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शराब कारोबारियों को बड़ी राहत, अपर मुख्य सचिव आबकारी अब देंगे डिस्टलरी का लाइसेंस

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने शराब कारोबारियों को बड़ी राहत दी है। अब नई डिस्टलरी लगाने के लिए लाइसेंस प्रक्रिया सरल की गई है और अधिकारों का विकेंद्रीकरण किया गया है। लाइसेंस देने का अधिकार अपर मुख्य सचिव आबकारी को दिया गया है, जबकि शीरा में अल्कोहल की मात्रा कम होने पर लाइसेंस निरस्त नहीं किया जाएगा। वहीं, नई डिस्टलरी लगाने के लिए एक की जगह दो साल के लिए लाइसेंस देने का निर्णय लिया गया है। शुक्रवार को आबकारी विभाग के संबंधित प्रस्ताव को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन मंजूरी दे दी गई।

आबकारी आयुक्त पी गुरुप्रसाद ने बताया कि शराब बनाने के लिए डिस्टलरी लगाने का लाइसेंस अभी तक औद्योगिक एवं अवस्थपना आयुक्त की ओर से जारी किया जाता था। अब अपर मुख्य सचिव आबकारी लाइसेंस देंगे। इससे शराब कारोबारियों को सहूलियत मिलेगी। अभी तक एक साल के लिए डिस्टलरी लगाने का लाइसेंस दिया जाता था। इसी अवधि में पर्यावरण की एनओसी लेने के साथ उसे लगाने का काम पूरा करना होता था। इससे डिस्टलरी लगाने वालों को दिक्कत होती थी। उनका काफी समय पर्यावरण का एनओसी लेने व अन्य कार्य में लगता था।


इसके साथ ही उन्हें शराब उत्पादन के लिए उचित समय नहीं मिलता था। इस दिक्कत को देखते हुए अब दो साल के लिए लाइसेंस दिया जाएगा। इसके अलावा शीरा से बनने वाले अल्कोहल की नियमित जांच होती थी। तय मानक से कम अल्कोहल मिलने पर डिस्टलरी का लाइसेंस निरस्त करने की कार्रवाई की जाती थी। लेकिन, अब उसमें सिर्फ जुर्माना लगाया जाएगा। बड़ी खामी मिलने पर ही लाइसेंस निरस्त करने की कार्रवाई होगी। लाइसेंस लेकर तय समय में डिस्टलरी न लगाने पर 2.50 लाख रुपये देने पर ही लाइसेंस का नवीनीकरण किया जाएगा।


मरम्मत के लिए मंडल स्तर पर मिलेगी अनुमति : डिस्टलरी में किसी भी प्रकार की मरम्मत के लिए उसके संचालकों को आबकारी मुख्यालय प्रयागराज से अनुमति लेनी होती थी। मुख्यालय से अनुमति मिलने के बाद ही वे मरम्मत कार्य कर पाते थे। इस प्रक्रिया को आसान बनाते हुए मरम्मत के ज्यादा बड़े काम होने पर मंडल स्तर पर उप आबकारी आयुक्त को और मरम्मत के छोटे कार्य सहायक आबकारी आयुक्त की अनुमति से कराए जा सकेंगे। इससे डिस्टलरी संचालकों को सहूलियत मिलेगी। वे आसानी से मरम्मत की अनुमति लेकर अपना काम पूरा करा सकेंगे।

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