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राज्यसभा चुनाव दिलचस्प मोड़ पर, विपक्षी एकता पर सबकी निगाहें

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. उत्तर प्रदेश से राज्यसभा चुनाव में बसपा के मैदान में आ जाने से जंग अब रोचक हो गई है। ऐसा इसलिए बसपा ने जीत के लिए जरूरी विधायक न होने के बावजूद अपना प्रत्याशी उतार दिया है। ऐसे में 10 सीटों पर 11 प्रत्याशियों के आने के पूरे आसार हैं। जाहिर है कि ऐसे हालात में निर्विरोध चुनाव के बजाए मतदान ही रास्ता बचेगा। बसपा को जीत के लिए दूसरे दलों के किन-किन विधायकों पर भरोसा है यह सवाल खासा अहम है। अगर गैर भाजपाई दल एकजुट हो जाएं और संयुक्त विपक्ष के प्रत्याशी के तौर पर बसपा के रामजी गौतम भाजपा में सेंधमारी कर लें तो भाजपा को अपनी नौवी सीट के लिए एड़ी चोटी जोर लगाना होगा। अब विपक्षी एकता पर सबकी निगाहें हैं।

छोटे दल दे सकते हैं बसपा प्रत्याशी को ताकत

मौजूदा गणित के हिसाब से 10 सीटों में से भाजपा की 8 पर और सपा की एक पर जीत तय है। सपा के अतिरिक्त वोट, कांग्रेस व अन्य छोटे दल व निर्दलीय मिल कर बसपा प्रत्याशी को ताकत दे सकते हैं। साथ ही भाजपा के वोटरों पर भी विपक्ष की नजर रहेगी। भाजपा के लिए क्रास वोटिंग के खतरे से अपने विधायकों को दूर रखना एक बड़ी चुनौती है। पर ऐसा खतरा विपक्षी दलों पर भी है। बहुत कुछ प्रत्याशियों के अपनी मेहनत पर भी निर्भर करेगा। हालांकि पिछले राज्यसभा चुनाव में भाजपा की किलेबंदी के चलते विपक्षी एकता का कोई असर नहीं हुआ।


भाजपा के 304 विधायक हैं और अपने दम पर 8 सीटें आराम से जीत जाएगी। अब 10वीं सीट का नतीजा विपक्षी दलों की एकता व भाजपा में सेंधमारी पर निर्भर करेगा। भाजपा को अपनी नौंवी सीट निकालने के लिए विपक्षी एकता से जूझना होगा। यह है राज्यसभा चुनाव का फॉर्मूला राज्यसभा जाने के लिए प्रत्याशी को विधायकों की एक निश्चित संख्या का समर्थन पाना जरूरी होता है। कितने विधायकों का समर्थन प्राप्त होना चाहिए। इसके लिए फार्मूला है। इसके मुताबिक कुल विधायकों की संख्या को जितने सदस्य चुने जाने हैं उसमें एक जोड़कर विभाजित किया जाता है।


इस बार यूपी से 10 राज्यसभा सदस्यों का चयन होना है। इसमें 1 जोड़ने से यह संख्या 11 होती है। यूपी विधानसभा में वर्तमान में कुल सदस्य 394 हैं। फार्मूले के हिसाब इसमें एक जोड़ने पर यह संख्या 395 हो जाएगी। इस संख्या को 11 से विभाजित करने पर 35.90 आता है। इसमें फिर एक जोड़ने पर यह संख्या 36.90 हो जाती है। विधानसभा सचिवालय के एक अधिकारी के मुताबिक इस तरह छत्तीस वोटों की जरूरत होगी लेकिन वास्तव में कितने वोट चाहिए ? इसकी सही संख्या तो मतदान के बाद ही तय होगी क्योंकि अगर कुछ वोट अवैध हो गए तो जीत का अंक 36 के बजाए कुछ और भी हो सकता है।

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