियां, एसडीएम कमरे में हुए कैद
गाजीपुर न्यूज़ टीम, बलिया. गोंड समाज को अनुसूचित जनजाति का जाति प्रमाणपत्र जारी करने समेत अन्य मांग को लेकर तहसील में पूर्व मंत्री छट्ठू राम द्वारा जारी आंदोलन के समर्थन में गुरुवार को अचानक महिलाएं उग्र हो गई और बड़ी संख्या मेें महिलाएं दोपहर 12 बजे के करीब एसडीएम को चूड़ी पहनाने की जिद संग उनके कार्यालय पहुंच गई। जहां तैनात होमगार्ड द्वारा रोके जाने पर महिलाओं ने जमकर हंगामा किया। एसडीएम के खिलाफ नारेबाजी की और होमगार्ड संग धक्कामुक्की करते हुए न्यायालय में बैठे एसडीएम संतलाल पर चूड़ियां फेंका। इस दौरान एसडीएम कार्यालय से लेकर एसडीएम न्यायालय तक करीब एक घंटे तक महिलाओं का कब्जा रहा और सभी ने जमकर नारेबाजी की। जहां से कुछ अधिवक्ताओं व होमगार्ड की मदद से एसडीएम संतलाल किसी तरह महिलाओं के बीच से बचकर बाहर निकले और तहसील परिसर के पहले तल पर एक कमरे में कैद हो गए। जिसके बाद अन्य थानों की पुलिस भी तहसील पहुंची किंतु करीब दो घंटे तक महिलाएं टस से मस न हुई। जिससे तहसील परिसर में हंगामा की स्थिति बनी रही।
हंगामे की सूचना पर उभांव थाना के प्रभारी इंचार्ज सियाराम यादव, एसआई उमाशंकर यादव, एसआइ विनोद यादव, एसआइ रणविजय सिंह, सीयर चौकी इंचार्ज राजकुमार सिंह महिला पुलिस व हमराहियों संग बड़ी संख्या में पुलिस बल पर पहुंच गया। लेकिन महिलाएं तहसील परिसर में ही एसडीएम को घेरने व चूड़ी पहनाने की जिद पर अड़ी रहीं। इस दौरान महिला पुलिस व महिलाओं संग नोंकझोंक भी हुआ और पुलिस को जमकर पसीना बहाना पड़ा। पूरे हंगामे के दौरान बिना तैयारी पुलिस प्रशासन पूरी तरह से विवश दिखी।
करीब दो घंटे बाद महिलाओं को पुलिस किसी तरह तहसील परिसर से बाहर तो कर सकी किंतु महिलाएं तहसील के गेट के मुख्य बरामदे में ही धरने पर बैठी रही। जबकि एसडीएम तहसील परिसर स्थित एक कमरे में कैद रहे। बाद में नगरा एसओ यादवेंद्र पांडेय, नगरा एसआई संतोष राय, भीमपुरा इंस्पेक्टर शिवमिलन के साथ सीओ रसड़ा केपी सिंह भी पहुंचे और स्थिति को नियंत्रित करने में लगे रहे। हालांकि इसके पहले अपने मांगों के समर्थन में तहसील परिसर में सुबह से ही डमरु, झाल संग महिलाओं ने पारंपरिक गोडऊ नाच का प्रदर्शन किया। जो लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बना रहा।
अनशनरत पूर्व मंत्री पर मुकदमा दर्ज करने पर बदला आंदोलन का रुख
प्रशासनिक अधिकारियों के वादाखिलाफी व अपने आठ सूत्रीय मांगों को लेकर आमरण अनशन पर बैठे पूर्व मंत्री छट्ठू राम पर उभांव पुलिस ने बुधवार की देर शाम पूर्व मंत्री समेत 13 नामजद व 20 अज्ञात के खिलाफ कोविड-19 उल्लंघन, बिना अनुमति टेंट लगा आंदोलन करने व सीआरसीपी की धारा 144 के उल्लंघन का मुकदमा दर्ज कर दिया। जिसके कारण अनशनकारियों में जबरदस्त आक्रोश बढ़ गया। इस बीच अनुसूचित जनजाति के प्रमाण पत्र न जारी करने से नाराज महिलाओं ने अपने पारंपरिक गोड़ऊ नृत्य प्रस्तुत किया और चूड़ि़यां लेकर एसडीएम को पहनाने तहसील कार्यालय से लेकर न्यायालय तक पहुंच गई और जमकर नारेबाजी की।
पूर्व मंत्री छटूठ राम ने भी अपने आठ सूत्रीय जनहित संबंधित मांगों के समर्थन में अधिकारियों की लापरवाही की चर्चा करते हुए कहा कि गरीबों के लिए बना आवास एसडीएम के कलम से आवंटित होना है, गोड़ समाज को अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र तहसीलदार के कलम से जारी होना है किंतु अधिकारी कार्य करना ही नहीं चाहते और लोगों के अधिकारों को डंडे व मुकदमे के धमकी से दबाना चाहते हैं। जो लोकतंत्र की हत्या कर रहे हैं और वर्तमान सरकार को बदनाम भी कर रहे है। इस दौरान सतीश चंद्र, उपेंद्र सिंह, मनोज, अनिल, कलेंद्र प्रजापति, सागर पटेल, ललन राम, संतोष, अनिल राजभर, चंद्रिका, राजेश सिंह, श्रीकांत चौहान, सुरेमन पासवान, ब्रजेश गोंड, सुग्रीव राजभर, राहुल पासवान, रामइकबाल गोंड, ताराचंद्र चैहान, रामवृक्ष राजभर व गोपाल ठाकुर अनशनरत रहे।
अनशनरत पूर्व मंत्री की हालत बिगड़ी, हुए अचेत
आमरण अनशन के तीसरे दिन गुरुवार को पूर्व मंत्री छट्टू राम की हालत बिगड़ गई और वे अचानक अर्द्धमूर्छा की हालत में हो गए। जिन्हें अन्य लोगों की मदद से किसी तरह संभाला गया और चेहरे पर पानी डाल होश में लाया गया। पूर्व मंत्री छट्ठू राम ने कहा कि जब तक जान है वे आंदोलन को जारी रखेंगे।
नहीं थी पुलिस की तैयारी
अनशनरत पूर्व मंत्री व समर्थकों पर मुकदमा दर्ज करने के बाद गुरुवार को पुलिस की किसी तरह की विशेष तैयारी ही नहीं थी। जबकि सुबह से ही अनशन के समर्थन में बड़ी संख्या में महिलाएं व लोगों का जत्था आंदोलनस्थल पर पहुंचने लगा था।