वाराणसी में रामनगर की रामलीला के नेमी तैयार, महामारी के बीच चौपाइयां गूंजने का इंतजार
गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. रामनगर की विश्व प्रसिद्ध रामलीला पर भले ही कोरोना का ग्रहण लग गया हो लेकिन लीला नेमियों को चौपाइयां गूंजने की तिथि का इंतजार है। इसके लिए धोती-कुर्ता, चंदन-खस और इत्र-फुलेल खरीद कर तैयारियां पूरी कर ली हैं। रामलीला हो या न हो लेकिन प्रभु की लीला भूमि पर तय तिथि-मुहूर्त पर जाने और वहां की माटी सिर माथे लगाने का मन बना चुके हैं। अनंत चतुर्दशी पर भी लीला नेमी रामनगर जाकर लीला स्थलों पर शीश नवा चुके हैं।
दरअसल, कोरोना संकट को देखते हुए दुर्ग प्रशासन ने भी पुलिस -प्रशासन को रामलीला नहीं कराए जाने की सूचना दे दी है। इसके बावजूद लीला प्रेमियों की आस्था कम नहीं हुई है। उनका कहना है कि बचपन से निभा रहे परंपरा को इस साल भी निभाएंगे। रामलीला स्थलों को शीश झुकाकर नमन करेंगे। प्रभु का स्मरण कर लौट जाएंगे। लीला प्रेमी रामलीला न होने से दुखी हैं। हालांकि उनका जोश व उत्साह कम नहीं हुआ है।
बड़ी पियरी निवासी 80 वर्षीय बुधराम यादव कहते हैं रामलीला देखने का सिलसिला 60 साल पहले शुरू हुआ तो कभी भी नहीं रूका। हर काम छोड़कर एक माह तक रामलीला ही जिंदगी का हिस्सा बन गया है। रामलीला नहीं भी होगी तो भी लीलास्थल पहुंचना ही है। कुर्ता, धोती पर साफा, चंदन व इत्र लगाकर पूरी तरह से लीला परिधान में सज धज कर लीला स्थल जाएंगे। वहां प्रभु का स्मरण कर आनंद की अनुभूति पाएंगे। उनके दो पुत्र गोपाल सरदार व गोङ्क्षवद यादव भी पिछले 25 वर्षों से पिता के साथ ही रामलीला देखने जाते हैं। गोपाल सरदार ने बताया कि रामलीला के लिए रामलीला परिधान खरीद कर रख लिया है। यह हर साल की प्रक्रिया है। रामनगर के संदीप चौरसिया भी तैयारी पूरी कर चुके हैं।
बनारसी लीला प्रेमियों का पहनावा है भिन्न
रामलीला में लीला प्रेमियों का परिधान, माथे पर चंदन का त्रिकुंड, आंख में आंजन तथा शरीर से इत्र की खुशबू बनारसी लीला प्रेमियों को अन्य लीला प्रेमियों से अलग पहचान दिलाती है।
इनकी जोड़ी है मशहूर
बड़ी पियरी निवासी बुधराम सरदार तथा उनके दोनों बेटे गोपाल जी सरदार व गोविंद यादव, चंदौली के हिंदवारी गांव निवासी दयाराम यादव, भैसौड़ी निवासी दीनानाथ यादव, मैदागिन निवासी कैलाश यादव, डहिया के छेदी यादव तथा हरिद्वार यादव अलग-अलग जगह के होने के बावजूद रामलीला में एक साथ होकर रामलीला देखते हैं।