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दूध पिलाने वाली बोतल बेचा तो तीन वर्ष का कारावास, जानिए क्‍या होगी विधिक कार्रवाई

गाजीपुर न्यूज़ टीम, आजमगढ़। अमूमन बच्‍चों को गाय या भैंस का ऊपरी दूध पिलाने के लिए माताएं दूध पिलाने वाली प्‍लास्टिक की बोतल का खूब प्रयोग करती हैं। हालांकि, कानूनन यह बोतल प्रतिबंधित है क्‍याेंकि यह शिशु की सेहत के लिए खतरनाक घोषित की गई है। इस बाबत इसके उपयोग, विक्रय और विज्ञापन पर पूरी तरह से प्रतिबंध घोषित होने के बाद भी बाजार में आसानी से उपलब्‍ध है। दरअसल यह निप्‍पल जिस सामग्री से बनता है वह काफी खतरनाक रसायन का बना होता है जिसकी वजह से बच्‍चों में कई बीमारियां हो जाती हैं।

दूध पिलाने वाले बोतलों के उपयोग, विक्रय के विज्ञापन, प्रचार एवं प्रोत्साहन पर खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण भारत सरकार और खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन उत्तर प्रदेश काफी सख्त है। डीएम राजेश कुमार ने बताया कि बच्चों के दुग्ध विकल्पों में दूध पिलाने वाली बोतलों के उपयोग अथवा बिक्री के विज्ञापन, प्रचार एवं प्रोत्साहन को प्रतिबंधित किया गया है। ऐसे खाद्य कारोबारकर्ताओं पर विभाग अब निगरानी रखेगा और उल्लघंन करने वालों के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई भी की जाएगी। बताया कि ई-कामर्स प्लेटफार्मों सहित समस्त खाद्य कारोबार कर्ताओं को प्रचार से विरत रहते हुए 'दी आई एम एस एक्ट' के अक्षरश: अनुपालन के निर्देश दिये गए हैं। एक्ट की अवहेलना पर तीन वर्ष तक के कारावास का प्रावधान है।


बच्चों की सेहत के लिए हानिकारक

दूध की बोतल व सिप्पर (निप्पल) पर खतरनाक हानिकारक रसायन होता है, जिसके प्रभाव से बच्चों में आगे चलकर अलग- अलग तरह की कई घातक बीमारियां होने का खतरा रहता है। चिकित्‍सकों के अनुसार प्लास्टिक की बोतल में दूध पिलाना बच्चों की सेहत के लिए काफी हानिकारक है। बोतल से लगातार दूध पिलाने से बच्चे के गले में सूजन आ जाती है जिसकी वजह से उसे उल्टी दस्त भी हो सकते हैं। अगर समय से इलाज नहीं मिला तो डायरिया भी हो जाता है और लिवर संग गुर्दे की बीमारी हो जाती है।

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