कहानी: प्यार के काबिल
जूही और मुकुल के बीच फूटे प्यार के अंकुर का असर उन की पढ़ाई पर पड़ा, तो उन के पेरैंट्स की भी आंखें खुलीं. फिर उन्होंने जूही और मुकुल को ऐसी क्या सीख दी कि दोनों प्यार के काबिल बनने की जद्दोजेहद में लग गए?
मुकुल और जूही दोनों सावित्री कालोनी में रहते थे. उन के घर एकदूसरे से सटे हुए थे. दोनों ही हमउम्र थे और साथसाथ खेलकूद कर बड़े हुए थे. दोनों के परिवार भी संपन्न, आधुनिक और स्वच्छंद विचारों के थे, इसलिए उन
के परिवार वालों ने कभी भी उन के मिलनेजुलने और खेलनेकूदने पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया था. इस प्रकार मुकुल और जूही साथसाथ पढ़तेलिखते, खेलतेकूदते अच्छे अंकों के साथ हाईस्कूल पास कर गए थे.
इधर कुछ दिनों से मुकुल अजीब सी परेशानी महसूस कर रहा था. कई दिन से उसे ऐसा एहसास हो रहा था कि उस की नजरें अनायास ही जूही के विकसित होते शरीर के उभारों की तरफ उठ जाती हैं, चाहे वह अपनेआप को लाख रोके. बैडमिंटन खेलते समय तो उस के वक्षों के उभार को देख कर उस का ध्यान ही भंग हो जाता है. वह अपनेआप को कितना भी नियंत्रित क्यों न करे, लेकिन जूही के शरीर के उभार उसे सहज ही अपनी ओर आकर्षित करते हैं.
जूही को भी यह एहसास हो गया था कि मुकुल की निगाहें बारबार उस के शरीर का अवलोकन करती हैं. कभीकभी तो उसे यह सब अच्छा लगता, लेकिन कभीकभी काफी बुरा लगता था.
यह सहज आकर्षण धीरेधीरे न जाने कब प्यार में बदल गया, इस का पता न तो मुकुल और जूही को चला और न ही उन के परिवार वालों को.
लेकिन यह बात निश्चित थी कि मुकुल को जूही अब कहीं अधिक खूबसूरत, आकर्षक और लाजवाब लगने लगी थी. दूसरी तरफ जूही को भी मुकुल अधिक स्मार्ट, होशियार और अच्छा लगने लगा था. दोनों एकदूसरे में किसी फिल्म के नायकनायिका की छवि देखते थे. बात यहां तक पहुंच गई कि
इस वर्ष वैलेंटाइन डे पर दोनों ने एकदूसरे को न सिर्फ ग्रीटिंग कार्ड दिए, बल्कि दोनों के बीच प्रेमभरे एसएमएस का भी आदानप्रदान हुआ.
इस के बाद तो एकदूसरे के प्रति उन की झिझक खुलने लगी. वे दोनों प्रेम का इजहार तो करने ही लगे साथ ही फिल्मी स्टाइल में एकदूसरे से प्रेमभरी नोकझोंक भी करने लगे. हालत यह हो गई कि पढ़ते समय भी दोनों एकदूसरे के खयालों में ही डूबे रहते. अब किताबों के पन्नों पर भी उन्हें एकदूसरे की तसवीर नजर आ रही थी.
इस के चलते उन की पढ़ाई पर असर पड़ना स्वाभाविक था. इंटर पास करतेकरते उन के आकर्षण और प्रेम की डोर तो मजबूत हो गई, लेकिन पढ़ाई का ग्राफ काफी नीचे गिर गया, जिस का असर उन के परीक्षाफल में नजर आया. नंबर कम आने पर दोनों के परिवार वाले चिंतित तो थे, लेकिन वे नंबर कम आने का असली कारण नहीं खोज पा रहे थे.
इंटर पास कर के मुकुल और जूही ने डिग्री कालेज में प्रवेश लिया तो उन के प्रेम को और विस्तार मिला. अब उन्हें मिलनेजुलने के लिए कोई जगह तलाशने की आवश्यकता नहीं थी. कालेज की लाइब्रेरी, कैंटीन और पार्क गपशप और उन के प्रेम इजहार के लिए उमदा स्थान थे.
इस प्रकार मुकुल और जूही का प्रेम परवान चढ़ता ही जा रहा था. किताबों में पढ़ कर और फिल्में देख कर वे प्रेम का इजहार करने के कई नायाब तरीके सीख गए थे.
इस बार वैलेंटाइन डे के अवसर पर मुकुल ने सोचा कि वह एक नए अंदाज में जूही से अपने प्रेम का इजहार करेगा. यह नया अंदाज उस ने एक पत्रिका में तो पढ़ा ही था, फिल्म में भी देखा था. उस ने पढ़ा था कि इस कलात्मक अंदाज से प्रेमिका काफी प्रभावित होती है और फिर वह अपने प्रेमी के खयालों में ही डूबी रहती है. इस कलात्मक अंदाज को उस ने इस वैलेंटाइन डे पर आजमाने का निश्चय किया. उस ने शीशे के सामने खड़े हो कर उस का खूब अभ्यास भी किया.
सुबहसुबह का समय था. मौसम भी अच्छा था. मुकुल का मन रोमानी था. उस ने हाथ में लिए गुलाब के खिले फूल को निहारा और फिर उसे अपने होंठों पर रख कर चूम लिया. अब उस से रहा न गया. उस ने अपने मोबाइल से जूही को छत पर आने के लिए एसएमएस किया.
जूही तो जैसे तैयार ही बैठी थी. मैसेज पाते ही वह चहकती हुई छत की तरफ दौड़ी. वह प्रेम की उमंग और तरंग में डूबी हुई थी और वैसे भी प्रेम कभी छिपाए नहीं छिपता.
जूही को इस प्रकार छत की ओर दौड़ते देख उस की मम्मी का मन शंका से भर उठा. वे सोचने लगीं, ‘इतनी सुबह जूही को छत पर क्या काम पड़ गया? अभी तो धूप भी अच्छी तरह से नहीं खिली.’ उन की शंका ने उन के मन में खलबली मचा दी. वे यह देखने के लिए कि जूही इतनी सुबह छत पर क्या करने गई है, उस के पीछेपीछे चुपके से छत पर पहुंच गईं. वहां का दृश्य देख कर जूही की मम्मी हतप्रभ रह गईं.
जूही के सामने मुकुल घुटने टेके गुलाब का फूल लिए प्रणय निवेदन की मुद्रा में था. वह बड़े ही प्रेम से बोला, ‘‘जूही डार्लिंग, आई लव यू.’’
जूही ने भी उस के द्वारा दिए गए गुलाब के फूल को स्वीकार करते हुए कहा, ‘‘मुकुल, आई लव यू टू.’’
यह दृश्य देख कर जूही की मम्मी के पैरों तले जमीन खिसक गई, लेकिन छत पर कोई तमाशा न हो, इसलिए वे चुपचाप दबे कदमों से नीचे आ गईं. अब वे बहुत परेशान थीं.
थोड़ी देर बाद जूही भी उमंगतरंग में डूबी हुई, प्रेमरस में सराबोर गाना गुनगुनाती हुई नीचे आ गई. इस समय वह इतनी खुश थी, मानो सारा जहां उस के कदमों में आ गया हो. इस समय उसे कुछ भी नहीं सूझ रहा था.
उस की मम्मी को भी समझ नहीं आ रहा था कि वे उस के साथ कैसे पेश आएं? उन के मन में आ रहा था कि जूही के गाल पर थप्पड़ मारतेमारते उन्हें लाल कर दें. दूसरे ही पल उन के मन में आया कि नहीं, इस मामले में उन्हें समझदारी से काम लेना चाहिए. उन्होंने शाम को जूही के पापा से ही बात कर के किसी निर्णय पर पहुंचने की सोची. उधर, आज दिनभर जूही अपने मोबाइल पर लव सौंग सुनती रही.
शाम को जब जूही की मम्मी ने जूही के पापा को सुबह की पूरी घटना बताई, तो वे भी सन्न रह गए. फिर भी उन्होंने धैर्य से काम लेते हुए कहा, ‘‘निशा, तुम चिंता मत करो. जूही युवावस्था से गुजर रही है और यह युवावस्था का सहज आकर्षण है. क्या हम ने भी ऐसा ही नहीं किया था?’’
‘‘राजेंद्र, तुम्हें तो हर वक्त मजाक ही सूझता है. यह जरूरी तो नहीं कि जो हम करें वही हमारी संतानें भी करें.’’
‘‘निशा, मेरे कहने का तात्पर्य यह नहीं है कि बच्चों के भविष्य को ध्यान में रख कर कोई कदम ही न उठाया जाए. मैं आज ही मुकुल के पापा से बात करता हूं. बच्चों को समझाने से ही कोई हल निकलेगा.’’
जूही के पापा ने मुकुल के पापा से मिलने का समय लिया और फिर उन से मिलने उन के घर गए. फिर दोनों ने सौहार्दपूर्ण वातावरण में मुकुल और जूही के प्रेम व्यवहार और उन के भविष्य पर चर्चा की, जिस से वे दोनों कहीं गलत रास्ते पर न चल पड़ें. दोनों ने बातों ही बातों में मुकुल और जूही को सही मार्ग पर आगे बढ़ाने की योजना और नीति बना ली थी.
तब एक दिन मुकुल के पापा ने सही अवसर पा कर मुकुल को अपने पास बुलाया और उस से इस प्रकार बातें शुरू कीं जैसे उन्हें उस के और जूही के बीच पनप रहे प्रेम संबंधों के बारे में कुछ पता ही न हो.
उन्होंने बड़े प्यार से मुकुल से पूछा, ‘‘बेटा मुकुल, आजकल तुम खोएखोए से रहते हो. इस बार तुम्हारे नंबर भी तुम्हारी योग्यता और क्षमता के अनुरूप नहीं आए. आखिर क्या समस्या है बेटा?‘‘
मुकुल के पास इस प्रश्न का कोई सटीक उत्तर नहीं था. कभी वह प्रश्नपत्रों के कठिन होने को दोष देता, तो कभी आंसर शीट के चैक होने में हुई लापरवाही को दोष देता.
‘‘बेटा मुकुल, मुझे तो ऐसा लग रहा है कि तुम अपना ध्यान पढ़ाई में सही से लगा नहीं पा रहे हो. कोई इश्कविश्क का मामला तो नहीं है?’’
यह सुनते ही मुकुल को करंट सा लगा. उस के मुंह से तुरंत निकला, ‘‘नहीं पापा, ऐसी कोई बात नहीं है.’’
‘‘बेटा, यह उम्र ही ऐसी होती है. यदि ऐसा है भी तो कोई बुरी बात नहीं. मुझे अपना दोस्त समझ कर तुम अपनी भावनाओं को मुझ से शेयर कर सकते हो. एक पिता कभी अपने बेटे को गलत सलाह नहीं देगा, विश्वास करो.’’
लेकिन मुकुल अब भी कुछ बताने से झिझक रहा था. उस के पापा उस के चेहरे को देख कर समझ गए कि उस के मन में कुछ है, जिसे वह बताने से झिझक रहा है. तब उन्होंने उस से कहा, ‘‘मुकुल, कुछ भी बताने से झिझको मत. तुम्हारे सपनों को पूरा करने में सब से बड़ा मददगार मैं ही हो सकता हूं. बताओ बेटा, क्या बात है?’’
अपने पापा को एक दोस्त की तरह बातें करते देख मुकुल की झिझक खुलने लगी. तब उस ने भी जूही के साथ चल रही अपनी प्रेम कहानी को सहज रूप से स्वीकार कर लिया.
इस पर उस के पापा ने कहा, ‘‘मुकुल, तुम एक समझदार बेटे हो जो तुम ने सचाई स्वीकार की. मुझे जूही से तुम्हारी. बस, मैं तो सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि यदि तुम जूही को पाना चाहते हो तो पहले उस के लायक तो बनो.
‘‘तुम जूही को तभी पा सकते हो, जब अपने कैरियर को संवार लो और कोई अच्छी नौकरी व पद प्राप्त कर लो. बेटा, यदि तुम अपना और जूही का जीवन सुखमय बनाना चाहते हो, तो तुम्हें अपना कैरियर संवारना ही होगा अन्यथा जूही के पेरैंट्स भी तुम्हें स्वीकार नहीं करेंगे. इस दुनिया में असफल आदमी का साथ कोई नहीं देता.’’
यह सुन कर मुकुल ने भावावेश में कहा, ‘‘पापा, हम एकदूसरे से सच्चा प्यार करते हैं. कभी हम एकदूसरे से जुदा नहीं हो सकते.’’
‘‘बेटा, तुम दोनों को जुदा कौन कर रहा है? मैं तो बस इतना कह रहा हूं कि यदि तुम जूही से जुदा नहीं होना चाहते तो उस के लिए कुछ बन कर दिखाओ. अन्यथा कितने ही सच्चे प्रेम की दुहाई देने वाले रिश्ते हों, अनमेल होने पर टूट और बिखर जाते हैं. यदि तुम ऐसा नहीं चाहते तो जूही की जिंदगी में खुशबू महकाने के लिए तुम्हें कुछ बन कर दिखाना ही होगा.’’
‘‘पापा, आप की बात मुझे समझ आ गई है. हम जिस चीज को चाहते हैं, उस के लिए हमें उस के लायक बनना ही पड़ता है. नहीं तो वह चीज हमारे हाथ से निकल जाती है.
‘‘अभी तक मैं अपना बेशकीमती समय यों ही गाने सुनने और फिल्में देखने में गवां रहा था. अब मैं अपना पूरा समय अपना कैरियर संवारने में लगाऊंगा. मुझे अपने प्यार के काबिल बनना है.’’
‘‘शाबाश बेटा, अपने इस जज्बे को कायम रखो. अपनी पढ़ाई में पूरा मन लगाओ. अपना कैरियर संवारो. मात्र सपने देखने से कुछ नहीं होता, उन्हें हकीकत में बदलने के लिए प्रयास और परिश्रम करना ही पड़ता है. जूही को पाना चाहते हो तो जूही के काबिल बनो.’’
‘‘पापा, आप ने मेरी आंखें खोल दी हैं. मैं आप से वादा करता हूं कि मैं ऐसा ही करूंगा.’’
‘‘ठीक है बेटा, तुम्हें मेरी सलाह समझ में आ गई. मैं एक दोस्त और मार्गदर्शक के रूप मे तुम्हारे साथ हूं.’’
इसी प्रकार की बातें जूही के पेरैंट्स ने जूही को भी समझाईं. इस का असर जल्दी ही देखने को मिला. मुकुल और जूही एकदूसरे को पाने के लिए अपनाअपना कैरियर संवारने में लग गए. अब वे दोनों अपनी पढ़ाई ध्यान लगा कर करने लगे थे.
जूही और मुकुल के पेरैंट्स भी यह देख कर काफी खुश थे कि उन के बच्चे सही राह पर चल पड़े हैं और अपनाअपना भविष्य उज्ज्वल बनाने में लगे हैं.