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ऊर्जा मंत्री ने NPCL व टोरेंट पावर के करार का ब्योरा किया तलब, UPPCL अध्यक्ष से 7 दिनों में मांगा जवाब

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण टलने के साथ ही उत्तर प्रदेश के ऊर्जा क्षेत्र में पहले से काम कर रहीं निजी कंपनी नोएडा पावर कंपनी लिमिटेड (एनपीसीएल) और आगरा की टोरेंट पावर की मुश्किलें भी बढ़ती दिख रही हैं। दोनों ही कंपनियों पर करार (एग्रीमेंट) की शर्तों का उल्लंघन करने के आरोप हैं। उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन (यूपीपीसीएल) के निदेशक स्तर की जांच में गड़बड़ियां मिलने के बाद ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कारपोरेशन के अध्यक्ष अरविन्द कुमार से दोनों कंपनियों के करार की शर्तों के उल्लंघन का विश्लेषणात्मक ब्योरा तलब किया है। अध्यक्ष से सात दिन में जवाब मांगा गया है।

दरअसल, उपभोक्ता संगठनों द्वारा लगातार कहा जा रहा है कि निजी कंपनियां करार की शर्तों का उल्लंघन कर उपभोक्ताओं के हितों का ख्याल नहीं रख रहीं हैं। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने ऊर्जा मंत्री से मिलकर करार की शर्तों के उल्लंघन संबंधी दस्तावेज सौंपते हुए जनहित में अनुबंध को निरस्त करने की मांग की है। पूर्व में ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा द्वारा गठित उच्चस्तरीय समिति की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए वर्मा ने कहा कि टोरेंट पावर अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन कर रही है। कंपनी लगभग 2200 करोड़ रुपये और रेगुलेटरी सरचार्ज दबाए बैठी है। महंगी बिजली खरीद कर टोरेंट को देने से कारपोरेशन को नौ वर्षों में 1350 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।


अवधेश वर्मा का कहना है कि जब आगरा, टोरेंट पावर को दिया गया था, तभी केस्को को कानपुर देने की बात हुई। केस्को ने दिखाया कि सरकारी क्षेत्र में सुधार ज्यादा संभव है। आज केस्को में मात्र नौ फीसद वितरण हानियां है, जबकि टोरेंट की 15 फीसद से अधिक हैं। टोरेंट पावर की तुलना केस्को से करके हुए उसके अनुबंध को खारिज किया जाए। इसी तरह वर्ष 1993 में पूरे नेटवर्क के साथ नोएडा की बिजली आपूर्ति, एनपीसीएल को दी गई। उसने सुधार किया है तो बिजली की दरों में कमी का एआरआर (वार्षिक राजस्व आवश्कता) अब तक क्यों नहीं नियामक आयोग में दाखिल किया? नोएडा क्षेत्र के 100 गावों को 18 के बजाए 10-11 घंटे ही बिजली देने का मामला भी सामने आ चुका है।




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