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भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने को सक्रिय हुआ PMO, उप्र के चीफ सेक्रेटरी से मांगी ये जानकारी

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गोरखपुर. भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने को लेकर साहित्यकार रविन्द्र श्रीवास्तव उर्फ जुगानी भाई के पत्र का पीएम नरेन्द्र मोदी ने संज्ञान लिया है। पीएमओ ने यूपी के चीफ सेकेट्री को पत्र लिख कर भोजपुरी को भाषा का दर्जा देने को लेकर अभी तक की हुई कवायद जानकारी मांगी है। 


भोजपुरी साहित्यकार रविन्द्र श्रीवास्तव उर्फ जुगानी भाई लंबे समय से भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के अभियान में जुटे हैं। इसी क्रम में बीते 25 अगस्त को उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा था। पत्र में उन्होंने अपने तर्कों और दलील से भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने का दर्जा देने की मांग रखी है। उन्होंने पीएम को संबोधित करते हुए लिखा कि भाषा और भोजन का सवाल एक दूसरे से जुड़ा होता है। जिस स्थान की भाषा गरीब बना दी जाती है, वह स्थान स्वतः गरीब होता चला जाता है। क्योंकि उसके पास समस्याओं को ढंग से व्यक्त करने का कोई साधन नहीं होता। 


ग्रीयर्सन लिग्विस्टिक सर्वे ऑफ इण्डिया के मुताबिक, भोजपुरी विश्व की सबसे बड़ी बोली है। जिसे यूपी, बिहार छत्तीसढ़ के साथ कई देशों में बोला अथवा समझा जाता है। इसके अतिरिक्त विश्व के कई देशों में भोजपुरी बोली जाती है। इसे आठवी अनुसूची में शामिल करने की मांग लगातार उठती रही है। रविन्द्र श्रीवास्तव ने पत्र के माध्यम से पीएम मोदी से गुजारिश की कि आप ही इसे शामिल कराने की कृपा कर वर्षों से ठंडे बस्ते में पड़े इस समस्या का निदान करें। 


साहित्यकार के पत्र का संज्ञान लेते हुए पीएमओ द्वारा 10 सितम्बर को जारी पत्र में जवाब दिया गया है। उसकी एक प्रति साहित्यकार को प्राप्त हुई है। पीएमओ के पत्र से उत्साहित रविन्द्र श्रीवास्तव का कहना है कि पीएमओ का संज्ञान लेना और चीफ सेकेट्री को पत्र संदर्भित करना शुभ संकेत हैं। आठवीं अनुसूची में भोजपुरी को शामिल किया जाना इस बोली का सम्मान होगा।


नेपाल के संविधान में भोजपुरी को तीसरी भाषा का दर्जा

रविन्द्र श्रीवास्तव बताते हैं कि नेपाल के संविधान में भोजपुरी को तीसरी भाषा का दर्जा मिला हुआ है। लेकिन भारत में ऐसा नहीं है। वह बताते हैं कि भोजपुरी को भाषा का दर्जा दिलाने के लिए साठ के दशक में गाजीपुर से सांसद विश्वनाथ गहमरी ने संसद में पूरा भाषण भोजपुरी में दिया था। उनकी पुस्तक की प्रस्तावना को प्रसिद्ध शायर फिराक गोरखपुर ने भोजपुरी में लिखा था। खुद सांसद रहते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भोजपुरी को भाषा का दर्जा दिलाने की मांग सर्वोच्च पंचायत में उठा चुके हैं। 


22 भाषाएं शामिल हैं आठवीं अनुसूची में

भारतीय संविधान में भाषाओं से संबंधित आठवीं अनुसूची में 22 भाषाएं शामिल हैं। 1967 में संविधान में 21 वां संशोधन कर सिन्धी को आठवी अनुसूची में स्थान दिया गया। बाद में 1992 में 71 वां संशोधन कर कोकणी, मणिपुरी और नेपाली तथा 2003 में मैथिली, संथाली, बोडा और डोगरी को शामिल कर दिया गया। लोकगायक राकेश श्रीवास्तव कहते हैं कि तीनों संशोधनों में शामिल सभी आठ बोलियों की संयुक्त संख्या से भी भोजपुरी बोलने वालों की संख्या अधिक है।

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