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Ghazipur: हमीद सेतु से नियम को ताक पर रखकर हो रहा वाहनों का संचालन

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. उत्तर प्रदेश-बिहार को जोड़ने वाला अति महत्वपूर्ण वीर अब्दुल हमीद सेतु मरम्मत के बाद अब खोल दिया गया है। सेतु को दुरुस्त करने में कुल चार महीने का समय लगा है। हमीद सेतु पर आवागमन शुरू होते ही ओवरलोड वाहनों का संचालन धड़ल्ले से जारी है, जबकि पुल पर 60 टन तक भार वाले वाहनों को आने जाने का आदेश दिया गया है। लेकिन भारी वाहनों पर 100 से लेकर 120 टन तक पुल से गुजारे जा रहे हैं।

हमीद सेतु की आधारशिला 1975 में तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी ने रखी थी। करीब दस वर्ष में पुल बनकर तैयार हुआ। यह 1985 में आमजन के लिए खोल दिया गया था। उस समय करीब चालीस करोड़ की लागत से यह पुल बना था। पुल करीब 1100 मीटर लंबा है, जो 12 पीलर, 26 ज्वाइंटर, 52 रोलर बेयरिंग पर टिका है। यह पुल कैंटीलीवर संस्पेडेड आधार पर बना है। तत्कालीन समय में इस पुल को 30 टन तक के भार क्षमता की दृष्टिगत बनाया गया था। 


प्रशासनिक उदासीनता के कारण यह पुल अब तक आधा दर्जन से अधिक बार क्षतिग्रस्त हो चुका है। यह पुल पड़ोसी राज्य बिहार ताड़ीघाट-बारा हाईवे, जमानियां सैयदराजा-गाजीपुर राष्ट्रीय राजमार्ग 24/97 आदि अन्य प्रमुख मार्गों से जुडा है। इस पुल से पूर्व में प्रतिदिन छोटे- बड़े,सवारी, मालवाहक वाहन करीब एक हजार वाहन गुजरते हैं। पूर्व में यह पुल राष्ट्रीय राजमार्ग के अधीन था।


अब कई वर्षों से एनएचएआई के अधीन हो चुका है। तभी से यह पुल देखरेख के अभाव में अपने दुर्दशा के दिन गिनता रहा। एक बार फिर पुल की मरम्मत कर दी गई है। चार माह बाद पुल पर आवागमन शुरू हो गया है। लेकिन डर इस बात का है कि अगर कड़ाई से अधिक भार क्षमता ओवरलोड वाहनों का आवागमन नहीं रोका गया तो पुनः पुल के क्षतिग्रस्त होने से कोई नहीं रोक सकता। देखा जाए तो हमीद सेतु अपने वसंत का आधा पड़ाव यानी 50 वर्ष भी पूरे नहीं सका है।

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